बंगाल सरकार को तुष्टिकरण का पर्याय माना जाता है।क्योंकि सत्ताधारी टीएमसी को एक मुश्त मुस्लिमों का वोट मिलता है। 2026 चुनाव सत्ताधारी सरकार और पार्टी नेत्री ममता बनर्जी के लिए मुश्किल खड़ी हो रही है। एक ओर जहां बागी विधायक हुमायूं कबीर जहां सीएम ममता को पूर्व मुख्यमंत्री बनने का ऐलान कर चुके है वही दूसरी ओर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में AIMIM पूरी तरह सक्रिय होकर ममता के खिलाफ अभियान शुरू किया है। चर्चा है कि हुमायूं कबीर अपने नई पार्टी लॉन्च कर 2026 के विधानसभा चुनावों में 135 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो हुमायूं कबीर तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के लिए राज्य का असदुद्दीन ओवैसी साबित हो सकते हैं।
पश्चिम बंगाल के विधायक और सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस (TMC) से निलंबित नेता हुमायूं कबीर ने गुरुवार को कहा कि वह कल (शुक्रवार, 5 दिसंबर को) पार्टी से इस्तीफा दे देंगे। 6 दिसंबर को मुर्शीदाबाद में बाबरी मस्जिद बनाने का ऐलान कर सुर्खियों में आए हुमायूं कबीर ने कहा है कि वह 22 दिसंबर को अपनी नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं। TMC से निलंबित विधायक ने कहा, "मैं कल टीएमसी से इस्तीफा दे दूंगा। अगर जरूरत पड़ी तो मैं 22 दिसंबर को नई पार्टी की घोषणा करूंगा।
कबीर ने कहा कि उन्हें पार्टी जिला अध्यक्ष ने बैठक के लिए बुलाया था। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मैं यहां जिला अध्यक्ष के साथ बैठक के लिए आया हूं, बाद में प्रतिक्रिया दूंगा। लेकिन मुझे पार्टी से निलंबित किया गया है, विधायक के तौर पर नहीं, पहले बैठक तो होने दीजिए।" इससे पहले आज, टीएमसी ने कबीर को उनकी उस टिप्पणी के लिए निलंबित कर दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि वह 6 दिसंबर को राज्य के मुर्शिदाबाद जिले में बाबरी मस्जिद की नींव रखेंगे।अचानक बाबरी मस्जिद क्यों? कोलकाता के मेयर और टीएमसी नेता फिरहाद हकीम के मुताबिक, कबीर को उनके बयानों के बारे में पहले ही 'चेतावनी' दी गई थी और ऐसे में उनके इरादों पर सवाल उठाते हुए पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया है। कोलकाता के मेयर और राज्य मंत्री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हमने देखा कि मुर्शिदाबाद के हमारे एक विधायक ने अचानक घोषणा की कि वह बाबरी मस्जिद का निर्माण करेंगे। अचानक बाबरी मस्जिद क्यों? हमने उन्हें पहले ही चेतावनी दी थी। हमारी पार्टी, टीएमसी के फैसले के अनुसार, हम विधायक हुमायूं कबीर को निलंबित कर रहे हैं।"सत्ताधारी तृणमूल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं
हुमायूं कबीर के नए सियासी दांव से सत्ताधारी तृणमूल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि उनके नए दल के गठन से पार्टी को मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लग सकती है। ऐसी चर्चा है कि हुमायूं कबीर अपने नई पार्टी लॉन्च कर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में 135 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो हुमायूं कबीर तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के लिए राज्य का असदुद्दीन ओवैसी साबित हो सकते हैं। यानी मुस्लिम वोट तोड़ सकते हैं क्योंकि उनकी बाबरी मस्जिद बनाने के ऐलान से मुस्लिम जमात का एक बड़ा हिस्सा खुश है। उन्हें लगता है कि हुमायूं कबीर उनके दिल की मुराद पूरी कर सकते हैं। हालांकि, यह तब तक संभव नगीं है, जब तक कि राज्य सरकार उन्हें जमीन मुहैया न करवा दे।मुर्शीदाबाद में 70 फीसदी मुस्लिम: बता दें कि मुर्शीदाबाद राज्य के उन जिलों में शामिल है जहां मुसलमानों की आबादी 70 फीसदी से ज्यादा है। हुमायूं मुर्शीदाबाद में ही बाबरी मस्जिद बनाने की बात कर चुके हैं। जानाकारों का कहना है कि हुमायूं कबीर खुद को मुस्लिमों के कट्टर नेता के रूप में पेश कर रहे हैं और बाबरी मस्जिद के बहाने कई मुस्लिम संगठनों का साथ उन्हें मिल रहा है। अगर मुस्लिमों के बीच हुमायूं लोकप्रिय होते हैं तो वह ममता का यह वोट बैंक बंट सकता है। 2019 में भाजपा में हुए थे शामिल
दरअसल,ममता की जीत में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी भूमिका रही है। भाजपा लंबे समय से इस वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश करती रही है। इसी कड़ी में भाजपा ने हुनायूं कबीर पर भी दाने डाले थे। हुमायूं कबीर 2019 में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और लोकसभा चुनाव भी लड़े थे लेकिन हार के बाद फिर से टीएमसी में शामिल हो गए और 2021 में भरतपुर से विधायक बने थे।.बंगाल के सीमावर्ती जिलों में एक्टिव हुए ओवैसी, AIMIM ने TMC को मात देने के लिए बनाया ये प्लान । पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले AIMIM ने मालदा व मुर्शिदाबाद में सक्रियता बढ़ाई है. बिहार में सफलता के बाद पार्टी डोर-टू-डोर अभियान चलाकर अल्पसंख्यक परिवारों से जुड़ रही है. वक्फ जैसे मुद्दों को उठाकर तृणमूल को चुनौती दी जा रही है, जिससे राज्य में सियासी समीकरण बदलने के संकेत मिल रहे हैं।पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है. चुनाव से पहले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) एक्टिव हो गयी है. शाम होते ही AIMIM के कार्यकर्ता गांवों में पहुंच रहे हैं और डोर-टू-डोर कैंपेन कर रहे हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने हाल ही में हुए बिहार असेंबली इलेक्शन में पांच सीटें जीती हैं और उसके बाद उन्होंने वेस्ट बंगाल में अपनी एक्टिविटी बढ़ा दी है. मुर्शिदाबाद के साथ-साथ मालदा में भी बड़ी संख्या में लोग AIMIM में शामिल हुए हैं। AIMIM की ओर से कहा गया कि वह मालदा की 12 असेंबली सीटों में से हर एक पर अपने कैंडिडेट उतारेगी। इनमें से सात असेंबली सीटों पर खास ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने एक नई स्ट्रैटेजी बनाई है. सूत्रों के मुताबिक, शाम को, खासकर अंधेरा होने के बाद, गांवों में जाकर माइनॉरिटी परिवारों से कॉन्टैक्ट किया जा रहा है. कुछ लोग कह रहे हैं कि राज्य में सत्ताधारी पार्टी ने मुसलमानों को धोखा दिया है, तो कुछ कह रहे हैं कि तृणमूल मुसलमानों का इस्तेमाल कर रही है. कुछ लोग अब मुसलमानों से एकजुट होकर राज्य सरकार बदलने की अपील कर रहे हैं।सीमावर्ती इलाकों में एक्टिव हुए AIMIM के कार्यकर्ता।इलाके में पोस्टर और तोरण लगाए जा रहे हैं. तृणमूल और दूसरी पार्टियों के माइनॉरिटी को AIMIM में शामिल होने के लिए रिक्रूट किया जा रहा है. AIMIM को पहले ही बड़ी कामयाबी मिल चुकी है. गांवों में बहुत से लोग जुड़ रहे हैं. बूथ बेस्ड कमेटियां बनाई जा रही हैं. AIMIM ने बहुत निचले लेवल से ऑर्गनाइजेशन बनाना शुरू कर दिया है. असदुद्दीन ओवैसी के मालदा आने और पब्लिक मीटिंग करने की भी तैयारी चल रही है। AIMIM का मेन फोकस इन सात असेंबली सीटों पर है – मालदा साउथ में सुजापुर, मोथाबारी, मानिकचक और मालदा नॉर्थ में हरिश्चंद्रपुर, चंचल, रतुआ, मालतीपुर. इसके अलावा साउथ में इंग्लिश बाजार असेंबली सीट को भी खास अहमियत दी जा रही है. हर ब्लॉक का अपना ऑफिस है।तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ शुरू किया प्रचार
AIMIM यह मैसेज दे रही है कि SIR और वक्फ पर मुख्यमंत्री का रुख पूरी तरह से मुस्लिम विरोधी है. भ्रष्टाचार के आरोपों का मुद्दा भी उठाया जा रहा है. इन सभी मुद्दों को लेकर AIMIM पहले ही डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को एक डेप्युटेशन दे चुकी है. इस बार, ब्लॉक-बेस्ड प्रोटेस्ट मूवमेंट प्रोग्राम भी किया जा रहा है.
AIMIM स्टेट कमेटी के सदस्य टोनिक खान ने कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार उतारे जाएंगे. उन्होंने कहा, “हम शेर से शेर की तरह लड़ेंगे. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि ममता बनर्जी ने आखिरकार वक्फ एक्ट का पालन क्यों किया? हालांकि, तृणमूल इसे महत्व नहीं दे रही है. तृणमूल नेता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा, “तीन या चार लोग चार घरों में गए, यह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है. इस राज्य में AIMIM को कोई महत्व नहीं मिलेगा. हम सांप्रदायिक राजनीति नहीं करना चाहते. बंगाल के लोग जगह नहीं देंगे। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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