- टीएमसी के बागी विधायक कबीर ने कहा हर हाल में लाखों लोगों के साथ करेंगे शिलान्यास
- राज्यपाल का रुख सख्त, विवादित ढांचा विध्वंस के 33 साल बाद कबीर के इस ऐलान से क्या है सियासी मायने
बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता हुमायूं कबीर मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की बुनियाद रखने पर आमादा हैं। टीएमसी से सस्पेंड होने के बाद उनके तेवर और सख्त हो गए हैं। हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद के बेलडांगा गांव की उसी जगह से बात की, कहा जहां वो 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखने का दावा कर रहे हैं। हुमायूं कबीर ने इससे पहले जिस जमीन पर मस्जिद की नींव रखने की बात कही थी, उसके मालिक ने साफ किया था कि यहां पेट्रोल पंप बनेगा, मस्जिद नहीं। हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद की आठ कट्टा की वो जमीन दिखाई, जहां वो कल नींव रखेंगे। उन्होंने इस कार्यक्रम में दो लाख की भीड़ आने का दावा भी किया। हालांकि ममता बनर्जी ने हुमायूं कबीर से पल्ला झाड़ लिया है।
बाबरी मस्जिद की नींव रखने के ऐलान के साथ मुर्शिदाबाद के तमाम इलाकों में गांव-गांव में इसकी होर्डिंग, पोस्टर और पर्चे भी बांटे गए हैं। इस पोस्टर और पर्चों में बाबरी मस्जिद का डिजाइन भी दिखाया गया है। अयोध्या में 6 दिसंबर को विवादित ढांचा विध्वंस के 33 साल बाद कबीर के इस ऐलान से सियासी हल्कों में घमासान मचा हुआ है।बाबरी मस्जिद के शिलान्यास का मामला कलकत्ता हाई कोर्ट तक पहुँच गया है। बंगाल के मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बनाने का प्रस्ताव संविधान के खिलाफ है।
कोलकाता हाई कोर्ट का अहम निर्देश: इस बीच, कोलकाता हाई कोर्ट ने सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए बाबरी मस्जिद मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजॉय पॉल और जस्टिस पार्थ सारथी सेन ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान यह बात कही। हालांकि, कोर्ट ने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। उसने बाबरी मस्जिद के शिलान्यास समारोह को रोकने का आदेश जारी करने से मना कर दिया। कोर्ट ने प्रशासन को शांति बनाए रखने का निर्देश दिया।बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने स्पष्ट किया है कि मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। राज्यपाल ने कहा कि संविधान चुपचाप तमाशा नहीं देखता रहेगा।हुमायूं पहले ही पार्टी से निलंबित किए जा चुके हैं और अब इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है।राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि ऐसी किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी जो कानून-व्यवस्था को प्रभावित करे। उन्होंने राज्य सरकार से पूछा है कि यदि TMC विधायक हुमायूं कबीर के बयान तनाव पैदा कर रहे हैं, तो उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं की जा रही। राज्यपाल ने चेतावनी जारी कर अधिकारियों को सतर्क रहने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।
विधायक हुमायूं कबीर की घोषणा पर विवाद
TMC विधायक हुमायूं कबीर, जो बेलडांगा से विधायक हैं, जिन्होंने कुछ समय पहले घोषणा की कि वे मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की याद में एक बड़ी मस्जिद की नींव रखेंगे। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम 6 दिसंबर को होगा और इसमें गैर-मुस्लिम मेहमान जैसे रामकृष्ण मठ के संन्यासी और फकीर भी शामिल होंगे। कबीर ने स्थानीय प्रशासन को 'आरएसएस एजेंट' बताते हुए चेतावनी दी कि अगर शांतिपूर्ण कार्यक्रम में बाधा डाली गई, तो वे जवाब देने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि NH-34 को 'मुस्लिम नियंत्रण' में लाया जाएगा और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आपत्ति के बावजूद कार्यक्रम जारी रहेगा। हालांकि, प्रस्तावित जगह के मालिक ने मस्जिद निर्माण की अनुमति से इनकार कर दिया है और इलाका सील कर दिया गया है। राज्यपाल बोस का बयान और कार्रवाई
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं। उन्होंने ममता बनर्जी सरकार से सवाल किया कि अगर कबीर के बयान सामाजिक तनाव बढ़ा रहे हैं, तो उनके खिलाफ रोकथाम कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही। बोस ने चेतावनी दी कि भारत विरोधी किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और राज्य को अराजकता की ओर धकेलने की कोशिशें नाकाम होंगी। यह कदम जनता की शिकायतों और सामाजिक तनाव की आशंका के बाद उठाया गया है।
दूसरी तरफ, TMC ने कबीर के बयानों से दूरी बनाई है। राज्य मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने कहा कि यह घोषणा एक 'खतरनाक माहौल' पैदा करने की साजिश है और यह मुस्लिम समुदाय को फायदा नहीं पहुंचाएगी। TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने कबीर को महत्वहीन बताते हुए कहा कि लोग ममता बनर्जी पर भरोसा करते हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल: वकील सब्यसाची चट्टोपाध्याय ने कोलकाता हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. यह याचिका कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजय पाल की खंडपीठ में जमा की गई है. याचिका में मांग की गई है कि 6 दिसंबर को होने वाले बाबरी मस्जिद शिलान्यास कार्यक्रम पर रोक लगाई जाए. सब्यसाची का कहना है कि हुमायूं की टिप्पणी और शिलान्यास की अपील संविधान विरोधी है. इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होने की संभावना है। हुमायूं पिछले कुछ महीनों से पार्टी लाइन से हटकर बयान दे रहे थे. तृणमूल के भीतर उनकी गतिविधियों को लेकर नाराजगी बढ़ रही थी. इसी बीच उन्होंने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद शिलान्यास का आह्वान कर दिया, जिस दिन तृणमूल "एकजुटता दिवस" मनाती है. इस घोषणा के बाद पार्टी में असंतोष और बढ़ गया. मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी ने खुलकर कहा कि हुमायूं "बीजेपी के इशारे" पर काम कर रहे हैं. इसके बाद शुक्रवार को मंत्री फिरहाद हाकिम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुमायूं को पार्टी से निलंबित कर दिया।टीएमसी का आरोप - बीजेपी की मदद कर रहे हुमायूं: फिरहाद हाकिम ने कहा कि जब पार्टी राज्य में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है, हुमायूं ऐसी बातें करके माहौल बिगाड़ रहे हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि हुमायूं की मस्जिद शिलान्यास की घोषणा का उद्देश्य आगामी चुनावों में बीजेपी की मदद करना है.
निलंबित किए जाने के बाद हुमायूं कबीर ने भी बड़ा हमला बोला. उनका कहना है, मुख्यमंत्री मुसलमानों को मस्जिद बनाने से रोक रही हैं. सरकारी पैसों से मंदिर बनाए जा रहे हैं, न्यूटाउन में 1100 करोड़ की जमीन पर मंदिर खड़ा हो रहा है. तृणमूल सिर्फ दिखावा करती है और मुसलमानों को धोखा देती है. उन्होंने यह भी कहा कि वह तृणमूल छोड़ देंगे और मुख्यमंत्री जो करना चाहें कर लें।ममता बनर्जी का शांतिपूर्ण संदेश
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बिना नाम लिए कहा कि मुर्शिदाबाद के लोग दंगा पसंद नहीं करते. हम 6 दिसंबर को एकजुटता दिवस मनाते हैं. सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना चाहते हैं। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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