बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश की वर्तमान अंतरिम सरकार और उसके मुखिया मोहम्मद यूनुस पर सीधा प्रहार किया है। भारत में प्रवास के दौरान दिए गए अपने एक विस्तृत साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि बांग्लादेश में व्याप्त अराजकता और अस्थिरता के लिए पूरी तरह से मोहम्मद यूनुस जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार को गिराने के लिए जिस कानूनहीनता का सहारा लिया गया था, वह अब यूनुस प्रशासन के तहत कई गुना बढ़ चुकी है।
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव पर चिंता व्यक्त करते हुए शेख हसीना ने कहा कि रिश्तों में आई यह खटास वर्तमान अंतरिम सरकार की नीतियों का परिणाम है। उनके अनुसार, यूनुस प्रशासन लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रहा है और देश के भीतर धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने चरमपंथी तत्वों को विदेश नीति तय करने की खुली छूट दे दी है, जिससे पड़ोसी देशों के साथ दशकों पुराने भरोसेमंद रिश्तों पर बुरा असर पड़ा है। अवामी लीग की नेता ने हाल ही में एक हिंदू युवक की नृशंस हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा देश की सांप्रदायिक सद्भावना को नष्ट कर रही है।
शेख हसीना ने भारत को बांग्लादेश का सबसे पुराना और विश्वसनीय साझेदार बताते हुए विश्वास जताया कि दोनों देशों के बीच के ऐतिहासिक संबंध किसी भी अस्थायी सरकार के कार्यकाल से कहीं अधिक मजबूत और गहरे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि जब बांग्लादेश में पुनः कानून का राज स्थापित होगा, तब दोनों देश एक बार फिर उसी समझदारी और सहयोग की ओर लौटेंगे, जिसे उनकी सरकार ने पिछले 15 वर्षों में सींचा था। अपने विरुद्ध चल रहे कानूनी मुकदमों और ट्रिब्यूनल के फैसलों पर उन्होंने कहा कि ये तमाम कार्रवाइयां न्याय के लिए नहीं, बल्कि उन्हें राजनीतिक रूप से समाप्त करने की एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने शिकायत की कि उन्हें अपना पक्ष रखने या अपनी पसंद का वकील चुनने का उचित अवसर तक नहीं दिया गया।
आगामी चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए शेख हसीना ने चेतावनी दी कि अवामी लीग की भागीदारी के बिना होने वाला कोई भी चुनाव लोकतांत्रिक निर्वाचन नहीं, बल्कि केवल एक ताजपोशी बनकर रह जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी को जनता ने नौ बार जनादेश दिया है, उसे प्रतिबंधित करने की कोशिश लाखों नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित करने जैसा है। उन्होंने तर्क दिया कि यदि मतदाताओं को उनकी पसंदीदा पार्टी को वोट देने का मौका नहीं मिला, तो वे चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार करेंगे, जिससे नई सरकार की नैतिक वैधता समाप्त हो जाएगी। जबकि इस्लाम में हिंसा की कोई जगह नही है। पवित्र क़ुरआन के दृष्टिकोण से, सृष्टि की दुनिया में, अस्तित्व की रचना न्याय पर आधारित है, और इसमें उत्पीड़न और अन्याय के लिए कोई जगह नहीं है और क़ानून की दुनिया में न्याय को ईश्वरीय दूतों के मिशन के तीन महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक माना जाता है। न्यायपूर्ण दृष्टि से हर चीज़ अपनी सही जगह पर होनी चाहिए और हर असली मालिक को उसका अधिकार मिलना चाहिए। न्याय उन मूलभूत कान्सेप्ट में से एक है जिसे क़ुरआन ने नज़रियों, रूपांतर और कहानियों का इस्तेमाल करके विभिन्न सूरों और आयतों में व्यक्त और समझाया है, और इसका पालन करने और इसपर अमल करने पर ज़ोर दिया है। क़ुरआन के दृष्टिकोण से, सृष्टि की दुनिया में, अस्तित्व के निर्माण न्याय पर आधारित है, और इसमें उत्पीड़न और अन्याय के लिए कोई जगह नहीं है। साथ ही क़ानून की दुनिया में न्याय को ईश्वरीय दूतों के मिशन के तीन महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक माना जाता है। ईश्वर और इस्लाम की नज़र में न्याय के महत्व को बेहतर ढंग से समझने के लिए सबसे विश्वसनीय स्रोत किताब के रूप में पवित्र क़ुरआन है। हम पवित्र क़ुरआन की सैकड़ों आयतों में से 8 ऐसी महत्वपूर्ण आयतों पर एक नज़र डालेंगे, जिनमें न्याय के मुद्दे का स्पष्ट या परोक्ष रूप से उल्लेख किया गया है:
अल्लाह (ईश्वर) के कार्य न्याय है।"अल्लाह ने गवाही दी है कि उसके अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं है और फ़रिश्तों तथा ज्ञानियों ने भी गवाही दी है। वह न्याय स्थापित करने वाला है, उसके अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं है, वह प्रभुत्वशाली और तत्वदर्शी है।"
अल्लाह के कार्य में रत्ती भर भी अन्याय नहीं है"निसंदेह ईश्वर कण बराबर भी अत्याचार नहीं करता और यदि अच्छा कर्म हो तो उसका बदला दो गुना कर देता है और अपनी ओर से भी बड़ा बदला देता है" लोगों के बीच न्याय के साथ फ़ैसला करो: नि:संदेह ईश्वर तुम्हें आदेश देता है कि अमानतों को उनके मालिकों को लौटा दो और जब कभी लोगों के बीच फ़ैसला करो तो न्याय से फ़ैसला करो, नि:संदेह ईश्वर तुम्हें अच्छे उपदेश देता है, निश्चित रूप से वह सुनने और देखने वाला भी है।
दुश्मनी की वजह से दूसरों के साथ ना इंसाफ करो। हे ईमान वालो! सदैव ईश्वर के लिए उठ खड़े होने वाले बनो और केवल (सत्य व) न्याय की गवाही दो और कदापि ऐसा न होने पाए कि किसी जाति की शत्रुता तुम्हें न्याय के मार्ग से विचलित कर दे। न्याय (पूर्ण व्यवहार) करो कि यही ईश्वर के भय के निकट है और ईश्वर से डरते रहो कि जो कुछ तुम करते हो निसन्देह, ईश्वर उससे अवगत है।अल्लाह (ईश्वर) अत्याचारियों पर भी रहम करता है।और हर समुदाय के लिए एक पैग़म्बर हो तो जब उनका पैग़म्बर आ जाता है तो उनका फ़ैसला न्यायपूर्वक कर दिया जाता है और उन पर कोई अत्याचार नहीं होता।
लोगों का हक़ अदा करने में नाम है। हे मेरी क़ौम के लोगों! नाप और तुला को न्याय के साथ भरो और लोगों की वस्तुओं में से कुछ कम न करो और अपनी बुराई द्वारा धरती में बिगाड़ न फैलाओ।लोगों को न्याय के लिए खड़ा होना चाहिए: हमने अपने पैग़म्बरों को स्पष्ट प्रमाण के साथ भेजा (लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए) और उन पर किताब और न्याय का पैमाना उतारा ताकि लोग धार्मिकता और न्याय के साथ उठ खड़े हों।
अल्लाह (ईश्वर) न्याय प्रेमियों से प्रेम करता है।न्याय के अनुसार काम करो, वास्तव में ईश्वर उन लोगों से प्रेम करता है जो न्याय चाहते हैं। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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