- लातों का भूत बातों से नहीं मानता, या यूं कहे कुत्ते का दुम नहीं होता सीधा
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए ताजा युद्धविराम समझौते को महज चार घंटे में ही पाकिस्तान ने तोड़ दिया। जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन हमले और भारी गोलाबारी शुरू कर दी है।।यह ड्रोन हमला अब अन्य राज्यों में भी ही रहा है। जहां पाकिस्तान ने शनिवार (10 मई) को अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर कई स्थानों पर संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन किया, जबकि दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बनने के कुछ ही घंटे बाद ऐसा किया गया। लोगों और सेना के कई अधिकारियों का कहना है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। या यूं ही कहे कि कुत्ते का दुम का ही सीधा नहीं होता। अब पाकिस्तान का स्थाई इलाज जरूरी है। इस नए हमला से जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव फिर से बढ़ गया है.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,पाकिस्तानी सेना ने अखनूर, राजौरी और आरएस पुरा सेक्टरों में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलाबारी की. वहीं, जम्मू के पलांवाला सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर भी संघर्ष विराम उल्लंघन की खबरें हैं. इसके अलावा बारामूला में विस्फोटों की खबरें आईं, और एक ड्रोन को मार गिराए जाने और क्षेत्र में एक संदिग्ध मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) देखे जाने की खबरें आईं हैं।हालांकि, इससे कुछ घंटे पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पहले घोषणा की थी कि दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) के बीच समझौता हुआ है. उन्होंने कहा था, "पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ को आज दोपहर 15:35 बजे कॉल किया. यह सहमति हुई कि 17:00 बजे भारतीय मानक समय से जमीन, हवा और समुद्र में सभी गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयां बंद होंगी." हालांकि, शाम 9 बजे से ही जम्मू के अखनूर, पुंछ और कुपवाड़ा सेक्टरों में पाकिस्तान ने गोलाबारी शुरू कर दी।
पाकिस्तानी सेना ने तुर्की निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल कर भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की. भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने कई ड्रोन को मार गिराया, लेकिन कुछ रिहायशी इलाकों में नुकसान की खबरें हैं. जम्मू के उरी और राजौरी में नागरिक संपत्तियों को क्षति पहुंची। भारत की जवाबी कार्रवाई: भारतीय सेना ने पाकिस्तान की इस हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया। बीएसएफ और सेना ने नियंत्रण रेखा पर सतर्कता बढ़ा दी है।
पाकिस्तान बन गया पूरी तरह हमास : पहलगाम हमले के पहले जिस तरह पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने हिंदू-मुस्लिम किया . पहलगाम हमले के बाद जिस तरह पाक मंत्रियों ने परमाणु हमले की धमकी दी वो सब यूं ही नहीं है. दरअसल पाकिस्तान से एक जिम्मेदार देश होने की उम्मीद की ही नहीं जा सकती है. अमेरिका जैसे ताकतवर देश से पाकिस्तान ओसामा बिन लादेन को छुपाता रहा. अमेरिका ने बिना बताए एबटाबाद में अपना ऑपरेशन किया. उसे पता था कि पाकिस्तान इतना जिम्मेदार देश नहीं है कि उस पर भरोसा किया जा सके. यही कारण है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह मान लेना कि पाकिस्तान से आतंकवादियों का खात्मा कर लिया जाएगा , बहुत बड़ी भूल होगी. भारतीय सेनाओं को पाकिस्तान से बहुत लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। पाकिस्तान हमास बन चुका है. इसके पीछे एक नहीं दर्जनों तर्क दिए जा सकते हैं। हमास ने इजरायली बंधकों को गाजा में करीब 55 हजार लोगों के मारे जाने के बाद भी रिहा नहीं किया। गाजा में जितने लोग मारे गए हैं उससे भी अधिक गंभीर रूप से घायल हैं। गाजा के पास न खाने के लिए भोजन है और न ही रहने के लिए मकान है पर जंग लड़कर गाजी बनने का जज्बा कायम है। चूंकि पाकिस्तान की भी हालत गाजा और हमास वाली हो गई है इसलिए भारतीय फौजों को तैयार रहना है कि यह जंग कभी खत्म नहीं होने वाली है। जैसे आज शनिवार दोपहर को पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा है कि भारत कार्रवाई रोके पाकिस्तान भी रोकने के लिए तैयार है। पर भारतीय फौज को पाकिस्तानियों के झांसे में आने की जरूरत नहीं है। पाकिस्तानी हार मान लेंगे, युद्ध रोक देंगे पर आतंकी भेजकर पहलगाम जैसी घटनाओं को अंजाम देते रहेंगे. इसलिए जरूरी है कि भारत को अब इजरायल की तरह जीना होगा. आतंकवादियों को लगातार उनके बिल से निकालकार मारना होगा. जिस तरह इजरायल लगातार हमास के खिलाफ अभियान चलाता रहता है बिल्कुल उसी तरह लगातार अभियान चलाना होगा. ऐसा कहने के पीछे बहुत से कारण हैं । आइये देखते हैं।पाकिस्तान पर आतंकवाद को पालने-पोसने का आरोप: भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, और कई अन्य देशों ने लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने, प्रशिक्षण देने, और वित्तीय मदद प्रदान करने का आरोप लगाया है. यह आरोप विशेष रूप से भारत के खिलाफ सक्रिय संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), और हक्कानी नेटवर्क से जुड़ा रहा है.
2008 में लश्कर-ए-तैयबा ने मुंबई पर अटैक किया. इस हमले में 166 लोग मारे गए. हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को पाकिस्तान लगातार संरक्षण देता रहा है. संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने LeT को आतंकी संगठन घोषित किया है. 2019 पुलवामा हमला, 2025 पहलगाम हमला, संसद पर हमला, मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लॉस्ट, कांधार विमान हाईजैक आदि दर्जनों ऐसी घटनाएं हैं जिसमें पाकिस्तान सरकार का सीधे-सीधे आतंकियों को फंडिंग, ट्रेनिंग आदि देने का सबूत मिला था।यही कारण रहा कि पाकिस्तान को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया ठीक नहीं रही. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने 2018 से 2022 तक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा, क्योंकि वह आतंकवादियों की फंडिंग को रोकने में विफल रहा. 2022 में उसे ग्रे लिस्ट से हटाया गया, लेकिन हाल के हमलों ने फिर से सवाल उठाए हैं. 5 मई 2025 की UNSC बैठक में, सदस्यों ने पहलगाम हमले में LeT की संभावित भूमिका पर विचार किया. 2017 में, तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बताया था।पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने के ठोस सबूत हैं, विशेष रूप से भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ सक्रिय संगठनों के मामले में. हालांकि, वह स्वयं TTP जैसे समूहों से प्रभावित है, जो उसकी दोहरी नीति को दर्शाता है-कुछ आतंकी समूहों को समर्थन देना, जबकि दूसरों का विरोध करना. यह नीति पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करती है, जैसा कि UNSC की 5 मई 2025 की बैठक में देखा गया, जहां उसे अपने नैरेटिव के लिए समर्थन नहीं मिला।इस्लाम और दीन के नाम पर लड़ाई;
पाकिस्तान की स्थापना 1947 में एक इस्लामिक राष्ट्र के रूप में हुई थी, और इस्लाम उसकी राष्ट्रीय पहचान का अभिन्न हिस्सा है. संविधान में इस्लाम को राजकीय धर्म घोषित किया गया है. पाकिस्तानी सेना और सरकार ने अक्सर भारत के खिलाफ अपनी नीतियों को इस्लाम की रक्षा या कश्मीर के मुसलमानों की आजादी से जोड़ा है। पाकिस्तान अपनी सैन्य और रणनीतिक ताकत को इस्लाम और धार्मिक विचारधारा के आधार पर केंद्रित करता है, जिसे वह युद्ध या संघर्ष में इस्तेमाल करता है. इतना ही नहीं पाकिस्तान अपने परमाणु बम को इस्लामिक बम की संज्ञा देता रहा है. भारत भी पाकिस्तान को एक ऐसे देश के रूप में देखता रहा है कि जो धार्मिक उन्माद को भड़काकर भारत के खिलाफ जिहादी ताकतों को बढ़ावा देता है. लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन अपनी विचारधारा को इस्लाम और जिहाद से जोड़ते हैं. ये संगठन कश्मीर में आज़ादी और भारत के खिलाफ जिहाद का नारा देते हैं।LeT के संस्थापक हाफिज सईद ने खुले तौर पर जिहाद की वकालत की है और पाकिस्तान में उसे सार्वजनिक मंच मिले हैं, हालांकि वह अब औपचारिक रूप से हिरासत में है. पहलगाम हमले (2025) में हमलावरों ने कथित तौर पर धार्मिक आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाया, जो धार्मिक उग्रवाद का संकेत देता है। पाकिस्तान में कई मदरसों पर जिहादी विचारधारा को बढ़ावा देने का आरोप है. उदाहरण के लिए, दारुल उलूम हक्कानिया जैसे संस्थानों ने तालिबान नेताओं को प्रशिक्षित किया है. पाकिस्तान की नीतियों में इस्लाम और धार्मिक बयानबाजी की भूमिका निश्चित रूप से मौजूद है, विशेष रूप से कश्मीर और भारत के खिलाफ आतंकी संगठनों को प्रोत्साहित करने में। पाक नेताओं के कट्टरपंथियों वाले बयान
हाल ही में पाक नेताओं ने जिस तरह के इस्लामी कट्टरपंथ वाले बयान दिए हैं उससे साफ लगता है कि भारत के खिलाफ उनकी लड़ाई हमास के लेवल पर लड़ी जानी है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम मदरसों के बच्चों का इस्तेमाल करेंगे. ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में कहा, 'जहां तक मदरसों का, मदरसों के छात्रों का ताल्लुक है. इसमें कोई शक नहीं है कि वो हमारी सेकेंड डिफेंस लाइन है. वहां जो नौजवान पढ़ते हैं. दीन के साथ वास्ता है और उसके साथ उन्होंने जो फरमाया, उनको शहरी और दूसरी जरूरतों के लिए 100 फीसदी इस्तेमाल किया जा सकता है।।जनरल आसिम मुनीर, पाकिस्तान के सेना प्रमुख, ने हाल के महीनों में कई बयान दिए हैं, जिनमें इस्लामी विचारधारा और धार्मिक बयानबाजी का उपयोग प्रमुखता से देखा गया है. असीम मुनीर एक हाफिज-ए-कुरान हैं, यानी उन्होंने कुरान को पूरी तरह से याद किया है. 17 अप्रैल 2025 को इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानिस कन्वेंशन में मुनीर ने एक भड़काऊ भाषण दिया. उन्होंने दो-राष्ट्र सिद्धांत को जोर देकर दोहराया और कहा कि हिंदू और मुसलमान हर तरह से अलग हैं-धर्म, रीति-रिवाज, परंपराएं, विचार, और महत्वाकांक्षाएं. उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की जुगुलर वेन (नस) बताया और कश्मीरियों के भारतीय कब्जे के खिलाफ संघर्ष में पाकिस्तान के समर्थन की बात की। मुनीर अपने भाषणों में कुरान की आयतों और इस्लामी शब्दावली जैसे जिहाद फी सबीलिल्लाह (अल्लाह के रास्ते में जिहाद), ईमान, तकवा (विश्वास, पवित्रता), और रियासत-ए-मदीना (पैगंबर द्वारा स्थापित पहला इस्लामी राज्य) का बार-बार उल्लेख करते हैं. मुनीर पाकिस्तानी सेना को शहीदों की सेना मानते हैं. उनका दावा है कि रियासत-ए-मदीना के बाद, पाकिस्तान दूसरा राज्य है जो कलमा के आधार पर बना है. यही कारण है कि भारतीय मीडिया मुनीर को जिहादी जनरल का नाम देता है. माना जाता है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले कुछ दिन पहले मुनीर के भड़काऊ भाषण के चलते हुआ.
पाकिस्तान की तुलना 'हमास' से: हमास एक फिलिस्तीनी इस्लामिक संगठन है, जिसे दुनिया के अधिकतर देश आतंकी संगठन मानते हैं. हमास की छवि हिंसक गतिविधियों, रॉकेट हमलों, और इज़रायल के साथ संघर्ष से जुड़ी है. पाकिस्तान, एक संप्रभु राष्ट्र होने के बावजूद, आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने, परमाणु बयानबाजी करने, और क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाने में संलिप्त है. यही कारण है कि भारत और दुनिया भर के तमाम देश पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में देखते हैं।
पाकिस्तान पर लंबे समय से लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन देने का आरोप है. पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) में LeT की भूमिका की बात सामने आई है।इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानीज कन्वेंशन में जनरल असीम मुनीर ने एक भड़काऊ भाषण दिया, जिसमें उन्होंने दो-राष्ट्र सिद्धांत को दोहराया और कहा कि हिंदू और मुसलमान हर तरह से अलग हैं-धर्म, रीति-रिवाज, परंपराएं. उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की जुगुलर वेन बताया और कश्मीरियों के भारतीय कब्जे के खिलाफ संघर्ष में समर्थन की बात की. ये बातें ऐसी ही हैं जैसे कि हमास और इजरायल के बीच होती हैं. हमास यहूदियों के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता है. ठीक उसी तरह का व्यवहार मुनीर कर रहे हैं और पाकिस्तान को हमास जैसा संगठन बना रहे हैं।मुनीर अपने इस भाषण में जिहाद फी सबीलिल्लाह (अल्लाह के रास्ते में जिहाद), ईमान, तकवा, और रियासत-ए-मदीना जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. जाहिर ऐसी बातें दुनिया में किसी भी देश का सेना प्रमुख या राष्ट्र प्रमुख नहीं करता है. ऐसी बातें सिर्फ हमास जैसे आतंकी संगठन ही करते हैं। ( बोर्डर से अशोक झा )
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