कई दिन तक चले बवाल और पीएम ओली समेत कई मंत्रियों के इस्तीफे के बाद नेपाल ने अपना अंतरिम प्रधानमंत्री चुन लिया है।सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की देश की पहली महिला अंतरिम पीएम होंगी। ओली के इस्तीफे के बाद काठमांडू के मेयर बालेन शाह और बिजली बोर्ड के प्रमुख रहे कुलमान घीसिंग का नाम भी तेजी से उभर था लेकिन अंतिम सहमति कार्की के नाम पर बनी. अब वे अगला चुनाव होने तक इस पद पर रहेंगी. अब सवाल है कि पीएम और अंतरिम पीएम पर क्या कहता है नेपाल का संविधान? अंतरिम पीएम के पास कितनी पावर होती है? नेपाल की राजनीति अक्सर अस्थिरता और सत्ता परिवर्तन की वजह से सुर्खियों में रहती है। संसदीय लोकतंत्र अपनाने के बावजूद यहां गठबंधन की राजनीति, दल-बदल, और आंतरिक खींचतान ने स्थिर सरकार बनने की राह मुश्किल बना दी है। ऐसे हालात में अक्सर सवाल उठता है कि जब कोई प्रधानमंत्री अपना बहुमत खो देता है या इस्तीफ़ा दे देता है, तो अंतरिम प्रधानमंत्री (Caretaker PM) की भूमिका और शक्तियां क्या होती हैं. नेपाल में प्रधानमंत्री का पद भारतीय व्यवस्था की तरह ही संसद के बहुमत और राष्ट्रपति की अनुशंसा पर निर्भर होता है।जब कोई प्रधानमंत्री पद छोड़ देता है, बहुमत साबित करने में विफल रहता है या सदन भंग हो जाता है, तो देश को कार्यपालिका के शून्य से बचाने के लिए राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर बनाए रखते हैं, जब तक कि नया प्रधानमंत्री नियुक्त न हो जाए। लोकतंत्र अपनाने के बाद नेपाल ने अनेक मौकों पर अंतरिम पीएम देखे. ऐसा हर बार हुआ जब गठबंधन टूटे, तो अगली व्यवस्था होने तक उसी पीएम को कार्यवाहक के रूप में जिम्मेदारी देने की व्यवस्था है। लेकिन इस बार मामला एकदम अलग है। सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम बनाने पर सहमति बन गई है। क्या कहता है नेपाल का संविधान?: नेपाल का वर्तमान संविधान 2015 (संविधान सभा द्वारा अंगीकृत “नेपाल का संविधान-2072”) है। इसमें धारा 76 विशेष रूप से प्रधानमंत्री की नियुक्ति, बहुमत और पद खोने की स्थिति का प्रावधान करती है। धारा 76(7) कहती है, यदि प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े के बाद या पद से हटने के बाद नया प्रधानमंत्री नहीं चुना जाता, तो राष्ट्रपति पूर्व प्रधानमंत्री को तब तक कार्यकारी रूप से पद पर रहने देते हैं जब तक नया प्रधानमंत्री नियुक्त न हो जाए। संविधान अंतरिम प्रधानमंत्री को Caretaker PM शब्द से संबोधित नहीं करता, लेकिन व्यवहार में वही स्थिति बनती है। नेपाल का संविधान कहता है कि चुने गए प्रधानमंत्री को 30 दिन के अंदर बहुमत साबित करना होगा। यही वजह है कि सुशीला कार्की फिलहाल अंतरिम पीएम के तौर पर काम करेंगी। आगे चुनाव होंगे,अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति सबसे बड़े दल के नेता को पीएम चुन सकते हैं। बहुदलीय व्यवस्था के तहत भी राष्ट्रपति पीएम चुनने का फैसला कर सकते हैं. हालांकि, पीएम को 30 दिन में अपना बहुमत साबित करना होगा।अगर ऐसा नहीं होता है तो राष्ट्रपति प्रतिनिधि सभा के किसी सदस्य को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं। बहुमत न होने की स्थिति में संसद को भंग कर सकते हैं। ( अशोक झा की कलम से )
संविधान के किस पावर के साथ देश में शांति स्थापित करेंगी अंतरिम पीएम सुशीला कार्की
सितंबर 13, 2025
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