- चरित्र हनन करने वाले राजनीतिक तत्वों का संरक्षण करना बंद करे ओडिशा पुलिस
ओडिशा के बालासोर में महाविद्यायीन छात्रा एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की कार्यकर्ता सौम्याश्री द्वारा की गई आत्मदाह की हृदयविदारक घटना में पुलिस प्रशासन द्वारा साक्ष्यों के विरुद्ध दो सहपाठी-विद्यार्थियों को देर रात्रि बंदी बनाना घोर पक्षपातपूर्ण घटनाक्रम है। जिससे गहरे राजनैतिक षड्यंत्र की बू आती है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पुलिस प्रशासन द्वारा अपने असली राजनीतिक आकाओं को बचाने के इस विफलतापूर्ण प्रयास की कड़ी निंदा करती है।छात्रा पर यौन शोषण के दबाव बनाने वाले विभागाध्यक्ष एवं कांग्रेस व बीजेडी के विद्यार्थी संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा सोशल मीडिया में चरित्र हनन के प्रयास और बारम्बार शासन एवं प्रशासन की अनसुनी के पश्चात बनी मानसिक प्रताड़ना की स्थिति में किए आत्मदाह के हृदयविदारक प्रकरण ने सम्पूर्ण समाज को झकझोर दिया है। यह प्रकरण मात्र एक आकस्मिक दुर्घटना नहीं है, बल्कि लंबे समय से चले आ रहे मानसिक और संस्थागत दबाव का परिणाम है, जिसने एक छात्रा को इतना असहाय और असुरक्षित महसूस कराया कि उसने यह दर्दनाक कदम उठाया। अभाविप का स्पष्ट मानना है कि सौम्याश्री द्वारा झेला गया अन्याय, उपेक्षा और उत्पीड़न इस त्रासदी के मूल कारण हैं। उसके प्रयास, शिकायतें और न्याय की पुकार बार-बार अनसुनी की गई, जिससे वह गहरे मानसिक संकट में पहुँच गई। घटना के बाद ओडिशा पुलिस का रवैया गंभीर चिंता का विषय है। पुलिस ने कांग्रेस व बीजेडी से संबद्ध छात्र संगठनों के पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की, जिन्होंने सौम्याश्री की यौन उत्पीड़न के खिलाफ चल रही लड़ाई को कमजोर करने के लिए उसका चरित्र हनन किया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। वहीं दूसरी ओर, अभाविप के वे कार्यकर्ता जिन्होंने सौम्याश्री को बचाने के लिए प्रयास किया और जिनमें वे स्वयं जलकर घायल हो गए और अस्पताल से हाल ही में बाहर आए (डिस्चार्ज हुए) तो, उन्हीं को पुलिस ने बंदी बना लिया। यह रवैया न केवल ओडिशा पुलिस की विफलता को दर्शाता है अपितु उसके पक्षपातपूर्ण रवैये को भी उजागर करता है। अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री, डॉ वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने मांग करते हुए कहा, "अभाविप इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और व्यापक जांच चाहती है। जांच का केंद्र केवल घटना तक सीमित न होकर उन मानसिक और संस्थागत कारणों की ओर होना चाहिए, जिन्होंने सौम्याश्री को आत्मदाह जैसा कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया। चरित्र हनन एवं मानसिक प्रताड़ना के दोषियों पर, चाहे वे किसी भी पद या संगठन से जुड़े हों, कठोर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।"अभाविप - ओडिशा पूर्व प्रांत की प्रांत मंत्री, कु. दीप्तिमयी प्रतिहारी ने कहा, "अभाविप इस प्रकरण में पुलिस को पूर्ण सहयोग देने के लिए तैयार है, परंतु यदि अभाविप के कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया गया और निर्दोषों को फंसाने का प्रयास जारी रहा तो विद्यार्थी परिषद मौन नहीं रहेगी। ओडिशा पुलिस द्वारा अभाविप कार्यकर्ताओं को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने के प्रयासों का कड़ा विरोध किया जाएगा। अभाविप स्पष्ट करती है कि वह पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष जारी रहेगी, लेकिन यदि पुलिस ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया तो परिषद इसे किसी भी स्थिति में सहन नहीं करेगी। जो लोग पीड़िता को बचाने के लिए आगे आए, उन पर कार्रवाई करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि ऐसे मामलों में सहयोगियों को ही अपराधी बनाया जाएगा तो भविष्य में कोई भी व्यक्ति पीड़ित की सहायता के लिए आगे आने से हिचकेगा।" ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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