भारत के पड़ोसी मुल्क चीन विस्तारवादी नीति पर काम करता है। मध्य एशिया का अहम देश मंगोलिया उसकी इसी विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं के लक्ष्यों में से एक है। ड्रैगन की उसपर नजर रहती है।हाल के कुछ वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों में तल्खी आयी है। पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्ते पहले से तनावपूर्ण हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से विदाई के बाद दोनों देशों के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए हैं। वहीं नेपाल में भी चीन लगातार अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है। मौजूदा समय में श्रीलंका और भूटान के साथ भारत के रिश्ते अच्छे है। श्रीलंका में हाल ही में भारत को सामरिक तौर पर एक महत्वपूर्ण बंदरगाह के संचालन की जिम्मेदारी मिली है। वहीं चीन के साथ डोकलाम विवाद के दौरान भारत के लिए भूटान का समर्थन काफी महत्वपूर्ण था। भारत और भूटान के संबंध काफी अच्छे रहे है। इस संबंध को नयी दिशा देने के लिए सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी सोमवार को चार दिवसीय भूटान यात्रा के लिए रवाना हुए है। भारत और भूटान के रक्षा सहयोग को और अधिक मजबूत करने की दिशा में इस यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भूटान की राजधानी थिम्पू में जनरल द्विवेदी राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात करेंगे साथ ही भूटान के सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बट्टू शेरिंग के साथ विभिन्न सामरिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे. इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को और बेहतर बनाना है। साथ ही भारत-भूटान के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी और पारस्परिक विश्वास को नयी दिशा देना है। गौरतलब है कि इसी साल रॉयल भूटान सेना के मुख्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल बट्टू शेरिंग भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए थे और भारत ने भूटान को रक्षा तैयारियों के लिए हर संभव मदद देने का भरोसा दिया था।
सामरिक तौर पर भारत के लिए महत्वपूर्ण है भूटान: भारत की सीमा चीन और भूटान के साथ लगती है. डोकलाम को लेकर भूटान और चीन अपना दावा करते हैं। चीन डोकलाम पठार के आसपास गांव बसाने की कोशिश लंबे समय से करता रहा है। अगर डोकलाम में चीन की स्थिति मजबूत होगी तो इससे भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए खतरा पैदा हो सकता है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर उत्तर-पूर्व के राज्यों से देश के संपर्क का एक अहम साधन है। इसलिए चीन लगातार भूटान और भारत से लगी सीमा पर गतिविधि बढ़ा रहा है. ऐसे में भारत के लिए भूटान के साथ संबंध बनाए रखना सामरिक तौर पर काफी मायने रखता है। वैसे तो भूटान और भारत के संबंध काफी समय से अच्छे रहे हैं। लेकिन बदलते वैश्विक परिदृश्य और चीन की बढ़ती हरकत को देखते हुए दोनों देशों के बीच सैन्य और आर्थिक संबंधों को नयी दिशा देना जरूरी है।
सेना प्रमुख की यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच स्थायी द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के साथ ही पारंपरिक मित्रता और सहयोग को नयी गति प्रदान करता है।संभावना है कि इस यात्रा के दौरान डोकलाम विवाद और चीन की बढ़ती गतिविधि पर चर्चा हो सकती है। गौरतलब है कि वर्ष 2017 में डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 73 दिनों तक गतिरोध बना था. चीन द्वारा डोकलाम ट्राई-जंक्शन सड़क बनाने की कोशिश का भारत ने विरोध किया और इसके कारण दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। ( भूटान बॉर्डर से अशोक झा )
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