बांग्लादेश चुनाव से पहले हिंसा की आग में जल रहा है। इसी बीच भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सीमा पर हाई अलर्ट जारी किया है, क्योंकि उन्हें अवैध प्रवासियों के बड़े पैमाने पर घुसपैठ का डर है। बांग्लादेश में दाउद इब्राहिम गैंग और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) ड्रग्स नेटवर्क का सबसे बड़ा अड्डा बना रही है. यह खुलासा इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट में हुआ है। हाल के दिनों में दाउद से जुड़े डी-सिंडिकेट गैंग को बांग्लादेश में काफी एक्टिव देखा गया है। आईएसआई के एजेंट भी इस काम में अहम भूमिका निभा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक भारत पाकिस्तान से संचलित हो रहे ड्रग्स कारोबार पर लगातार शिकंजा कस रहा है, जिससे दाउद गैंग और आईएसआई में हड़कंप मचा है। अब दोनों ने बांग्लादेश को इसका नया ठिकाना बनाने का फैसला किया है।बांग्लादेश से संचलित होगा गैंग, 2 कारण: बांग्लादेश को ड्रग्स नेटवर्क का अड्डा बनाने के पीछे 2 अहम कारण बताए जा रहे हैं। पहला कारण यह है कि बांग्लादेश की नई सरकार पाकिस्तान को लेकर सॉफ्ट है। पाकिस्तान से ड्रग्स का कारोबार अगर हटता है तो उसे कई मोर्चों पर राहत मिल सकती है। पाकिस्तान पर ड्रग्स बेचकर आतंकियों को फंड करने का आरोप लगता रहा है। बांग्लादेश में इस नेटवर्क के सेट होने से पाकिस्तान पर सीधा इसका आरोप नहीं लगेगा। UNODC की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल तकरीबन 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर का अवैध ड्रग्स तस्करी होता है। दूसरी तरफ बांग्लादेश में ड्रग्स नेटवर्क तैयार होने से वहां पैसे की आमदनी होगी। तस्करी करने वाले लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार भी मिलेगा. बांग्लादेश में सरकार बदलने के बाद से ही महंगाई की मार देखने को मिल रही है. लोग रोजगार को लेकर परेशान हैं। बॉर्डर पर लगातार पकड़े जा रहे हैं तस्कर: पिछले कुछ दिनों पर बांग्लादेश बॉर्डर पर लगातार ड्रग्स और तस्कर पकड़े जा रहे हैं. कमिला बॉर्डर पर मंगलवार (04 नवंबर) को बांग्लादेश सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने 12 किलो मारिजुआना की बरामदगी की। इसी तरह कुछ दिन पहले बांग्लादेश असम बॉर्डर से करीब 10 लाख टका का ड्रग्स बरामद हुआ।अधिकांश ड्रग्स भारत और बांग्लादेश सीमा के जरिए ही भेजा जा रहा है. कहा जा रहा है कि बॉर्डर के जरिए सुचारु रूप से ड्रग्स नेटवर्क को चलाने के लिए डी-गैंग ने स्थानीय माफियाओं के साथ गठजोड़ भी किया है। रिपोर्ट में म्यांमार का भी जिक्र है। यानी डी-गैंग के इस काम में म्यांमार भी खुलकर मदद कर सकता है। वर्तमान में म्यांमार पर जुंटा आर्मी का कब्जा है. जहां पाकिस्तान ने हाल के दिनों में जैश के लड़ाकों को भेजा था।अधिकारियों का यह भी कहना है कि वहां की सुरक्षा एजेंसियां अपने देश में स्थिति को नियंत्रित करने में व्यस्त हैं, इसलिए कई आईएसआई समर्थक संगठन पहले से ही भारत में बड़े पैमाने पर घुसपैठ की योजना बना रहे हैं।
इस साजिश के तहत लाखों लोगों को भारतीय सीमा के पास भेजा जाएगा, जिसका स्पष्ट उद्देश्य व्यवस्था को ध्वस्त करना होगा। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव नजदीक आने पर यह प्रयास और भी तेज होगा, और यही वह समय है जब सतर्क रहने की जरूरत है। वही दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में चुनाव बेहद कड़े मुकाबले वाले होंगे और सुरक्षा एजेंसियां कुछ हद तक हिंसा की आशंका जता रही हैं। आईएसआई इस स्थिति का फायदा उठाकर बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों को देश में भेजने की कोशिश करेगी। अधिकारियों का कहना है कि बांग्लादेश में एक बेहद खतरनाक साजिश रची जा रही है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इस स्थिति से बहुत सावधानी से निपटना होगा। अवैध प्रवासियों से व्यवस्था को भंग करने की कोशिश के साथ-साथ, आईएसआई अधिक से अधिक आतंकवादियों को भी भेजने की कोशिश कर रही है। इस साजिश के तहत बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को एक साथ घुसपैठ के लिए भेजा जाएगा। एक ओर जहां आईएसआई पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े पैमाने पर जनसांख्यिकीय परिवर्तन करने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर वह इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में आतंकवादियों को भेजना चाहती है। बता दें कि शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के बाद से आईएसआई ने बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाया है और उसने विशेष रूप से भारत भेजने की साजिश के तहत कई आतंकवादियों को ट्रेनिंग भी दी है। खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी का कहना है कि असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में कम दृश्यता वाले मार्गों और नदी घाटियों पर घुसपैठ का खतरा सबसे अधिक है। अधिकारी ने आगे कहा कि घुसपैठिए इन क्षेत्रों में मौजूद वन क्षेत्र का भी फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। बांग्लादेश में आईएसआई समर्थित समूहों ने पिछले कुछ महीनों में कई रोहिंग्याओं की पहचान की और उनकी आर्थिक तंगी का फायदा उठाया। उन्हें पकड़कर विशेष शिविरों में भेज दिया जाता है। उनमें से अधिकांश को आतंकी गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जाता है। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि एक साल से अधिक समय से बन रहे इन शिविरों में हजारों बेबस बांग्लादेशी और रोहिंग्या रहते हैं। उन्हें वित्तीय लाभ का लालच देकर आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है।ISI दर्जनों आतंकवादियों को भारत में भेजने के विशेष इरादे से उन्हें प्रशिक्षित भी किया है। खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी का कहना है कि घुसपैठ का खतरा असम, त्रिपुरा और बंगाल में नदी मार्गों तथा कम दृश्यता वाले मार्गों पर है।
अधिकारी ने कहा, ये तत्व वन क्षेत्र का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। बांग्लादेश में आइएसआइ समर्थित संगठनों ने विगत कई महीनों में बड़ी संख्या में रोहिंग्याओं की पहचान की और उनकी आर्थिक तंगी का फायदा उठाया। उन्हें उठाया जाता है और फिर ट्रेनिंग कैंप में भेज दिया जाता है। उनमें से अधिकांश को आतंक-संबंधी गतिविधि में प्रशिक्षित किया गया है।
सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक साल से अधिक समय से बन रहे इन कैंपों में हजारों हताश बांग्लादेशी और रो¨हग्या रहते हैं। उन्हें पैसों का लालच दिया जाता है और फिर किसी आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए फंसा दिया जाता है।
ISI व्यवस्था ध्वस्त करने की स्पष्ट मंशा के साथ ये संगठन लाखों लोगों को भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने की फिराक में हैं। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि बंगाल में आगामी चुनाव के नजदीक होने से घुसपैठ कराने की पुरजोर कोशिश होगी। यह सावधान रहने का समय है। बंगाल में चुनाव के दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने हिंसा की भी आशंका जताई है। आइएसआइ इसका फायदा उठाएगी और फिर उस समय बड़ी संख्या में घुसपैठियों को भारत में धकेलने की कोशिश करेगी। अधिकारियों का कहना है कि यह एक बहुत ही भयावह साजिश है जो बांग्लादेश में रची जा रही है।
एक ही समय में बांग्लादेशियों और रोहिंग्या दोनों को घुसपैठ कराने की साजिश है। एक ओर जहां आइएसआइ बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े पैमाने पर जनसांख्यिकीय परिवर्तन का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर, वह इन क्षेत्रों में कई आतंकवादियों को भेजना चाहती है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद आइएसआइ ने बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाया है। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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