पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने अपनी नयी पार्टी बना ली है। पूर्व पुलिस अधिकारी सिराजुल हक मंडल उनकी पार्टी में शामिल हुए हैं। हुमायूं ने सिराजुल हक मंडल को बारासात से बंगाल विधानसभा का चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है। सोमवार को हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में अपने नये दल 'जनता उन्नयन पार्टी' का गठन किया. इस अवसर पर सिराजुल भी मौजूद थे।इस मौके पर कबीर ने ऐलान किया कि उनका लक्ष्य विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करना है। बेलाडांगा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कबीर ने दावा किया, "ममता बनर्जी 2026 में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ नहीं लेंगी; वह पूर्व मुख्यमंत्री होंगी। वह अब वैसी नहीं रहीं जैसी मैं उन्हें जानता था और अब वह आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं।" उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करना है। राज्य में विधानसभा चुनाव होने में छह महीने से भी कम समय बचा है। कबीर ने कहा, "हमारी पार्टी राज्य के आम आदमी और उनके उत्थान के लिए आवाज उठाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नई पार्टी का नाम रखते समय उन्होंने जानबूझकर कांग्रेस या तृणमूल से जुड़ा कोई भी नाम, संकेत या अंश नहीं रखा, ताकि यह साफ दिखे कि उनकी नई पार्टी पूरी तरह अलग पहचान वाली है। भरतपुर के विधायक कबीर ने आठ उम्मीदवारों के नाम बताए जिन्हें उनकी नई पार्टी 2026 के विधानसभा चुनावों में मैदान में उतारेगी, और कहा कि वह खुद रेजिनगर और बेलडांगा से चुनाव लड़ेंगे, ये दोनों सीटें 2021 में तृणमूल कांग्रेस ने जीती थीं। उन्होंने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को उन्हें हराने की चुनौती देते हुए कहा, "मैं जिन दोनों सीटों से चुनाव लड़ूंगा, उन दोनों से जीतूंगा। कबीर ने अपनी पार्टी का घोषणापत्र जारी किया और कहा कि चुनाव चिन्ह के लिए उनकी पहली पसंद 'मेज' होगी, जिस पर उन्होंने 2016 के राज्य चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, बशर्ते उन्हें निर्वाचन आयोग की मंजूरी मिल जाए, जबकि 'दो गुलाब' उनकी दूसरी पसंद होगी। उन्होंने पार्टी का झंडा भी जारी किया, जिसमें पीले, हरे और सफेद रंग हैं।कबीर ने भगबंगोला और रानीनगर सीटों से अपने हमनामों को पार्टी उम्मीदवार घोषित किया। उन्होंने मुर्शिदाबाद से मनीष पांडे और दक्षिण कोलकाता के बालीगंज से निशा चटर्जी को उम्मीदवार बनाया। हाजी इबरार हुसैन को पश्चिम मिदनापुर के खड़गपुर ग्रामीण से, मुस्केरा बीबी को मालदा के बैसनाबनगर से और वहीद-उर-रहमान को दक्षिण दिनाजपुर के हरिरामपुर से प्रत्याशी घोषित किया।उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा, "हम आपको बाद में ही बता पाएंगे कि हम अंततः कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।" कबीर ने इससे पहले घोषणा की थी कि वह राज्य विधानसभा की 294 सीटों में से 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का इरादा रखते हैं।तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि इस तरह की पार्टियां पहले भी बनी हैं और गुमनामी में चली गई हैं। उन्होंने कहा, "यह सांप्रदायिक उकसावे के अलावा और कुछ नहीं है।" वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आरोप लगाया कि कबीर तृणमूल कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने में मदद करने के लिए काम कर रहे हैं। बाबरी मस्जिद जैसी मस्जिद बनाने की कबीर की घोषणा के बाद मचे बवाल के बीच तृणमूल कांग्रेस ने चार दिसंबर को उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था। छह दिसंबर को कबीर ने रेजिनगर में मस्जिद की नींव रखी थी। छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था।
कबीर का पिछले 10 वर्षों में राज्य की लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों से संबंध रहा है।साल 2015 में, उन्हें तृणमूल कांग्रेस ने छह साल के लिए पार्टी से "निष्कासित" कर दिया था, क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की थी और आरोप लगाया था वह पार्टी प्रमुख अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को 'राजा' बनाने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने 2016 के विधानसभा चुनाव में रेजिनगर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार रबीउल आलम चौधरी से हार गए। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए, जिसकी उस समय जिले में काफी मजबूत उपस्थिति थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी ने उन्हें मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया और वह तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बाद तीसरे स्थान पर रहे। इसके बाद वह टीएमसी में वापस लौट आए और 2021 में भरतपुर से विधायक बने। इधर मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यकों को एकजुट होने का आह्वान किया और कहा आप साथ दे तो मैं उस दिन इसे रोक दूंगी, जब बीजेपी को देश से खत्म कर दिया जाएगा. मैं बीजेपी को देश से खत्म करके ही दम लूंगी। ममता ने कहा कि अगर मैं बंगाल जीतती हूं, तो मैं उनसे दिल्ली छीन लूंगी।
दरअसल, बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं।।इससे पहले वहां SIR को लेकर जबरदस्त बवाल चल रहा है। ममता लगातार बीजेपी और चुनाव आयोग पर हमलावर है। ममता ने कहा कि बीजेपी वाले हमारा वोट देने का अधिकार छीनना चाहते हैं, तानाशाही चल रही है।
ये सब 2026 में BJP को जिताने के लिए हो रहा: ममता ने कहा कि 58 लाख नाम हटाने के बाद भी वे 1.5 करोड़ नाम डिलीट करना चाहते हैं. चुनाव आयोग हर 2 दिन में निर्देश बदल रहा है. ये सब 2026 में BJP को जिताने के लिए हो रहा है. कई वोटर रोज परेशान हो रहे हैं. ऐप में गड़बड़ी है. SIR और ऐप के लिए कोई SOP नहीं है। यह असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है. 2002 में बंगाल में कितने डिलीवरी इंस्टीट्यूशन थे? 43 साल पहले बर्थ सर्टिफिकेट कहां था? उन्होंने चुनाव आयोग का जमीन पर कोई कंट्रोल नहीं है. गुजरात से केंद्र सरकार के कर्मचारी बंगाल में वोट करवाने क्यों आएंगे? क्या यह लोकतंत्र है? जो लोग महात्मा का नाम हटाते हैं, वे देश से कितना प्यार करते हैं, यह सवालिया निशान है।उन्होंने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल में रहना है, तो यहां के वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवायें और बिहार की मतदाता सूची से अपना नाम कटवा लें।।तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) करीब 1.5 करोड़ मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने की कोशिश कर रही है।।यह लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने जैसा है. बर्धमान जिले में दूसरे राज्यों, खासकर बिहार से मोटरसाइकिलें लायी जा रही हैं और चुनाव के लिए बाहरी लोगों को लाने की कोशिश हो रही है। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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