बांग्लादेश में पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क एक बार फिर गंभीर चिंता का कारण बनता दिख रहा है।खुफिया जानकारी और रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश के अलग-अलग हिस्सों में पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी की मदद से 8 आतंकी ट्रेनिंग कैंप चलाए जा रहे हैं। इनमें से 3 कैंप भारत की सीमा के बेहद नजदीक है। इसकी जानकारी मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह चौकस हो गई है सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि शायद पाकिस्तान जो हरकत करने में लगा है वह सब 1971 भूल गया है?मौजूदा जानकारी के अनुसार, ये कैंप सीधे या परोक्ष रूप से पाकिस्तान समर्थित नेटवर्क और कट्टरपंथी संगठनों की मदद से संचालित हो रहे हैं।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर खतरा बढ़ा: चिट्टागोंग हिल ट्रैक्ट्स क्षेत्र में जमातुल अंसार फिल हिंदाल के कैंप के सक्रिय होने की जानकारी सामने आई है। इस संगठन को शमीन महफुज जैसे कट्टरपंथी नेटवर्क का समर्थन प्राप्त बताया जा रहा है। रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि इस गुट के केएनएफ और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) से संपर्क हैं। यह इलाका त्रिपुरा और म्यांमार बॉर्डर के बेहद करीब है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है।
तेजी से युवाओं की भर्ती: इसके अलावा, नदी किनारे और चार अन्य इलाकों में जमात-उल-मुजाहिदीन के ठिकानों की मौजूदगी की बात कही जा रही है। बोगरा और चपाइ नवाबगंज क्षेत्रों में ISIS से प्रेरित नियो-JMB को सबसे हिंसक आतंकी संगठनों में गिना जा रहा है। ये इलाके पश्चिम बंगाल के मालदा-मुर्शिदाबाद बेल्ट से सटे हुए हैं। वहीं, ढाका के रिहायशी हॉलों में हिज्ब-उत-तहरीर के जरिए युवाओं की भर्ती और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने की कोशिशें तेज बताई जा रही हैं।हसीना के बेटे ने भी जताई चिंता :बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने भी इन आतंकी कैंपों को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। जॉय का कहना है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों को खुली छूट मिल रही है, जिससे पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क फिर से मजबूत हो रहे हैं। उनके मुताबिक, यह स्थिति केवल बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि भारत और पूरे दक्षिण एशिया की शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।किन इलाकों में चल रहे टेटर कैंप : चिट्टागोंग के लालखान इलाके में एक कैंप अंसार अल-इस्लाम और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा बताया गया है. इस कैंप का ऑपरेशन हारुन इजहार और पाकिस्तानी सेना के पूर्व मेजर जिया की ओर से किया जा रहा है. ये कैंप भारत के त्रिपुरा और मिजोरम के पास है। बसिला और मोहम्मदपुर मदरसा में संदिग्ध गतिविधियां दर्ज की गई हैं, हालांकि वहां ये टेरर कैंप्स कौन संगठन चला रहे हैं. इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। ढाका स्थित तामीर-उल-मिल्लत मदरसा में इस्लामी छात्र संगठन शिविर और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका बताई जा रही है। चिट्टागोंग हिल ट्रैक्ट्स में जमातुल अंसार फिल हिंदाल का कैंप सक्रिय बताया गया है, जिसे शमीन महफुज जैसे कट्टरपंथी संगठनों का समर्थन मिला है. इस संगठन के केएनएफ और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) से भी संपर्क बताए जा रहे हैं। चिट्टागोंग हिल ट्रैक्ट्स त्रिपुरा और म्यांमार बॉर्डर के बेहद करीब है। नदी किनारे और चार इलाकों में जमात-उल-मुजाहिदीन के ठिकाने होने की जानकारी है, जबकि बोगरा और चपाइनवाबगंज क्षेत्र में ISIS से प्रेरित नियो-JMB को सबसे हिंसक आतंकी गुटों में गिना जा रहा है. बोगरा और चपाइनवाबगंज पश्चिम बंगाल (मालदामुर्शिदाबाद बेल्ट) से सटा क्षेत्र है. ढाका के रिहायशी हॉलों में हिज़्ब-उत-तहरीर भर्ती और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने में जुटा है। इनमें से तीन कैंप भारत की सीमा के बेहद नजदीक बताए जा रहे हैं जिससे सीमा पार आतंकवाद का खतरा और गहरा गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन कैंपों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान समर्थित नेटवर्क, जमात-ए-इस्लामी और अन्य कट्टरपंथी संगठनों का समर्थन हासिल है। चिट्टागोंग के लालखान इलाके में स्थित एक प्रमुख कैंप का संबंध अंसार अल-इस्लाम और लश्कर-ए-तैयबा से जोड़ा जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस कैंप का संचालन हारुन इजहार और पाकिस्तानी सेना के पूर्व मेजर जिया द्वारा किया जा रहा है। यह इलाका भारत के त्रिपुरा और मिजोरम की सीमा के काफी नजदीक स्थित है। ISI की भूमिका होने के संकेत: ढाका के बसिला और मोहम्मदपुर स्थित कुछ मदरसों में भी संदिग्ध गतिविधियां दर्ज की गई हैं, हालांकि इन स्थानों पर सक्रिय आतंकी संगठनों की पहचान फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाई है। वहीं, ढाका के तामीर-उल-मिल्लत मदरसा में इस्लामी छात्र संगठन शिबिर और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका होने के संकेत मिले हैं। क्षेत्रीय सुरक्षा पर खतरा बढ़ा चिट्टागोंग हिल ट्रैक्ट्स क्षेत्र में जमातुल अंसार फिल हिंदाल के कैंप के सक्रिय होने की जानकारी सामने आई है। इस संगठन को शमीन महफुज जैसे कट्टरपंथी नेटवर्क का समर्थन प्राप्त बताया जा रहा है। रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि इस गुट के केएनएफ और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) से संपर्क हैं। यह इलाका त्रिपुरा और म्यांमार बॉर्डर के बेहद करीब है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है।
तेजी से युवाओं की भर्तीइसके अलावा, नदी किनारे और चार अन्य इलाकों में जमात-उल-मुजाहिदीन के ठिकानों की मौजूदगी की बात कही जा रही है। बोगरा और चपाइनवाबगंज क्षेत्रों में ISIS से प्रेरित नियो-JMB को सबसे हिंसक आतंकी संगठनों में गिना जा रहा है। ये इलाके पश्चिम बंगाल के मालदा-मुर्शिदाबाद बेल्ट से सटे हुए हैं। वहीं, ढाका के रिहायशी हॉलों में हिज्ब-उत-तहरीर के जरिए युवाओं की भर्ती और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने की कोशिशें तेज बताई जा रही हैं। हसीना के बेटे ने भी जताई चिंता: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने भी इन आतंकी कैंपों को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। जॉय का कहना है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों को खुली छूट मिल रही है, जिससे पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क फिर से मजबूत हो रहे हैं। उनके मुताबिक, यह स्थिति केवल बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि भारत और पूरे दक्षिण एशिया की शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। हसीना के बेटे ने भी आरोप लगाए थे: पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने भी इन आतंकी कैंपों को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने आरोप लगाया है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों को खुली छूट मिल रही है और पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क दोबारा पैर पसार रहे हैं. जॉय के मुताबिक, यह स्थिति सिर्फ बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि भारत और पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की कुल लंबाई 4,096.70 किलोमीटर है और इसमें से 3239.92 किलोमीटर पर बाड़ लगाई जा चुकी है, जो कुल सीमा का 79.08 प्रतिशत है। यानी कि बांग्लादेश बॉर्डर पर बाकी 856.778 किलोमीटर, यानी 20.92 प्रतिशत हिस्सा अभी बिना बाड़ का है। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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