- अचानक अभिषेक बनर्जी का कद को ममता बनर्जी ने बढ़ाया
- टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के साथ मतभेदों के चलते कल्याण बनर्जी ने उठाया कदम
- 7 अगस्त को मामले को सुलझाने के लिए अभिषेक करेंगे बैठक
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में अंदरखाने कुछ तो पक रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पार्टी के अंदर कुछ ठीक नहीं है, यही कारण है कि आज की मीटिंग के बाज जहां अचानक से ममता बनर्जी ने अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी का कद बढ़ा दिया तो वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में पार्टी के चीफ व्हिप के पद से इस्तीफा दे दिया।सुदीप बंदोपाध्याय की जगह अभिषेक बनर्जी
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को सोमवार को लोकसभा में अपना नेता नामित किया। यह जानकारी पार्टी सूत्रों ने दी। सूत्रों ने बताया कि डायमंड हार्बर से तीन बार के सांसद बनर्जी वरिष्ठ नेता सुदीप बंदोपाध्याय का स्थान लेंगे जो कोलकाता उत्तर से सांसद हैं। उन्होंने बताया कि बंदोपाध्याय को उनके खराब स्वास्थ्य के कारण इस जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है।
ममता बनर्जी ने की थी आज मीटिंग
सूत्रों ने बताया कि यह फैसला तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की अध्यक्षता में पार्टी सांसदों की डिजिटल तरीके से आयोजित एक बैठक में लिया गया। सूत्रों ने बताया कि बैठक में लोकसभा और राज्यसभा, दोनों के पार्टी सदस्य मौजूद थे। अभिषेक बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे हैं। तृणमूल कांग्रेस के पास लोकसभा में 29 सीट हैं और यह विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन का एक प्रमुख घटक दल है।
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कथित तौर पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के साथ मतभेदों के चलते टीएमसी संसदीय दल के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया है।
हालांकि, पार्टी ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी इस मामले को सुलझाने के लिए 7 अगस्त को उनसे मिलने वाले हैं। कल्याण ने औपचारिक रूप से पार्टी आलाकमान के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज कराई है।उनका यह कदम टीएमसी सांसदों की एक वर्चुअल बैठक के कुछ घंटों बाद आया है, जिसकी अध्यक्षता पार्टी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की। सूत्रों के हवाले से बताया कि ममता बनर्जी ने सत्र के दौरान पार्टी की संसदीय टीम के भीतर खराब समन्वय पर गहरी नाराजगी व्यक्त की।
अपने इस्तीफे पर मीडिया से बात करते हुए कल्याण बनर्जी ने कहा, "मैंने लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक के पद से इस्तीफा दे दिया है क्योंकि 'दीदी' (ममता बनर्जी) ने वर्चुअल बैठक में कहा था कि पार्टी सांसदों के बीच समन्वय की कमी है। इसलिए सारा दोष मुझ पर आ गया। नतीजन, मैंने पद छोड़ने का फैसला किया।"श्रीरामपुर से चार बार के सांसद और एक वरिष्ठ अधिवक्ता बनर्जी ने बताया कि उन्हें अपमानित महसूस हुआ, क्योंकि पार्टी अनुशासनहीनता और खराब उपस्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही थी, बल्कि उन्हें बलि का बकरा बना रही। सांसदों की खराब उपस्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बनर्जी ने कहा, "जिन सांसदों को ममता बनर्जी ने बनाया है, वे लोकसभा आते ही नहीं। दक्षिण कोलकाता, बैरकपुर, बांकुड़ा, उत्तरी कोलकाता के टीएमसी सांसदों में से शायद ही कोई संसद आता है। मैं क्या कर सकता हूँ? इसमें मेरी क्या गलती है? हर बात का दोष मुझ पर मढ़ा जा रहा है।" रिपोर्टों के अनुसार, बनर्जी के कृष्णानगर की सांसद महुआ मोइत्रा के साथ अक्सर होने वाले टकराव और पूर्व क्रिकेटर व टीएमसी सांसद कीर्ति आज़ाद के साथ उनके पहले के सार्वजनिक विवाद ने पार्टी नेतृत्व के लिए काफी शर्मिंदगी पैदा की। विशेष रूप से, मोइत्रा के साथ हालिया विवाद ने पार्टी की फ्लोर रणनीति टीम को पुनर्गठित करने के नेतृत्व के कदम को तेज़ कर दिया। एक भावनात्मक प्रतिक्रिया में, बनर्जी ने कहा कि उन्हें एक साथी सांसद द्वारा उन पर फेंके गए "अपमानों" पर पार्टी की चुप्पी से गहरा दुख हुआ, जो स्पष्ट रूप से मोइत्रा के संदर्भ में। उन्होंने कहा, "दीदी कहती हैं कि लोकसभा सांसद लड़ रहे हैं और झगड़ रहे हैं। क्या मुझे उन लोगों को बर्दाश्त करना चाहिए जो मुझे गाली देते हैं? मैंने पार्टी को सूचित किया, लेकिन जिसने मेरा अपमान किया, उसके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, वे मुझे दोषी ठहरा रहे हैं।"
नब्बे के दशक के आखिर से टीएमसी प्रमुख के साथ रहे इस वरिष्ठ नेता ने आगे कहा, "ममता बनर्जी को पार्टी वैसे ही चलाने दें, जैसे उन्हें ठीक लगे।"उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा पार्टी प्रमुख की अध्यक्षता में हुई टीएमसी सांसदों की एक वर्चुअल बैठक में हिस्सा लेने की बाद की।वहीं, सूत्रों का कहना है कि टीएमसी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा देने के कुछ ही देर बाद कल्याण बनर्जी ने अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं। उन्होंने पहले ही टीएमसी के शीर्ष नेताओं से संपर्क कर लिया है। बनर्जी ने अमर्यादित भाषा पर जताई आपत्ति
कल्याण बनर्जी का अपनी पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा के साथ बार-बार विवाद हुआ है. हाल ही में, बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में मोइत्रा की आलोचना की, जिसमें उन्होंने मोइत्रा द्वारा एक पॉडकास्ट में उनके खिलाफ इस्तेमाल की गई अमर्यादित भाषा पर आपत्ति जताई.
बनर्जी ने लिखा, 'मैंने महुआ मोइत्रा द्वारा हाल ही में एक सार्वजनिक पॉडकास्ट में की गई व्यक्तिगत टिप्पणियों पर ध्यान दिया है. उनके शब्दों का चयन, जिसमें एक सांसद की तुलना 'सुअर' जैसे अमानवीय शब्दों से करना शामिल है, न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि ये सभ्य संवाद के बुनियादी नियमों की गहरी अवहेलना को दिखाता है।
'उन्हें करना चाहिए गौर': उन्होंने आगे कहा, 'जो लोग अपशब्दों को जवाब की जगह इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इस बात पर गौर करना चाहिए कि वे किस तरह की राजनीति कर रहे हैं. जब एक जनप्रतिनिधि गाली-गलौज और असभ्य व्यंग्य करने पर उतर आता है तो ये ताकत नहीं, बल्कि असुरक्षा को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि मैं यह स्पष्ट रूप से कह दूं, मैंने जो कहा वह सार्वजनिक जवाबदेही और व्यक्तिगत आचरण के सवाल थे, जिनका सामना करने के लिए हर सार्वजनिक व्यक्ति को तैयार रहना चाहिए- चाहे वह पुरुष हो या महिला. अगर ये तथ्य असुविधाजनक या असहज करने वाले हैं तो जांच से बचने के लिए वैध आलोचना को "स्त्री-द्वेष" करार देना उचित नहीं है.
बनर्जी ने मोइत्रा पर पुरुष सहयोगी को 'यौन रूप से कुंठित' कहने का आरोप लगाया और इसे अपमानजनक करार दिया.
'अस्वीकार्य है अभद्र भाषा':
उन्होंने कहा, 'यदि ऐसी भाषा किसी महिला के खिलाफ इस्तेमाल की जाती तो देशव्यापी आक्रोश होता, लेकिन जब पुरुष इसका निशाना होता है, तो इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है. गाली तो गाली ही होती है, चाहे वह किसी भी जेंडर की हो. ऐसी टिप्पणियां ना सिर्फ अभद्र है, बल्कि किसी के लिए भी अस्वीकार्य है.'
टीएमसी नेता ने कहा कि अगर मोइत्रा सोचती हैं कि गंदी गालियां देने से उनकी नाकामियां छिप जाएंगी या उनके रिकॉर्ड पर गंभीर सवालों से ध्यान हट जाएगा तो वह खुद को धोखा दे रही हैं. जो लोग जवाब देने के बजाय गालियों पर भरोसा करते हैं, वे लोकतंत्र के पहरेदार नहीं हैं- वे इसकी शर्मिंदगी हैं और इस देश की जनता उनकी इस हरकत को समझ सकती है.
बता दें कि कल्याण बनर्जी का पूर्व क्रिकेटर और पार्टी सांसद कीर्ति आजाद के साथ भी सार्वजनिक विवाद हुआ था, जिसने तृणमूल कांग्रेस को पहले ही असहज स्थिति में डाल दिया था. ये घटनाएं पार्टी के अंदर आंतरिक मतभेदों को उजागर करती हैं, खासकर तब जब पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। बनर्जी के व्यवहार को लेकर पहले भी विवाद हो चुके हैं, जिसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ अनुचित टिप्पणी की थी और एक संसदीय समिति की बैठक में कांच की बोतल तोड़ने का मामला शामिल है। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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