हर साल अक्षय आंवला मास के नवमी तिथि को मनाई जाती है। इसे विशेष रूप से स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि आंवला में विटामिन C और अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए उपाय और पूजा का प्रभाव जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। पूजन की मुख्य विधि में सबसे पहले घर या मंदिर की सफाई करना आवश्यक है। इसके बाद आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है और उस पर फूल, रोली, हल्दी और सिंदूर चढ़ाया जाता है। श्रद्धालु इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी उपासना करते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग उपवास रखते हैं और दिनभर भजन, कीर्तन और मंत्रों का जाप करते हैं। पंचांग के अनुसार, अक्षय नवमी हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल कभी नष्ट नहीं होता, इसलिए इसे "अक्षय" नवमी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं। इसी कारण अक्षय नवमी पर आंवले की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।जिनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट महत्व होता है। खास तिथियों में से एक है अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी, इच्छा नवमी, कूष्मांड नवमी, आरोग्य नवमी और धातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व दिवाली के ठीक दस दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन का महत्व इतना गहरा है कि पुराणों में इसे सतयुग के आरंभ दिवस भी बताया गया है। मान्यता है कि इसी दिन से पृथ्वी पर सत्य, धर्म और सदाचार का युग आरंभ हुआ था।
आंवला नवमी कब है 2025
अक्षय नवमी तिथि - 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
पूर्वाह्न पूजन मुहूर्त - सुबह 06:32 बजे से 10:03 बजे तक
नवमी तिथि प्रारंभ - 30 अक्टूबर 2025 को सुबह 10:06 बजे
नवमी तिथि समाप्त - 31 अक्टूबर 2025 को सुबह 10:03 बजे
इस दिन भगवान विष्णु और आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना का विशेष विधान है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत, स्नान, दान या पूजा करता है, उसे अक्षय फल प्राप्त होता है-अर्थात् ऐसा पुण्य जो कभी नष्ट नहीं होता।
अक्षय का मतलब
'अक्षय' शब्द संस्कृत के 'क्षय' धातु से बना है, जिसका अर्थ है नाश होना। अतः 'अक्षय' का अर्थ हुआ जिसका नाश न हो, जो अनंत और अमर हो। यही कारण है कि इस दिन किए गए शुभ कर्म, दान, पूजा या व्रत का फल कभी नष्ट नहीं होता। यह दिन हमें यह सिखाता है कि सच्चे मन से किया गया हर सत्कर्म अमर हो जाता है, जैसे सतयुग के आदर्श कभी समाप्त नहीं हुए।
सतयुग के शुरुआत की कथा
अक्षय नवमी के दिन ही सतयुग का आरंभ हुआ था। सतयुग को सत्य और धर्म का युग कहा गया है, जहाँ झूठ, पाप, लालच या हिंसा का अस्तित्व नहीं था। इस युग में धर्म के चारों चरण सत्य, दया, तप और दान स्थिर थे। मानव जीवन पूर्ण रूप से ईश्वरीय नियमों पर आधारित था। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, जब ब्रह्मांड में अंधकार और अधर्म बढ़ गया, तब भगवान विष्णु ने सृष्टि में सत्य की पुनर्स्थापना के लिए सतयुग का प्रारंभ इसी दिन किया। यही कारण है कि अक्षय नवमी को सतयुग का जन्मदिन भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के पूजन से व्यक्ति के जीवन में धर्म, सत्य और शांति का संचार होता है।
आंवला नवमी का महत्व
इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि आंवला भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। पद्म पुराण में उल्लेख मिलता है कि भगवान विष्णु स्वयं आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं। जो व्यक्ति इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे पूजा, दान या भोजन करता है, उसे अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। महिलाओं के लिए यह व्रत परिवार की उन्नति, संतान सुख और दीर्घायु का वरदान देने वाला माना गया है।
सुबह स्नान के पश्चात शुद्ध वस्त्र धारण करें।भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।आंवला वृक्ष को जल, रोली, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।वृक्ष के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।गरीबों को अन्न, वस्त्र और पेठा (कूष्माण्ड) का दान करें।
पेठे का दान क्यों करते हैं?
धर्मानुसार अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु ने कूष्माण्ड नामक दैत्य का संहार किया था। यह दैत्य अत्याचारी और अहंकारी था, जो देवताओं और मनुष्यों दोनों को सताता था। भगवान विष्णु ने जब उसे मारा, तब उसके शरीर के रोमों से कूष्माण्ड (यानि पेठे) की बेल उत्पन्न हुई। इसी कारण इस दिन को कूष्माण्ड नवमी भी कहा जाता है। इस दिन पेठे का दान करने का विधान है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन कुष्माण्ड का दान करता है, उसे आरोग्य (स्वास्थ्य) और समृद्धि का वरदान मिलता है। इसके साथ ही विष्णु भगवान के आशीर्वाद से उसके घर में कभी अन्न का अभाव नहीं होता।
आंवला नवमी के दिन तर्पण और स्नान-दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। यदि संभव हो, तो इस दिन किसी तीर्थ स्थल पर जाकर गंगा स्नान करना शुभ माना गया है। परंतु जो लोग यात्रा नहीं कर सकते, वे घर पर ही अपने नहाने के पानी में कुछ बूँदें गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इससे अक्षय फल की प्राप्ति होती है। दान में आंवला, वस्त्र, अन्न, स्वर्ण या दक्षिणा का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए दान का फल कई गुना होकर लौटता है, इसलिए इसे अक्षय फलदायी तिथि कहा गया है।
अक्षय नवमी और आरोग्य का संबंध और लाभ
इस तिथि को आरोग्य नवमी भी कहा जाता है क्योंकि आंवले का सेवन और पूजा दोनों स्वास्थ्यवर्धक माने गए हैं। आंवला शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है और इसे आयुर्वेद में 'अमृतफल' कहा गया है। इस दिन आंवले से बनी चटनी, मुरब्बा या रस का सेवन करने से दीर्घायु और आरोग्य की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की कृपा से मन की इच्छाएं पूर्ण होती हैं।परिवार में सुख-समृद्धि और सौहार्द बढ़ता है।संतानहीन दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है।पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।शरीर में आरोग्य और मन में स्थिरता आती है। अक्षय नवमी 2025, शुक्रवार 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह दिन न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि आध्यात्मिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत शुभ है। भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और आंवला वृक्ष की पूजा करें, दान करें, और अपने जीवन में सद्भाव और सेवा का बीज बोएं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ वस्तुओं की खरीदारी भी फलदायी मानी जाती है। आइए जानें अक्षय नवमी पर क्या खरीदें और क्या नहीं।।अक्षय नवमी पर सोना, चांदी, तांबा या पीतल जैसी धातुएं खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, आप इस दिन दीपक, कलश, पूजा के बर्तन और तुलसी के पौधे भी खरीद सकते हैं। इस दिन आंवले का पौधा लगाना या उसकी पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन आप आंवले का सेवन भी कर सकते हैं। सोना, चांदी, तांबा या पीतल जैसी वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। आंवले का पौधा लगाना या आंवले की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। दीपक, गमले और तुलसी के पौधे जैसी वस्तुएं खरीदने से शुभ फल मिलते हैं।।नई वस्तुएं खरीदते समय दान-पुण्य का भाव रखना विशेष रूप से पुण्यदायी होता है।इस दिन दिखावटी या विलासिता की वस्तुएं जैसे फैशन ज्वेलरी या महंगे कपड़े खरीदने से बचें। इस दिन उधार लेना अशुभ माना जाता है।
अक्षय नवमी के दिन फिजूलखर्ची और अत्यधिक भौतिक संपत्ति से बचें।अक्षय नवमी के दिन दान करना बहुत फलदायी होता है।।इस दिन आप गरीबों को भोजन और धन दान कर सकते हैं।इस दिन सात प्रकार के अनाज (गेहूं, चावल, जौ, तिल, चना, मक्का और बाजरा) दान करने से घर में समृद्धि आती है। इस दिन ज़रूरतमंदों को कपड़े, कंबल या सोना-चांदी जैसी चीज़ें दान करना भी शुभ माना जाता है। ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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