उत्सव का मुख्य आकर्षण पंडित दिशारी चक्रवर्ती द्वारा संतूर पर प्रस्तुत राग दुर्गेश्वरी की आलाप और जोड़ था, जिसकी सूक्ष्म सुर-तरंगों ने एक निर्मल, जीवंत और स्वर्गीय वातावरण उत्पन्न किया।
दूसरे चरण में, उन्होंने बाबा अलाउद्दीन खाँ की रचना राग पहाड़ी झिनझोटी का विलंबित और द्रुत गत तथा झाला प्रस्तुत किया। पंडित दिशारी चक्रवर्ती के असाधारण संतूर वादन की जादुई प्रस्तुति के साथ विभास शंघाई और सौमेन नंदी की अद्भुत तबला संगति ने उपस्थित दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उत्सव समिति के सचिव अनुपम सरकार ने कहा कि मुख्य कार्यक्रम के साथ-साथ इस वर्ष हम माँ अन्नपूर्णा देवी का जन्मशताब्दी वर्ष भी मना रहे हैं।
कार्यक्रम में पंडित नित्यानंद हल्दिपुर, पंडित समर साहा, पंडित अजय जोगेलकर, पंडित ज्योति गहो, पंडित कौशिक भट्टाचार्य और कई अन्य कलाकारों ने भी संगीत प्रस्तुत किया।
अनुष्ठान के क्यूरेटर पंडित दिशारी चक्रवर्ती ने कहा कि इस आयोजन में पश्चिम बंगाल सरकार और अन्नपूर्णा देवी फाउंडेशन ने प्रमुख प्रायोजन किया है। लेकिन इस वर्ष पहली बार ओंकारनाथ मिशन के सहयोग से शास्त्रीय वाद्यवृंद मैहर ऑर्केस्ट्रा की प्रस्तुति भी हुई।
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