कर ले पूजा तो कालसर्प दोष से मुक्ति, मानसिक व पारिवारिक शांति, सर्प भय या किसी घटना की आशंका खत्म होना।
देशभर में आज नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। आज दुर्लभ मंगल-शिव योग भी बन रहा है। आपको बता दें कि मंगल दोष जन्मकुंडली का ऐसा दोष होता है जो व्यक्ति के पूरे जीवन को तहस नहस कर देता है।सावन महीने में त्योहारों की झड़ी लग गई है। जहां पर पहले सावन सोमवार के व्रत शुरू हुए थे अब आज देशभर में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव के परम भक्त नागदेव की पूजा की जाती है।यह पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को सर्पों के प्रति उदारता और रक्षा करने की भावना के साथ मनाया जाता है। धार्मिक दृष्टि से नाग पंचमी की पूजा करने का महत्व होता है। अगर आप नाग पंचमी के मौके पर नाग देवता की पूजा करते है, कालसर्प दोष, सर्प भय और जीवन में आने वाली अज्ञात बाधाएं समाप्त होती हैं।इस दिन नाग देवता की विशेष विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा होती है और कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष का प्रभाव भी कम होता है। सुख, शांति और समृद्धि की कामना के साथ यह पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। आइए इस दिन की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाग पंचमी कब है?
सावन पंचमी तिथि प्रारंभ - 28 जुलाई, रात्रि 11:24 बजे से
सावन पंचमी तिथि समाप्त - 30 जुलाई, रात्रि 12:46 बजे
उदय तिथि के अनुसार, नाग पंचमी का पर्व मंगलवार, 29 जुलाई को मनाया जाएगा।नाग पंचमी 2025 शुभ मुहूर्त
प्रातः 5:41 से 8:23 बजे तक। नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?नाग पंचमी के बारे में कई प्राचीन पुराणों में कथाएँ मिलती हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा महाभारत काल की है। उस समय, राजा जन्मेजय ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ से सर्पों का विनाश शुरू हुआ, फिर अपनी माता उत्तरा के अनुरोध पर आस्तिक मुनि ने सर्पों की रक्षा की। तभी से, सर्पों के सम्मान और रक्षा के लिए नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा। यह दिन नागों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है, जब भक्त नागों को जल, दूध और अन्य चीजें अर्पित करते हैं। साथ ही, यह पर्व विष और अनिष्ट से जीवन की रक्षा की कामना का भी प्रतीक है। भले ही इसे नागों की पूजा का दिन कहा जाता है, लेकिन वास्तव में यह पर्व प्रकृति और जीवन की रक्षा का संदेश देता है।
राहु-केतु के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं
नाग पंचमी के पावन अवसर पर नाग देवताओं की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। नाग देवता भगवान शिव के गणों में से एक माने जाते हैं। सावन माह में इनकी पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है और कुंडली में मौजूद सभी प्रकार के दोष नष्ट हो जाते हैं। विशेष रूप से, नाग पंचमी के दिन की गई पूजा राहु-केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करती है और व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं। यही कारण है कि यह पर्व प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
नाग पंचमी पूजन विधि
सबसे पहले, नाग पंचमी के दिन स्नान करके स्वच्छ और नए वस्त्र धारण करने चाहिए।
इसके बाद घर के मुख्य द्वार या पूजा स्थल पर नाग देवता का चित्र या मिट्टी का चित्र स्थापित करें।
फिर हल्दी, कुमकुम, अक्षत, दूध, जल, पुष्प और दूब से उनकी पूजा करें।
पूजा के दौरान नाग देवता को दूध में मिश्री या शहद मिलाकर अर्पित करना शुभ माना जाता है।
इसके बाद ॐ नमः नागाय या ॐ नागेन्द्राय नमः जैसे मंत्रों का जाप करना चाहिए।
नाग पंचमी के दिन व्रत रखने की भी परंपरा है, खासकर विवाहित महिलाएं संतान सुख और परिवार की रक्षा के लिए यह व्रत रखती हैं।
पूजा समाप्त होने के बाद, घर के आसपास मौजूद सांपों को नुकसान पहुँचाने से बचना चाहिए।
उनकी रक्षा के लिए उन्हें दूध पिलाने की भी परंपरा है, ताकि नाग देवता की कृपा बनी रहे।
नाग पंचमी का महत्व
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए न केवल खास होता है, बल्कि बेहद पवित्र भी माना जाता है। इस पावन माह में आने वाली नाग पंचमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। इस समय ऐसी मान्यता है कि नाग पृथ्वी के गर्भ से निकलकर धरती पर आते हैं, इसलिए इस दिन नाग देवताओं की पूजा का विशेष विधान है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं की पूजा करने से पितृ दोष, काल सर्प दोष और सर्प भय से मुक्ति मिलती है। यह पर्व सर्पों से सुरक्षा का प्रतीक होने के साथ-साथ अकाल मृत्यु, कर्ज और जीवन में आने वाली विभिन्न बाधाओं से सुरक्षा का संदेश भी देता है। साथ ही, जब नाग पंचमी मंगलवार के दिन पड़ती है, तो इसका प्रभाव और भी अधिक शक्तिशाली हो जाता है क्योंकि मंगलवार को मंगल और शक्ति की पूजा का दिन माना जाता है। इसी कारण मंगलवार को नाग पंचमी विशेष फलदायी होती है।
आज के दिन नाग देवता को दूध से स्नान कराना, पूजा करना और दूध अर्पित करना के नियम होते है। नाग पंचमी के मौके पर आठ नागों की पूजा का महत्व होता है। चलिए जानते है इसके लाभ और पूजा विधि…
किन आठ नागों की पूजा का होता है विधान
कहते है, नाग पंचमी के मौके पर अष्टनागों की पूजा का महत्व होता है जानते हैं इनके नाम और कौन से देवता को समर्पित है सभी अष्टनाग.. अनन्त : सृष्टि के आरंभ से लेकर अंत तक अनंत शक्तिशाली नाग की उपस्थिति दर्ज की जाती है। इस नाग को भगवान विष्णु की शय्या भी कहा जाता है।
शेषनाग :: अष्टनागों में से एक शेषनाग का नाता भगवान विष्णु से है। कहते हैं, भगवान विष्णु के सेवक और अनंत पृथ्वी को अपने फनों पर थामे हुए हैं। वासुकी : समुद्र मंथन के समय वासुकी नाग का उल्लेख मिलता है। वे भगवान शिव के गले में सुशोभित है। समुद्र मंथन के समय देवों और असुरों ने जिनके शरीर को मथनी की रस्सी बनाया था।
पद्म : अष्ट नागों में से एक यह जल तत्व से जुड़े नाग माने जाते हैं और समृद्धि तथा शांति के प्रतीक हैं।
महापद्म : अष्ट नागों में से एक यह ये हिमालय क्षेत्र में वास करते हैं और हिमनदीय ऊर्जा के प्रतीक हैं।तक्षक : अष्ट नागों में से एक इस नाग का नाम महाभारत काल से जुड़ा है। अर्जुन के वंशज राजा परीक्षित को दंश देने वाले। बहुत शक्तिशाली और प्रतिशोधी माने जाते हैं।कार्कोटक : ये नाग भगवान शिव के उपासक हैं और तपस्वी माने जाते हैं. इन्हें तांत्रिक शक्तियों का अधिपति भी कहा जाता है। कुलिक : न्यायप्रिय और धर्म की रक्षा करने वाले नाग के रुप में जानते है। कुछ ग्रंथों में इन्हें यमराज के दूत के रूप में भी वर्णित किया गया है।
जानिए कैसे होती है नाग पंचमी पर अष्टनागों की पूजा
यहां पर नागपंचमी के मौके पर आप अष्टनागों की पूजा कर सकते है जो काफी आसान है…इन आठों नागों के नाम लेकर दूध, अक्षत, कुश, चंदन, पुष्प, दूब घास अर्पित किए जाते हैं।यह पूजा दीवार पर नाग चित्र, मिट्टी के नाग या शिवलिंग पर दूध चढ़ाकर भी की जा सकती है।पूजन के समय "ॐ नमः सर्पेभ्यः" मंत्र का जाप किया जाता है। कहते है इस तरह से अष्टनागों की पूजा करने से लाभ मिलते है। कालसर्प दोष से मुक्ति, मानसिक व पारिवारिक शांति, सर्प भय या किसी घटना की आशंका खत्म होना। कुंडली के राहु-केतु दोष शांत होते है और संताना का भी सुख मिलता है। ( अशोक झा की कलम से )
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