- BJP का आरोप: सीएम ममता बनर्जी नहीं होने दे रही एसआईआर , घर-घर जाकर लोगों को धमका रहे हैं असमाजिक तत्व
- सीएम जो कहती है वह करती नहीं है, जैसे सीएए हो या वफ़ संशोधन बिल : शुभेंदु अधिकारी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य की 15 साल की डेवलपमेंट रिपोर्ट पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने "डिटेंशन कैंप" पॉलिटिक्स के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कहा, "मैं पश्चिम बंगाल में डिटेंशन सेंटर नहीं बनने दूंगी। दूसरी ओर, उन्होंने उन BLO और SIR लिस्टेड वर्कर्स के परिवारों के लिए एक फाइनेंशियल पैकेज की घोषणा की।
ममता बनर्जी ने बहुत ही इंसानियत भरे लहजे में कहा कि राज्य में नागरिकता को लेकर बेवजह का डर फैलने की वजह से बहुत से लोग मेंटल डिप्रेशन से जूझ रहे हैं, और उन्होंने आत्महत्या का रास्ता भी चुना है। उन्होंने कहा, "याद रखें कि बंगाल में हर कोई सुरक्षित है. हम यहां कोई भी डिटेंशन कैंप लगाकर किसी को भी परेशान या अराजकता फैलाने की इजाजत नहीं देंगे।" साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस राज्य में सभी लोगों के लिए एक सुरक्षित जगह है, चाहे उनका धर्म या जाति कुछ भी हो और राज्य सरकार बांटने की पॉलिटिक्स में विश्वास नहीं करती है।बंगाल में जारी एसआईआर का ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी द्वारा विरोध किया जा रहा है। हालांकि विरोध के बावजूद एसआईआर की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। ऐसे में अब ममता बनर्जी ने एसआईआर की धार को कुंद करने के लिए जनमत जुटाने का फैसला किया है। इसी के तहत ममता बनर्जी चुनावी मोड में लगातार रैलियां करने जा रही हैं। इस हफ्ते ममता बनर्जी मालदा और मुर्शिदाबाद में विशाल रैलियां करेंगी और फिर अगले हफ्ते कूच बिहार में एक बड़ी रैली को संबोधित कर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश करेंगी एसआईआर के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की तैयारी: गौरतलब है कि इससे पहले ममता बनर्जी ने बीते हफ्ते बोनगांव में एसआईआर के खिलाफ रैली की थी। यह रैली मतुआ समुदाय के प्रभाव वाले इलाके में की गई, जो एसआईआर को लेकर डरे हुए हैं। रैली के दौरान ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि एसआईआर का इस्तेमाल परिवारों को डराने के लिए किया जा रहा है। टीएमसी ने जिला स्तर पर भी एसआईआर के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। टीएमसी नेताओं ने बताया कि ममता बनर्जी 3 और 4 दिसंबर को मालदा और मुर्शिदाबाद में रैलियों को संबोधित करेंगी। वहीं 9 दिसंबर को कूच बिहार में रैली करेंगी। ये तीनों ही जिले सीमावर्ती है और यहां पर बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय, प्रवासी और विस्थापित लोग रहते हैं। इन समुदायों में एसआईआर को लेकर ज्यादा आशंकाएं हैं। यही वजह है कि टीएमसी लोगों के इस डर और आशंका को भुनाने और 2026 के विधानसभा चुनाव में फायदा लेने की कोशिश कर रही है। इन रैलियों को टीएमसी के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।मालदा की रैली गजोले में और मुर्शिदाबाद की बेहरामपुर स्टेडियम में होनी है। वहीं 9 दिसंबर को ऐतिहासिक रास मेला मैदान में होने वाली कूच बिहार रैली को ममता बनर्जी की सबसे बड़ी लामबंदी के तौर पर पेश किया जा रहा है। तैयारियों की घोषणा करते हुए, जिला टीएमसी अध्यक्ष अभिजीत डे भौमिक ने बताया कि 1 दिसंबर को ब्लॉक अध्यक्षों के साथ एक आपात बैठक होगी, जिसके बाद 2 दिसंबर को रवींद्र भवन में जिला स्तर पर तैयारी का सत्र आयोजित होगा, जिसमें मंत्री, पार्टी सांसद और विधायकों के साथ ही पार्षद और पंचायत अधिकारी मुख्यमंत्री की रैली की योजना पर चर्चा की जाएगी। वही शुभेंदु अधिकारी का दावा है कि एसआईआर के कारण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी परेशान हैं। सीएम जो कहती है वह करती नहीं है। जैसे सीएए हो वफ़ संशोधन बिल। उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक ततत्व घर-घर जाकर लोगों को धमका रहे हैं कि वे बीएलओ को कोई डेथ सर्टिफिकेट न दें। पश्चिम बंगाल में एसआईआर (SIR) प्रक्रिया के बीच नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने अपने एक्स अकाउंट से एक ऑडियो क्लिप साझा करते हुए ममता बनर्जी सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शुभेंदु अधिकारी का दावा है कि SIR के कारण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी परेशान हैं। आरोप है कि उनके निर्देश पर प्रशासन यह सुनिश्चित करने में लगा है कि मृत मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से न काटे जाएं, ताकि बाद में चुनाव के समय छुपे तरीके से फर्जी मतदान कराया जा सके। पोस्ट किए गए ऑडियो क्लिप के बारे में शुभेंदु अधिकारी का दावा है कि यह फलता इलाके के एक बीएलओ की आवाज है। उनके अनुसार, फलता के बीडीओ और एआरओ ने सभी BLO को फोन कर कहा है कि “डैथ सर्टिफिकेट के बिना किसी मृत व्यक्ति का नाम नहीं काटा जाएगा।” BLO के कथित आरोपों के अनुसार कई परिवारों ने मृत परिजनों के लिए एन्यूमरेशन फॉर्म में खुद घोषणा करते हुए हस्ताक्षर किए हैं। इसके बावजूद इन फॉर्मों को अपलोड करने से मना किया गया है।असमाजिक तत्व घर-घर जाकर लोगों को रहे हैं धमका…BLO को कहा जा रहा है कि फॉर्म अपलोड न कर “अन-मैपिंग” कर दें, जिससे बाद में सूची में हेरफेर की गुंजाइश रहे। शुभेंदु अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ असामाजिक ततत्व घर-घर जाकर लोगों को धमका रहे हैं कि वे बीएलओ को कोई डेथ सर्टिफिकेट न दें। शुभेंदु अधिकारी ने इसे “मृत मतदाताओं को वोटर सूची में बनाए रखने की साजिश” बताया है।उन्होंने कहा कि बीएलओ को किसी धमकी से डरने की जरूरत नहीं है और उन्हें कानून के अनुसार चुनाव आयोग की मदद करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि “तृणमूल के गुलाम बीडीओ और एआरओ सावधान हो जाएं, वरना परिणाम भुगतने होंगे। भाजपा मामले पर कड़ी नज़र रखे हुए है।” अंत में शुभेंदु अधिकारी ने मुख्य चुनाव अधिकारी बंगाल और चुनाव आयोग से इस कथित रिकॉर्डिंग में लगाए गए आरोपों की जांच कर बीडीओ और एआरओ के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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