- नेपाल में कैसे पैसे के बल पर होता है घुसपैठिए का खेल
भारत-नेपाल सीमा पर उत्तर बंगाल में सी कंपनी पानी टंकी 41वीं वाहिनी एसएसबी बार्डर इंटरैक्शन टीम ने लगभग डेढ़ बजे दिन में दो बांग्लादेशी नागरिकों को पुराने पुल पानी टंकी पर गिरफ्तार किया है। ये दोनों नेपाल से भारत में अवैध रूप से सीमा पार कर रहे थे। यह कार्रवाई बार्डर पीलर संख्या 90/1 के पास लगभग दो सौ मीटर भारतीय सीमा के भीतर की गई। पेशे से एक पिकअप ड्राइवर: पकड़े गए व्यक्तियों में नूर होसैन खोंडोकर पिता जाफर अहमद खोंडोकर ग्राम बौरपथोर, परशुराम पौरसभा परशुराम फेनी, बांग्लादेश और ओमर फारूक अरमान पिता टिपू खान कालिमारा, वार्ड संख्या 9, मदारीपुर सदर, मदरा 7900, बांग्लादेश शामिल है। संदिग्ध बांग्लादेशियों के पास से पांच मोबाइल फोन दो सिम कार्ड , नेपाली मुद्रा 17 सौ रुपये, बांग्लादेशी एक विकलांगता पहचान पत्र एवं एक बांग्लादेशी पहचान पत्र जब्त किया गया। पूछताछ में गिरफ्तार व्यक्ति नूर होसैन खोंडोकर ने बताया कि वह पेशे से एक पिकअप ड्राइवर है।
सिलहट-त्रिपुरा मार्ग से पहुंचा बिहार: एसएसबी की पुछताछ में बताया कि बांग्लादेश के सिलहट-त्रिपुरा मार्ग से एक बांग्लादेशी एजेंट सोहाग की सहायता से अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया था और उसके साथ ट्रेन से आठ महीने पहले नेपाल गया था। एजेंट सोहाग ने उसे रोमानिया भेजने का वादा किया और इसके लिए बारह लाख रुपया का मांग किया था। लगभग तीन महीने बाद एजेंट वापस बांग्लादेश चला गया और नूर होसैन खोंडोकर का पासपोर्ट भी अपने साथ ले गया, जिसके कारण वह नेपाल में ही फंसा रह गया।
हवाई मार्ग से काठमांडू पहुंचा फारूक: दूसरे गिरफ्तार व्यक्ति ओमर फारूक अरमान ने बीते आठ जनवरी को ढाका से काठमांडू हवाई मार्ग से यात्रा किया था, जो बांग्लादेशी एजेंट निसारुद्दीन की सहायता से हुआ। एजेंट ने उसे क्रोएशिया और फिर फ्रांस भेजने का वादा किया और इसके लिए बीस लाख रुपये लिए। अरमान ने काठमांडू के होटल बांग्ला में निवास किया। उसका नेपाल वीज़ा केवल एक महीने के लिए वैध था। वीज़ा की अवधि समाप्त होने के बाद उसकी मुलाकात नूर होसैन खोंडोकर से हुई।
वीजा खत्म होने के बाद नेपाल में फंसे: नेपाल में ही एक अन्य बांग्लादेशी एजेंट हसन ने उन्हें भारत के एजेंट फोनी राय का नंबर दिया और बताया कि वह उन्हें नीलफामारी (बांग्लादेश) होते हुए घर पहुंचा देगा। दोनों ने फोनी राय से संपर्क किया। जिसने उसे काकरविट्टा बुलाया और वहीं पर पच्चीस हजार नेपाली रुपये लिए। एजेंट ने उन्हें बताया कि वह इस धन को भारतीय मुद्रा में बदलने के बाद वापस आएगा। लेकिन एक घंटे से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी एजेंट नहीं लौटा। जिससे भ्रमित होकर दोनों ने ई रिक्शा कर पानीटंकी (बंगाल) का रुख किया और एसएसबी के हाथों पकड़ा गया। ( नेपाल बॉर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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