- 1980 में शुरू हुआ सार्वजनिक जीवन, 1990 में आए मोदी के संपर्क में
- संघ के स्वयंसेवक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के थे कर्मठ कार्यकर्ता
देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में रहने वाले एक गुजराती दंपति कुसुम बेन और अनिलचंद्र शाह के घर हुआ था। अमित शाह के दादा गायकवाड़ के बड़ौदा राज्य की एक छोटी सी रियासत मानसा में एक धनी व्यापारी (नगर सेठ) हुआ करते थे। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे एक व्यापारी वर्ग के लड़के ने सियासत की दुनिया में नाम कमाया।आज धन्ना सेठ का बेटा देश की सुरक्षा का धन्ना सेठ बन बैठा है। 1980 में शुरू हुआ सार्वजनिक जीवन: अमित शाह का सार्वजनिक जीवन 1980 में शुरू हुआ। इस दौरान वह 16 साल के थे और वह युवा स्वयंसेवक के रूप में संघ में शामिल हुए थे। इस दौरान वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुड़े रहे।
1982 में, शाह को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की गुजरात इकाई का संयुक्त सचिव बनाया गया। उन्होंने 1984 में नारायणपुर वार्ड के संघवी बूथ पर मतदान एजेंट के रूप में भाजपा के लिए भी काम किया। 1987 में, अमित शाह भाजपा के युवा मोर्चा में शामिल हो गए। अमित शाह को समाज सुधारक नानाजी देशमुख के निकट रहने और उनकी कार्यशैली को देखने और सीखने का अवसर मिला।1989 में बने बीजेपी की अहमदाबाद इकाई के सचिव: 1989 में, अमित शाह भाजपा की अहमदाबाद इकाई के सचिव बने। इस दौरान, पूरे देश में श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की हवा चल रही थी। उन्होंने श्री राम जन्मभूमि आंदोलन और बाद में एकता यात्रा में पार्टी द्वारा दी गई अपनी ज़िम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया। जब भी लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी गांधीनगर लोकसभा से चुनाव लड़े, तब अमित शाह ने उनके चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी बखूबी संभाली।आज हम आपको बताएंगे कि कैसे एक व्यापारी वर्ग के लड़के ने सियासत की दुनिया में नाम कमाया। वह देश के गृह मंत्री होने से पहले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत के गुजरात राज्य के गृहमंत्री और भाजपा के महासचिव रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में वह गांधी नगर से लोकसभा के सांसद चुने गए थे।16 साल तक गांव में रहे: 16 वर्ष की आयु तक, अमित शाह गुजरात में अपने पैतृक गांव मानसा में रहे और यहीं उनकी शुरुआती पढ़ाई हुई। उनकी प्राथमिक शिक्षा पूरी होने के बाद परिवार अहमदाबाद आ गया। उनकी मां का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव था। वह एक कट्टर गांधीवादी थीं और उन्होंने उन्हें खादी पहनने के लिए प्रेरित किया।अमित शाह: 1980 में शुरू हुआ सार्वजनिक जीवन: अमित शाह का सार्वजनिक जीवन 1980 में शुरू हुआ। इस दौरान वह 16 साल के थे और वह युवा स्वयंसेवक के रूप में संघ में शामिल हुए थे। इस दौरान वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुड़े रहे। 1982 में, शाह को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की गुजरात इकाई का संयुक्त सचिव बनाया गया। उन्होंने 1984 में नारायणपुर वार्ड के संघवी बूथ पर मतदान एजेंट के रूप में भाजपा के लिए भी काम किया। 1987 में, अमित शाह भाजपा के युवा मोर्चा में शामिल हो गए। अमित शाह को समाज सुधारक नानाजी देशमुख के निकट रहने और उनकी कार्यशैली को देखने और सीखने का अवसर मिला।
1989 में बने बीजेपी की अहमदाबाद इकाई के सचिव
1989 में, अमित शाह भाजपा की अहमदाबाद इकाई के सचिव बने। इस दौरान, पूरे देश में श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की हवा चल रही थी। उन्होंने श्री राम जन्मभूमि आंदोलन और बाद में एकता यात्रा में पार्टी द्वारा दी गई अपनी ज़िम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया। जब भी लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी गांधीनगर लोकसभा से चुनाव लड़े, तब अमित शाह ने उनके चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी बखूबी संभाली।
90 के दशक में नरेंद्र मोदी के संपर्क में आए: नब्बे के दशक में, गुजरात में भाजपा का तेजी से उदय हुआ। इस दौरान वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात में भाजपा के संगठन सचिव के पद पर कार्यरत थे। ये वही समय था, जब अमित शाह और नरेंद्र मोदी संपर्क में आए। शाह गुजरात में पार्टी द्वारा शुरू किए गए सदस्यता अभियान को व्यापक बनाने और उसका दस्तावेजीकरण करने में पार्टी नेतृत्व के साथ जुड़े रहे।
अमित शाह 1997 में बने विधायक, फिर 2012 तक लगातार जीते : साल 1997 में अमित शाह बीजेपी के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बने। इसी साल, सरखेज विधानसभा उपचुनाव में, पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और वे 25,000 मतों के अंतर से जीतकर पहली बार विधायक बने।
तब से लेकर अमित शाह 2012 तक हर विधानसभा चुनाव जीतते रहे और हर बार उनकी जीत का अंतर बढ़ता ही गया। जब उन्होंने नारनपुरा से पांचवीं बार विधानसभा चुनाव लड़ा, तो उनकी जीत का अंतर 63235 मतों का था। 1998 में, वे गुजरात भाजपा के प्रदेश सचिव बने और एक वर्ष के भीतर ही उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व सौंप दिया गया।
2002, 2009 और 2013 में भी मिलीं अहम जिम्मेदारी
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात में 2002 में पहली बार हुए विधानसभा चुनावों में आयोजित 'गौरव-यात्रा' में पार्टी द्वारा शाह को एक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी गई थी। भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनाव जीता और अमित शाह सरकार में मंत्री बने। वे 2010 तक गुजरात सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। उन्हें गृह, यातायात, मद्यनिषेध, संसदीय कार्य, विधि एवं आबकारी जैसे विभागों का दायित्व सौंपा गया।
2009 में, उन्हें नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुजरात क्रिकेट संघ का उपाध्यक्ष बनने का भी अवसर मिला। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, अमित शाह गुजरात क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बने। 2013 में भाजपा ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया।2014 के चुनावों में अपनी रणनीति से सबको बनाया मुरीद: 2014 के चुनावों में, जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया, तो अमित शाह को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर भेजा गया। देश ने नरेंद्र मोदी के पक्ष में जनादेश दिया और भाजपा को उत्तर प्रदेश से 73 सीटें मिलीं और उसका वोट प्रतिशत 42% तक पहुंच गया। यह पार्टी के लिए एक शानदार सफलता थी और साथ ही शाह की रणनीतिक कुशलता का भी प्रमाण थी। अमित शाह को 9 जुलाई 2014 को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। वह 2020 तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। वर्ष 2017 में, अमित शाह गुजरात से राज्यसभा सदस्य चुने गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में ओडिशा, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में भाजपा के विस्तार का श्रेय शाह को दिया जाता है।
1997 से 2017 तक गुजरात विधानसभा के सदस्य रहे अमित शाह ने 2019 में पहली बार गांधीनगर से लोकसभा चुनाव लड़ा और गांधीनगर से शानदार जीत हासिल की। उन्होंने 70 प्रतिशत वोट हासिल कर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 5 लाख 57 हजार वोटों के अंतर से हराया। 2019 में बनाए गए देश के गृह मंत्री: 2019 में अमित शाह देश के गृह मंत्री बने। गृह मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, केंद्र की मोदी सरकार ने देश की आंतरिक सुरक्षा को अभेद्य बनाने से जुड़े कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। वे अपनी अनुशासित कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। इतिहास के अध्ययन और अध्यात्म में उनकी विशेष रुचि है। तब से लेकर अब तक वह देश के गृह मंत्री हैं और आज भी पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता की तरह काम करते हैं। ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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