सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वह एक मजबूत, अडिग और दृढ़ संकल्पित व्यक्तित्व के धनी थे। 31 अक्टूबर को  वल्लभभाई पटेल की 150 वीं जयंती मनाई जाएगी। 31 अक्टूबर को देश भर में लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150 वीं जयंती मनाई जाएगी। सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर देश भर में जगह जगह ‘रन फॉर यूनिटी’ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। पीएम मोदी ने देशवासियों से रन फॉर यूनिटी में हिस्सा लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि 31 अक्टूबर को एकता के लिए दौड़ में शामिल हों और एकजुटता की भावना का जश्न मनाएं। सरदार पटेल के एक भारत के सपने का सम्मान करें। सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के महान दूरदर्शी राजनेता-प्रशासक होने के साथ साथ प्रतिष्ठित वकील, बैरिस्टर तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी थे। पटेल उन कुछेक महान नेताओं व स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं जिनके न सिर्फ आजादी से पहले के बल्कि आजादी के बाद के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। आजादी मिलने के बाद सरदार पटेल ने पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारत का लौह पुरुष तथा भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। वल्लभभाई पटेल की जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वह एक मजबूत, अडिग और दृढ़ संकल्पित व्यक्तित्व के धनी थे। 
16 साल में हो गया था विवाह:  सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में एक किसान परिवार में हुआ था। वह अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनका विवाह 16 साल की उम्र में हो गया था। वह 33 वर्ष के ही थी जब उनकी पत्नी का देहांत हो गया।वकालत से कैसे आए सामाजिक जीवन में, गांधी जी से थे प्रभावित
सरदार पटेल कानून के अच्छे जानकार थे। लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया। स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। तब खेड़ा में सूखा पड़ा था और ब्रिटिश सरकार ने किसानों के कर से राहत देने से मना कर दिया था। पटेल ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया और वकालत छोड़कर सामाजिक जीवन में एंट्री की।
 कैसे जुड़ा नाम के साथ सरदार: उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की थी। गांधी जी उन्हें बारदोली का सरदार कहकर पुकारा था।आजादी के बाद रियासतों को देश में मिलाया
महान स्वतंत्रता सेनानी लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण किया। उनकी शानदार नेतृत्व व प्रशासनिक क्षमता को ही भारत के भौगोलिक राजनैतिक एकीकरण का श्रेय दिया जाता है।
किसने कहा लौहपुरुष: स्वतंत्रता और विभाजन के पश्चात् भारत के सामने एक अन्य बड़ी समस्या रजवाड़ों से संबंधित थी। गांधी ने पटेल से कहा था, “रियासतों की समस्या इतनी कठिन है कि आप अकेले ही इसे हल कर सकते हैं।”
साहसिक कार्य व दृढ़ व्यक्तित्व के चलते महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी। उन्हें भारत के बिस्मार्क के रूप में भी जाना जाता है।स्टैचू ऑफ यूनिटी
31 अक्टूबर 2018 में गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति “स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी” पटेल जी को समर्पित की गई है जोकि “देश की एकता में उनके योगदान” को इंगित करती है। सरदार वल्लभभाई पटेल की यह प्रतिमा 182 मीटर (597 फीट) ऊंची लौह प्रतिमा है। यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है। स्टेचू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई केवल 93 मीटर है। अखिल भारतीय सेवाओं के जनक
आजाद भारत में सरदार पटेल पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय सिविल सेवाओं के महत्व को बखूबी समझा और भारतीय संघ के लिए उसकी निरंतरता को आवश्यक बताया। यह सरदार पटेल का ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक रखने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर काफी जोर दिया। उन्होंने सिविल सेवाओं को स्टील फ्रेम कहा था।
 संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका:  भारत की संविधान सभा में वरिष्ठ सदस्य होने के नाते सरदार पटेल संविधान को आकार देने वाले प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे प्रांतीय संविधान समितियों के अध्यक्ष थे।
 पटेल जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस:  किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार थे। इसी वजह से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2014 से हुई।  सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था। सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था। ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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