बांग्लादेश में आज अक्षय तृतीया के दिन सनातनियों की बड़ी जीत हुई है। बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने आज इस्कॉन के पूर्व नेता चंदन कुमार धर उर्फ चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के एक मामले में जमानत दे दी। जस्टिस मोहम्मद अताउर रहमान और जस्टिस मोहम्मद अली रजा की पीठ ने चिन्मय द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।
बता दें कि शेख हसीना के शासन के खात्मे के बाद चिन्मय दास बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के लिए एक प्रमुख आवाज के रूप में उभरे थे. इसके बाद उन्हें 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में ढाका पुलिस की जासूसी ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया था। अपनी गिरफ्तारी के बाद उन्होंने 26 नवंबर को चटगांव के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था. तब से वह जेल में थे. चिन्मय दास के वकील ने कोर्ट में उनकी जमानत के लिए कई बार याचिकाएं दयर की थी, लेकिन खारिज कर दिया जा रहा था. 2 जनवरी को उनकी एक जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार जाने के बाद यहां हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसक घटनाएं शुरू हो गई थी. इस दौरान उन्होंने समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई थी और हिंसक घटनाओं की आलोचना की थी. उनपर बांग्लादेश के झंडे का अपमान करने का आरोप लगा था. उनके किलाफ देशद्रोह की धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। चटगांव की एक अदालत ने पिछले साल चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद हुई झड़पों के दौरान अदालत परिसर में एक मुस्लिम वकील की मौत से संबंधित मामले में 63 हिंदू वकीलों को अंतरिम जमानत दी थी. उनके खिलाफ इस अपराध के संबंध में मामले दर्ज किए गए थे। (बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा)
सनातनियों की बड़ी जीत बांग्लादेश में इस्कॉन के पूर्व नेता चंदन कुमार धर उर्फ चिन्मय कृष्ण दास को मिली जमानत
अप्रैल 30, 2025
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