- बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा ढाका का 'आंतरिक मामला': चीन
- बेटे ने कहा मां की जान बचा ने के लिए मोदी का धन्यवाद
बांग्लादेश में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है।बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद देशभर में हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, फैसले के बाद 24 घंटों के भीतर देश के अलग-अलग हिस्सों से कम से कम 1,649 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। फैसले के विरोध में कई जगहों पर तोड़फोड़ हुई, 40 से ज्यादा गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया और कई इलाकों में कॉकटेल बम फोड़े गए।पुलिस मुख्यालय के मीडिया विंग से जारी जानकारी के अनुसार, बीते 24 घंटों में सुरक्षा एजेंसियों ने 10 हथियार, 30.5 किलो बारूद, गोलियां और कॉकटेल बम बरामद किए हैं. इसके अलावा, ढाका महानगर पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच ने अलग-अलग छापों के दौरान सत्तारूढ़ अवामी लीग के पांच और नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है।पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ऐसे अभियान लगातार जारी रहेंगे, ताकि किसी भी संभावित तोड़फोड़, अचानक जुलूस या राजनीतिक गतिविधि को रोका जा सके, जो राजधानी की कानून-व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया भी आगे बढ़ रही है। इस बीच हसीना फिलहाल सुरक्षित भारत में मौजूद हैं। भारत की तरफ से अपदस्थ पीएम को इस तरह सुरक्षा दिए जाने पर शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने बुधवार को भारत सरकार की तारीफ की है और कहा है कि वे इसके लिए पीएम मोदी की सरकार के आभारी रहेंगे। अमेरिका के वर्जीनिया में रह रहे सजीब ने कहा, "भारत हमेशा से एक अच्छा दोस्त रहा है। संकट के समय भारत ने मेरी मां की जान बचाई है। अगर वो बांग्लादेश नहीं छोड़तीं, तो उग्रवादियों ने उनकी हत्या की योजना बना ली होती। इसलिए मैं अपनी मां की जान बचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सरकार का हमेशा आभारी रहूंगा।"
शेख हसीना के बेटे ने बांग्लादेश की न्यायिक प्रक्रिया पर उठाए सवाल
शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर सजीब ने कहा, "प्रत्यर्पण के लिए न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है। बांग्लादेश में एक अनिर्वाचित, असंवैधानिक और अवैध सरकार है। मेरी मां को दोषी ठहराने के लिए, उनके मुकदमे की सुनवाई तेज करने के लिए कानूनों में संशोधन किया गया। यानी इन कानूनों में अवैध रूप से संशोधन किया गया। मेरी मां को अपने बचाव पक्ष के वकील नियुक्त करने की अनुमति नहीं थी। ट्रायल से पहले ही अदालत के 17 जजों को बर्खास्त कर दिया गया, नए जज नियुक्त किए गए, जिनमें से कुछ को बेंच पर काम करने का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था और वे राजनीतिक रूप से जुड़े हुए थे। इसलिए, कोई उचित प्रक्रिया नहीं थी। प्रत्यर्पण के लिए उचित प्रक्रिया का होना आवश्यक है।"
अमेरिका से दबाव के सवाल पर क्या बोले सजीब?
अमेरिकी सरकार की ओर से उन पर कोई दबाव बनाए जाने के सवाल पर शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने कहा, "नहीं, हमें किसी भी तरह की कोई धमकी नहीं मिली है। बस एक मामूली समस्या यह थी कि अमेरिका एकमात्र ऐसा देश था, जिसने हमारे 2024 के चुनावों पर नकारात्मक बयान जारी किया था। इसके अलावा, चुनावों को सभी ने शांतिपूर्ण माना था। इसलिए कोई सीधा दबाव नहीं था। अब, अमेरिका में एक बिल्कुल नई सरकार है। स्थिति पूरी तरह से अलग है। हमने दृष्टिकोण में एक बहुत ही स्पष्ट बदलाव देखा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने खुद इस साल की शुरुआत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की थी कि पिछले प्रशासन ने यूएसएआईडी के माध्यम से बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन पर लाखों डॉलर खर्च किए थे। वह पिछले साल हुए विरोध प्रदर्शनों का जिक्र कर रहे थे। अमेरिका का रवैया निश्चित रूप से बदल गया है, और वे बांग्लादेश में आतंकवाद के खतरे और इस्लामवाद के उदय को लेकर पिछले प्रशासन से कहीं ज्यादा चिंतित हैं।"
'यूनुस की अंतरिम सरकार के पास बिल्कुल समर्थन नहीं'
सजीब वाजेद ने आगे बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "अगर मोहम्मद यूनुस लोकप्रिय होते, तो वे चुनाव क्यों नहीं कराते और फिर देश को वैधता से क्यों नहीं चलाते? वे डेढ़ साल से बिना चुनाव कराए सत्ता में बने हैं। असल में उनके पास बिल्कुल भी जनसमर्थन नहीं है। छात्रों की तरफ से गठित राजनीतिक दल- एनसीपी (नेशनल सिटिजन पार्टी), बांग्लादेश में हुए सभी चुनावों में 2% वोट हासिल कर रही है। उनकी लोकप्रियता कभी भी 2% से ऊपर नहीं गई। यूनुस और छात्रों की पार्टी की लोकप्रियता लगभग न के बराबर है। इसलिए वे बिना चुनाव के सत्ता में बने हुए हैं।
उन्होंने आगे कहा, "हमारी सरकार की नीति सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखने की रही है। हमने चीन, भारत और अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखे। यूनुस सरकार चीन के और करीब आने की कोशिश कर रही है। उन्होंने चीन की कई राजकीय यात्राएं की हैं। यहां तक कि हमारी विपक्षी पार्टी, बीएनपी, भी चीन से सीधे संपर्क साध रही है। हमारे लिए, बेल्ट एंड रोड पहल बस परिवहन को सुगम बनाने के लिए एक आर्थिक पहल थी। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मौत की सजा के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने सोमवार को हसीना और पूर्व गृह मंत्री आसदुज्जमान खान कमाल को 'मानवता के खिलाफ अपराधों' के लिए फांसी की सजा सुनाई।चीन ने मंगलवार को कहा कि बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा ढाका का 'आंतरिक मामला' है। चीन ने इस घटनाक्रम पर आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
चीन ने क्या कहा?: चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक प्रेस वार्ता में फैसले के बारे में पूछे जाने पर कहा, "यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है।" माओ ने कहा कि चीन बांग्लादेश के सभी लोगों के प्रति अच्छे पड़ोसी और मैत्रीपूर्ण नीति के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ''हमें पूरी उम्मीद है कि बांग्लादेश एकजुटता, स्थिरता और विकास हासिल करेगा।''
भारत में रह रही हैं शेख हसीना: बांग्लोदश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके सहयोगी, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को पिछले वर्ष के छात्र विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए सोमवार को उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई थी। हसीना पिछले साल 5 अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश छोड़कर भारत में रह रही हैं।
भारत ने भी दी है प्रतिक्रिया: बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ आए मौत के फैसले पर भारत के विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए इस फैसले को संज्ञान में लिया है। बयान में कहा गया कि भारत, एक करीबी पड़ोसी होने के नाते, हमेशा बांग्लादेश के लोगों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें उस देश में शांति, लोकतंत्र, समावेशिता और स्थिरता को बनाए रखना शामिल है। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत भविष्य में भी बांग्लादेश के सभी पक्षों से रचनात्मक और सकारात्मक तरीके से जुड़ा रहेगा। इस फ़ैसले के बाद देश के कई हिस्सों में तोड़फोड़ की घटनाएँ हुईं, जिनमें 40 से ज़्यादा वाहनों में आग लगा दी गई और कॉकटेल के धमाके हुए। बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले साल जुलाई में हुए प्रदर्शनों से संबंधित मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के आरोपों में दोषी पाए जाने के बाद मौत की सज़ा सुनाई। आईसीटी ने हसीना के दो शीर्ष सहयोगियों को भी दोषी ठहराया, पूर्व गृह मंत्री असदुज़्ज़मान खान कमाल को मौत की सज़ा सुनाई और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून, जो सरकारी गवाह बन गए थे, को पाँच साल की कैद की सज़ा सुनाई। बांग्लादेश के प्रमुख बंगाली दैनिक 'प्रथम अलो' की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस मुख्यालय की मीडिया शाखा से मंगलवार को भेजे गए एक संदेश के अनुसार, अधिकारियों ने पिछले 24 घंटों में 10 आग्नेयास्त्र, 30.5 किलोग्राम बारूद, गोला-बारूद और कॉकटेल बम ज़ब्त किए हैं। इस बीच, ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा (डीबी) ने राजधानी में अलग-अलग छापों में अवामी लीग के पाँच अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। पुलिस सूत्रों के हवाले से, बांग्लादेश के प्रमुख बंगाली दैनिक 'जुगंटोर' ने बताया कि गिरफ्तार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही जारी रहने तक, राजधानी में तोड़फोड़, अचानक जुलूस और कानून-व्यवस्था को कमजोर करने वाली राजनीतिक गतिविधियों को रोकने के लिए ऐसे अभियान जारी रहेंगे। फैसले के बाद, सोमवार को ढाका के धानमंडी 32 में हिंसा भड़क उठी, जहाँ झड़पों ने इलाके को युद्धक्षेत्र में बदल दिया। सुरक्षाकर्मियों सहित लगभग 50 लोग घायल बताए गए।
बांग्लादेश के संस्थापक और हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान का घर धनमंडी 32 में स्थित है। प्रदर्शनकारियों ने कई राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया और राजधानी और दक्षिण एशियाई देश के अन्य इलाकों में तैनात सुरक्षा बलों के साथ झड़पें कीं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठियों, ध्वनि ग्रेनेड और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, सोमवार देर रात किशोरगंज जिले में बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल हामिद के घर पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई। प्रथोम अलो की रिपोर्ट के अनुसार, हसीना को सजा सुनाए जाने के बाद, इस फैसले का जश्न मनाने के लिए इलाके में एक जुलूस निकाला गया था, तभी 20-30 लोगों की भीड़ ने पूर्व राष्ट्रपति के घर पर हमला कर दिया। लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित पूर्व प्रधानमंत्री हसीना के खिलाफ फैसले के बाद दक्षिण एशियाई देश में स्थिति गंभीर बनी हुई है। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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