सूर्य उपासना का महापर्व छठ इस बार भी पूरे देश में आस्था और भव्यता के साथ मनाया जाएगा। शनिवार से नहाय-खाय के साथ इसकी शुरुआत होगी। खास बात यह है कि अकेले इस पर्व पर देशभर में लगभग 38 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है, जो पाकिस्तान के रक्षा बजट (76 हजार करोड़ रुपये) का लगभग आधा है।यह पर्व स्वदेशी को बढ़ावा देता है और स्थानीय उत्पादकों को सीधा लाभ पहुंचाता है।
छठ पर्व का यह पहला दिन न केवल शारीरिक शुद्धि के लिए, बल्कि मानसिक तैयारी के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन, व्रती एक विशेष प्रकार का सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें सबसे खास प्रसाद "कद्दू भात" होता है। आइए जानें नहाय-खाय का महत्व, कद्दू भात प्रसाद की विशेषताएँ और इस दिन के महत्वपूर्ण नियम।
सूर्य पूजा आरंभ:नहाय-खाय सूर्य पूजा की शुरुआत का प्रतीक है। छठ व्रत के दौरान, सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है, जो ऊर्जा, जीवन और संतान सुख के प्रतीक हैं। इस दिन से, भक्त अपने मन, वचन और कर्म को पूरी तरह से पवित्र रखने का संकल्प लेते हैं। नहाय-खाय: पवित्रता की ओर पहला कदम:'नहाय-खाय' का अर्थ है स्नान और भोजन। इस दिन से छठ महापर्व के 36 घंटे के व्रत की शुरुआत होती है।
शुद्धिकरण और संकल्प: भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं और गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करते हैं। यदि यह संभव न हो, तो वे घर पर ही स्नान के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करते हैं। स्नान के बाद, भक्त स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और छठ पूजा का संकल्प लेते हैं। यह स्नान तन और मन को शुद्ध करता है और उन्हें व्रत के लिए तैयार करता है।
घर की सफाई: इस दिन पूरे घर और रसोई की सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है, क्योंकि छठ पूजा में पवित्रता का अत्यधिक महत्व होता है। प्रसाद तैयार करने के लिए केवल नए या बिल्कुल साफ बर्तनों का ही उपयोग किया जाता है।
सात्विक भोजन: इस दिन भक्त केवल एक ही सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। कद्दू चावल का प्रसाद क्यों खास है?
नहाय-खाय के दिन तैयार किए जाने वाले सात्विक भोजन को 'कद्दू-भात' या 'लौकी-भात' कहा जाता है। इसमें मुख्य रूप से कच्चे चावल, चने की दाल और कद्दू (या लौकी) की सब्जी होती है। सात्विकता और पवित्रता: यह भोजन शुद्ध घी या सरसों के तेल और सेंधा नमक में, बिना लहसुन या प्याज के, तैयार किया जाता है। इसे सबसे शुद्ध और पवित्र भोजन माना जाता है। यह छठ पर्व की सात्विकता के साथ शुरुआत करने का सबसे अच्छा तरीका है। व्रत की तैयारी: कद्दू एक ऐसी सब्जी है जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है। चार दिनों के कठोर व्रत, जिसमें 36 घंटे का निर्जला उपवास भी शामिल है, से पहले कद्दू का सेवन करने से व्रती को पर्याप्त पानी, ऊर्जा और पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे शरीर लंबे व्रत के लिए तैयार होता है।
परंपरा और मान्यता: लोककथाओं में कद्दू को एक बहुत ही पवित्र फल माना जाता है। इसलिए, छठ पूजा के दौरान पवित्रता और स्वास्थ्य के संतुलन को बनाए रखने के लिए इस पारंपरिक प्रसाद को विशेष महत्व दिया जाता है।नहाय-खाय के विशेष नियम: नहाय-खाय के दिन कुछ नियमों का पालन किया जाता है। व्रती सूर्योदय से पहले उठते हैं, स्नान करते हैं और अपने घरों को शुद्ध करते हैं। भोजन केवल मिट्टी या कांसे के बर्तनों में पकाया जाता है। खाना पकाने के लिए लकड़ी या मिट्टी के चूल्हे का उपयोग किया जाता है। भोजन में लहसुन, प्याज और नमक का उपयोग नहीं किया जाता है।।सबसे पहले सूर्य देव और देवी अन्नपूर्णा को प्रसाद अर्पित किया जाता है, और फिर व्रती भोजन ग्रहण करते हैं। बताया जाता है कि दिल्ली में ही छह हजार करोड़ रुपये का व्यापार होने की उम्मीद है। इससे कुटीर उद्योगों को मजबूती मिल रही है। सूर्य उपासना के महापर्व छठ को पूरे देश में आस्था, श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जाता है। शनिवार को नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय पर्व का शुभारंभ हो जाएगा। खास बात यह है कि अकेले इस पर्व में ही देश के लोग पाकिस्तान के रक्षा बजट का आधा खर्च करेंगे, जो स्वदेशी को भी बड़ी मजबूती देगा। छठ पूजा के दौरान इस वर्ष पूरे देश में 38 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है, जबकि पाकिस्तान का कुल रक्षा बजट 76 हजार करोड़ रुपये है। कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने यह अनुमान जताते हुए कहा है कि पूर्वांचल से निकलकर अब छठ पर्व देश के कई राज्यों में मनाया जाने लगा है। इससे इस पर्व के दौरान होने वाले कारोबार में भी बढ़ोतरी होती गई है।
देशभर में 15 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान : छठ पर्व पर देशभर में करीब 15 करोड़ श्रद्धालुओं के व्रत, स्नान, अर्घ्य और पूजा के पारंपरिक विधान में शामिल होने का अनुमान है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में छठ का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। पूर्वांचली समाज के लोग जहां भी रहते हैं, वहां वे इस पर्व को पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। केवल दिल्ली में छह हजार करोड़ रुपये का व्यापार होने का अनुमान है।
कुटीर उद्योगों को मिल रही मजबूती : छठ पूजा से संबंधित प्रमुख वस्तुओं में सूप, दौरा, डलिया, मिट्टी के दीपक, बांस की टोकरी, सुथनी, फल विशेषकर केला, नारियल, सेब, गन्ना, नींबू, गेहूं और चावल का आटा, मिठाइयां, प्रसाद के लिए ठेकुआ, पूजा सामग्री, साड़ी और पारंपरिक वस्त्र, सजावट सामग्री, दूध और घी, पूजा पात्र, टेंट व सजावट के सामान आदि शामिल हैं।
इसी तरह, पारंपरिक परिधान जैसे साड़ियां, लहंगा-चुन्नी, सलवार-कुर्ता (महिलाओं के लिए) और कुर्ता-पायजामा, धोती (पुरुषों के लिए) की खरीदारी भी बड़े पैमाने पर होती है। इन दिनों छठ के लिए खरीदारी पूरे जोर-शोर से चल रही है। हस्तनिर्मित स्वदेशी वस्तुएं भी बड़ी मात्रा में बिक रही हैं। पूजा में उपयोग की जाने वाली अधिकांश वस्तुएं स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा निर्मित होती हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और कुटीर उद्योग को मजबूती मिल रही है।
स्थानीय उत्पादकों को मिलता सीधा लाभ: छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, जो सामाजिक एकता और समर्पण का प्रतीक है। इस पर्व से स्थानीय उत्पादकों, व्यापारियों और लघु उद्योगों को सीधा लाभ पहुंचता है। इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वोकल फार लोकल और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को बल मिल रहा है।
पिछले वर्ष की तुलना में कारोबार में सात हजार करोड़ की वृद्धि संभव पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष छठ के कारोबार में सात हजार करोड़ रुपये की वृद्धि संभव है। पिछले वर्ष यह आंकड़ा लगभग 31 हजार करोड़ रुपये और वर्ष 2023 में करीब 27 हजार करोड़ रुपये था। अकेले दिल्ली में लोक आस्था के इस महापर्व पर लगभग छह हजार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है। ( अशोक झा की कलम से )
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