कहा, किसी व्यक्ति की मौत को एसआईआर से जोड़कर सरकार लोगो को डरा रही है
- इस बार बंगाल में ममता को कोई गंदी चाल नहीं चलने देंगे
बंगाल में 2026 विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और टीएमसी अभी से जोर आजमाइश करने में लगे है। चुनाव आयोग के द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू किया है। इसके माध्यम से जहां फर्जी वोटर की तलाश की जाएगी वहीं इस प्रक्रिया का सीएम ममता बनर्जी ने सड़क पर उतरकर विरोध किया है। वहीं इसके समर्थन में भाजपा पूरे राज्य में अभियान चला रही है। सिलीगुड़ी में भाजपा विधायक शंकर घोष कैंप कर रहे है। बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने यहां बाहरी इलाके में भाजपा की एक रैली का नेतृत्व किया और मांग की कि हर बांग्लादेशी घुसपैठिए को देश से बाहर निकाला जाए।उन्होंने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया भी पूरी तरह संपन्न कराने की मांग की। 'परिवर्तन यात्रा' नामक इस रैली ने पानीहाटी विधानसभा क्षेत्र में सोदपुर ट्रैफिक मोड़ से बीटी रोड के साथ अगरपाड़ा तेंतुलतला मोड़ तक दो किलोमीटर की दूरी तय की। इस दौरान हाथों में तख्तियां लिये हजारों भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की निंदा करते हुए नारे लगाये।
अधिकारी ने कहा कि पिछले सप्ताह अगरपाड़ा के एक व्यक्ति की हुई दुखद मौत का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) या राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर डर से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि उसने तो 2002 में मतदान किया था और उसका नाम उस वर्ष की मतदाता सूची में था। विपक्ष के नेता ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए उसकी मौत को 'एसआईआर' कवायद से गलत तरीके से जोड़ रही है।
पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया को रोकने की कोशिश करने की तृणमूल कांग्रेस को चुनौती देते हुए अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, ''जिनके माता-पिता के पास भारत में आवासीय, जन्म प्रमाण पत्र हैं, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। तृणमूल कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही है।''
उन्होंने कहा , '' यदि एसआईआर के बारे में गलत तरीके से फैलाई गई दहशत के कारण कोई और मौत होती है, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ऐसी हर मौत के लिए जिम्मेदार होंगी। हम उन पर लोगों को गुमराह करने और उनकी मौत का कारण बनने का आरोप लगाएंगे।''
उन्होंने कहा, ''यदि किसी इलाके में पुनरीक्षण के दौरान तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) पर हमला किया जाता है, तो हम सरकार और पार्टी को नहीं बख्शेंगे।''
पिछले विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट पर ममता बनर्जी को पराजित कर निर्वाचित हुए शुभेंदु ने 'एसआईआर' के प्रति तृणमूल के विरोध को 'असंवैधानिक' करार दिया। उन्होंने कहा कि तृणमूल को डर है कि एसआईआर में अवैध मतदाताओं का पता चलने के बाद मतदाता सूची से उनके नाम हटाये जाने तथा ऐसे अवैध मतदाताओं को हिरासत में लेकर देश से बाहर भेजे जाने के बाद उसका बहुत बड़ा मतदाता वर्ग हाथ से निकल जायेगा।'
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस निर्वाचन आयोग और उसके अधिकारियों जैसे संवैधानिक निकायों को गालियां दे रही है। उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया के प्रति तृणमूल के विरोध को 'राष्ट्र-विरोध' करार दिया।
उन्होंने 'बांग्लादेशी/रोहिंग्या अवैध प्रवासियों' की तुलना सांपों से करते हुए कहा कि एसआईआर बिलों से 'सांपों' को बाहर निकालेगा और अंततः उन्हें वापस भेजेगा।
अधिकारी ने 21 जुलाई को तृणमूल की शहीद दिवस रैली में बनर्जी के इस बयान का मजाक उड़ाया कि वह पश्चिम बंगाल में एसआईआर नहीं होने देंगी।
विपक्ष के नेता ने कहा, ''एसआईआर शुरू हो गया है। आप इसे रोक नहीं पायीं। न ही आप एक भी फर्जी घुसपैठिए मतदाता की पहचान होने और उसे निर्वासित होने से बचा पायेंगी।"
उन्होंने बंगाल में 'परिवर्तन' का आह्वान करते हुए कहा, ''एसआईआर कम से कम आठ बार किया जा चुका है और यह देश हित एवं इसकी अखंडता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक था। तृणमूल अचानक इस मुद्दे पर क्यों जाग गई है और इस प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश कर रही है? लोगों ने उसके खेल को समझ लिया है।''
उन्होंने आरोप लगाया कि पक्षपातपूर्ण पुलिस और प्रशासन ने रैली को रोकने की कोशिश की, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया।
उन्होंने कहा, ''पिछले मौकों की तरह, उन्होंने हमारी आवाज दबाने की कोशिश की, लेकिन न्यायपालिका ने फिर से सुनिश्चित किया कि हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन न हो।''
भाजपा नेता अर्जुन सिंह ने कहा कि इस रैली से जनता में ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पद से हटाने का संदेश जायेगा। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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