कोलकाता लॉ कॉलेज के अंदर दीवार पर लिखा है, "मोनोजीत दादा हमारे दिलों में हैं, और अब यह कॉलेज कैंपस कालेज की ही एक छात्रा के साथ बलात्कार की घटना के कारण सुर्खियों में है। "मोनोजीत दादा" का मतलब है मोनोजीत मिश्रा, जो बलात्कार मामले का मुख्य आरोपी है और इसी कॉलेज का एक पूर्व छात्र है, जिसने कॉलेज से स्नातक करने के बाद भी कैंपस में बहुत प्रभाव रखता था। कॉलेज के छात्रों का कहना है कि मोनोजीत, जिसे उसके दोस्त "मैंगो" कहते थे, का कैंपस में बहुत प्रभाव था, इतना कि सभी उससे डरते थे। रिपोर्ट के अनुसार, उसके खिलाफ पहले भी उत्पीड़न और छेड़छाड़ की कई शिकायतें दर्ज की गई थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। कैसे पुजारी का बेटा बन गया ऐसा उपद्रवी: मोनोजीत के पिता, रॉबिन मिश्रा, कालीघाट में पुजारी हैं, और उसकी मां न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से पीड़ित हैं। रॉबिन मिश्रा ने इंटरव्यू में कहा है कि उन्होंने अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए बहुत मेहनत की, लेकिन राजनीति में शामिल होने और अक्सर होने वाले झगड़ों के कारण उन्होंने उससे पूरी तरह से रिश्ता तोड़ दिया। मोनोजीत पास ही रहता था और केवल अपने पिता के घर पर दिए जाने वाले दस्तावेज़ लेने आता था। रॉबिन मिश्रा ने कहा है कि मोनोजीत लगभग चार साल से अलग रह रहा था। पड़ोसियों का दावा है कि मोनोजीत, जिसका उपनाम पपाई है, एक उपद्रवी था जो अक्सर शराब पीकर झगड़ता रहता था। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि उसकी एक गर्लफ्रेंड थी, जो एक वकील भी थी, जो अक्सर उससे मिलने आती थी। होनहार था मोनोजीत, बन गया कैंपस का हीरो: एक समय में कानून के क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाला मोनोजीत होनहार छात्र था जिसने 2007 में कोलकाता कॉलेज में दाखिला लिया और 2012 में उसका कोर्स पूरा हो जाता, लेकिन पढा़ई के दौरान, वह कैंपस की राजनीति में शामिल हो गया था। 2011 में, तृणमूल पार्टी की सरकार बंगाल में सत्ता में आई। मोनोजीत ने अपना कोर्स पूरा करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ दी। उसने 2017 में फिर से दाखिला लिया और 2022 में पास हो गया। उसकी प्रोफाइल में "आपराधिक वकील" लिखा है, लेकिन उसके पिता ने बताया है कि वह कोर्टरूम की तुलना में कैंपस में अधिक समय बिताया करता था। उसके साथ कई वफादार लोग थे: 2017 में, मोनोजीत कथित तौर पर कॉलेज के प्रिंसिपल के कार्यालय में तोड़फोड़ की घटना में शामिल था। तृणमूल ने तब कॉलेज की पार्टी इकाई को भंग कर दिया और मोनोजीत, आधिकारिक तौर पर, अब पार्टी में किसी पद पर नहीं रहा। लेकिन कोलकाता के कई अन्य कॉलेजों की तरह लॉ कॉलेज में भी 2017 से कोई छात्रसंघ चुनाव नहीं हुआ है। इसलिए, जमीनी स्तर पर, मोनोजीत अभी भी नेता था। दिलचस्प बात यह है कि 2023 में, पास आउट होने के एक साल बाद, मोनोजीत ने कॉलेज में एक कैजुअल, क्लेरिकल स्टाफ के रूप में काम करना शुरू किया और कॉलेज प्रशासन द्वारा उसका नियुक्ति पत्र जारी किया गया। रिपोर्टों के अनुसार, उसे अपने काम के लिए प्रतिदिन 500 रुपये मिलते थे। यह अजीब है कि एक वकील इस काम को क्यों स्वीकार करेगा। लेकिन कहा जा रहा है कि कैंपस में उसके प्रभाव के कारण ऐसा किया गया। तुई अमाय बिये कोरबी ( तुम मुझसे शादी करोगी): एक रिपोर्ट के अनुसार, कैंपस में लड़कियों के लिए मोनोजीत अक्सर एक पिक-अप लाइन यूज करता था "तुई अमाय बिये कोरबी?" (क्या तुम मुझसे शादी करोगी?) जब उसने पहली बार कैंपस में रेप की 24 वर्षीय पीड़िता से बातचीत की तो उसने यही लाइन इस्तेमाल की। कॉलेज के छात्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मोनोजीत छात्राओं की तस्वीरें खींचता था, उन्हें मॉर्फ करता था और उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर करता था। नेता और उसका गिरोह फिर उन्हें बॉडी शेम करता था और कैंपस में उनके बारे में अफवाहें फैलाता था। कुछ छात्रों ने कहा है कि वे मोनोजीत से इतने डरे हुए थे कि उन्होंने कॉलेज जाना बंद कर दिया था।
25 जून को क्या हुआ: लॉ कॉलेज में हुए रेप मामले की पीड़िता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि मोनोजीत और दो अन्य आरोपियों प्रमित मुखर्जी और जैब अहमद ने उसे 25 जून की शाम करीब 7 बजे कॉलेज के यूनियन रूम में बुलाया। जब वह यूनियन रूम में पहुंची, तो मोनोजीत ने उससे तृणमूल की छात्र शाखा के प्रति "अपनी वफादारी साबित करने" के लिए कहा। उसे कुछ गड़बड़ लगी और उसने वहां से निकलने की कोशिश की, लेकिन उसे दूसरे कमरे में खींच लिया गया और वहां उसके साथ बलात्कार किया गया। आरोपियों ने वीडियो बनाए और उसे चुप रहने की धमकी दी। जांच में शामिल पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि कैंपस के सीसीटीवी फुटेज ने पीड़िता के बयान की पुष्टि की है और दिखाया है कि उसे उस कमरे में जबरन ले जाया गया, जहां अपराध हुआ था। मामले में गार्ड समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ( अशोक झा की कलम से )
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