- आम चुनाव से पहले अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की बढ़ी मुश्किलें
- इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्राइब्यूनल एक्ट में संशोधन करने का निर्णय
बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा: पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद निर्वासित जीवन यापन को मजबूर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का मुश्किलें कम हाेने का नाम नहीं ले रही है। आम चुनाव काे लेकर बांग्लादेश लौटने की योजना बना रही शेख हसीना के सामने अब नई मुश्किलें आ खड़ी हुई हैं, जिसके तहत बांग्लादेश आम चुनाव से पहले शेख हसीना की राजनीतिक पार्टी का रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो सकता है। बांग्लादेश में तख्तापलट के शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा था, जिसके तहत मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहा है। इसी कड़ी में बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल करने की मांग होने लगी है। ऐसे में माना जा रहा है कि अंतरिम सरकार जल्द ही आम चुनाव करा सकती है। माना जा रहा है कि दिसंबर 25 से जून 26 के बीच बांग्लादेश में आम चुनाव हो सकते हैं। सीमा पार से जो खबरें आ रही है उसके अनुसार एडवाइजरी काउंसिल की विशेष बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया। इस मीटिंग की अध्यक्षता अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कर रहे थे। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर बैन लगा दिया है। इस बैन में अवामी लीग के ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स पर होने वाली गतिविधियां भी शामिल हैं। बैठक में इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्राइब्यूनल एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी गई। यह भी निर्णय लिया गया कि इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्राइब्यूनल एक्ट (ICT Act) में संशोधन किया जाएगा। इसके बाद बांग्लादेश में किसी भी राजनीतिक दल, उसके समर्थक या सहयोगी संगठनों को सजा दी जा सके। इस संशोधन के बाद अब अवामी लीग और उससे जुड़े संगठनों पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत कार्रवाई संभव होगी। प्रेस विंग द्वारा जारी बयान में कहा गया,"एडवाइज़री काउंसिल की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि अवामी लीग की सभी गतिविधियां-ऑनलाइन और ऑफलाइन-तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित रहेंगी, जब तक कि ICT एक्ट के तहत चल रहे मुकदमे की कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती।"बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि यह निर्णय देश की सुरक्षा, संप्रभुता और जुलाई आंदोलन के नेताओं व गवाहों की सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया है। बैठक में यह भी तय किया गया कि जुलाई 2024 में हुई घोषणाओं को अगले 30 दिनों के भीतर पूरी तरह लागू किया जाएगा। लीगल एडवाइज़र आसिफ़ नज़रुल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फैसले की जानकारी दी और बताया कि अवामी लीग पर प्रतिबंध को लेकर सर्कुलर अगले कार्यदिवस में जारी कर दिया जाएगा। जनता और छात्रों के दबाव में लिया गया फैसला: बीते कुछ दिनों में बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) और अन्य संगठनों ने अवामी लीग को 'आतंकवादी संगठन' घोषित कर प्रतिबंधित करने की मांग उठाई थी। एनसीपी के दक्षिणी क्षेत्र के आयोजक हसनत अब्दुल्ला ने इसक विरोध की शुरुआत की थी। इनके नेतृत्व में गुरुवार रात से ही अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के आवास के सामने धरना जारी था। इसके बाद स्टूडेंट्स यूनियन, इस्लामी छात्र शिबिर, यूनाइटेड पीपुल्स बांग्लादेश (UPB) जैसे संगठन भी इस आंदोलन में शामिल हो गए।शनिवार दोपहर शाहबाग चौराहे पर बड़ी जनसभा का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए और देर रात तक अंतरिम सरकार के फैसले पर जश्न मनाते रहे। एनसीपी के संयोजक नाहिद इस्लाम ने फेसबुक पर एक पोस्ट में चुनाव आयोग से अवामी लीग का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की अपील की। अंतरिम सरकार के सलाहकार सजीब भुइयां ने भी अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर कहा कि यह कार्रवाई न्यायिक प्रक्रिया के तहत हो रही है और इसके लिए ICT एक्ट में सभी संशोधन किए जा चुके हैं। 15 साल के शासन का अंत: गौरतलब है कि अगस्त 2024 में हुए जन आंदोलन के कारण अवामी लीग का 15 साल पुराना शासन समाप्त हो गया था। उसके बाद से शेख हसीना ने भारत में शरण ले रखी है। नई अंतरिम सरकार कई बार हसीना के प्रत्यर्पण की मांग भारत से कर चुकी है। 23 अक्टूबर 2024 को गृह मंत्रालय ने अवामी लीग के छात्र संगठन बांग्लादेश छात्र लीग पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था।मंत्रालय ने इसे आतंकवाद विरोधी अधिनियम 2009 के तहत प्रतिबंधित घोषित किया था। इस संगठन पर हत्या, यातना, बलात्कार, छात्रावासों में सीट ट्रेडिंग और यौन उत्पीड़न जैसे संगीन आरोप लगे हैं। नोटिफिकेशन के अनुसार, "15 जुलाई से शुरू हुए छात्र आंदोलनों के दौरान छात्र लीग के कार्यकर्ताओं ने निहत्थे छात्रों और आम जनता पर हमले किए, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई।"अवामी लीग के अन्य सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई हुई है। अंतरिम सरकार के सलाहकार सजीब भुइयां ने घोषणा की कि अवामी लीग के सहयोगी संगठन जैसे युवा लीग और स्वेच्छाचारी लीग पर भी प्रतिबंध की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।इतिहास में पहली बार पार्टी पर आतंकवाद कानून के तहत कार्रवाई: 1949 में स्थापित अवामी लीग ने पहले पूर्वी पाकिस्तान और बाद में 1971 के मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज उसी पार्टी पर आतंकवाद कानून के तहत कार्रवाई हुई है, जो बांग्लादेश की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। इस फैसले के बाद अब बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा को लेकर तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। क्या बांग्लादेश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को खतरा है या यह कदम राष्ट्र की सुरक्षा और शांति के लिए जरूरी था-यह आने वाला समय बताएगा।
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