बंगाल की पॉलिटिक्स या तृणमूल कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है. जय प्रकाश मजूमदार ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा, 'यह पूरी तरह से एक नेता का निजी मामला है।
मजूमदार ने आगे कहा, 'हुमायूं कबीर एक विधायक से ज्यादा कुछ नहीं हैं, जिन्होंने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नाम और सिंबल का इस्तेमाल करके चुनाव जीता है। वह जो कुछ भी कह रहे हैं या प्लान बना रहे हैं, इसका बंगाल की पॉलिटिक्स या तृणमूल कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है।आपको बता दें कि हुमायूं कबीर ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 'बाबरी मस्जिद' बनाने की घोषणा की है और कहा कि वे 6 दिसंबर को इसकी नींव रखेंगे।
एसआईआर को लेकर साधा निशाना: टीएमसी के प्रदेश उपाध्यक्ष ने एसआईआर के मुद्दे पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट एसआईआर प्रक्रिया पर स्टे ऑर्डर नहीं लगा सकता, लेकिन उसे यह देखना चाहिए कि प्रक्रिया कैसे की जा रही है. इतने सारे लोग सुसाइड कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता, जब चुनाव आयोग पर एक पार्टी का कब्जा होता दिख रहा हो. सुप्रीम कोर्ट चुप कैसे रह सकता है, जब वह समझता और देखता है कि एक संविधान, जो पहले 70 सालों तक भरोसे के साथ काम करता रहा, अब एक खास राजनीतिक पार्टी के कारण प्रभावित हो रहा है?'
चुनाव आयोग के दावे पर टीएमसी ने दिया जवाब:
मजूमदार ने चुनाव आयोग के उस दावे पर भी जवाब दिया, जिसमें कहा गया कि पश्चिम बंगाल की मौजूदा वोटर लिस्ट में 26 लाख नाम 2002 की लिस्ट से मेल नहीं खाते हैं. जय प्रकाश मजूमदार ने कहा, 'जो व्यक्ति 2002 में 18 साल का था, वह अब 41 साल का होगा. इसलिए, पश्चिम बंगाल की मौजूदा वोटर लिस्ट में 18 से 40 साल के बीच के किसी भी व्यक्ति का नाम 2002 की लिस्ट में नहीं मिलेगा. इसके पीछे क्या वजह है? हमने यह सवाल उठाया था, लेकिन चुनाव आयोग इसका जवाब नहीं दे सका।तृणमूल कांग्रेस के असंतुष्ट विधायक हुमायूं कबीर के मुर्शिदाबाद में छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद शिलान्यास करने के ऐलान के बाद भाजपा ने ममता बनर्जी पर हमला बोलना शुरू कर दिया है तो दूसरी ओर अगले साल बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने बांग्लादेश के सीमावर्ती जिलों में लगातार अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है और हुमांयू कबीर के साथ मिलकर गठबंधन बनाने की तैयारी कर रहे हैं.
वहीं, भाजपा ने ममता बनर्जी पर हमला तेज कर दिया है और आरोप लगाया है कि तृणमूल पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद का नहीं, बल्कि बांग्लादेश बनाने का शिलान्यास करने की तैयारी कर रही है. इस तरह से ममता बनर्जी दोनों तरफ से घिर गई हैं।
मुस्लिम बहुल जिलों में संगठन मजबूत करेंगी ममता
मुर्शिदाबाद और मालदा में तृणमूल कांग्रेस की कलह बार-बार सामने आ रही है.भरतपुर के तृणमूल विधायक हुमायूं कबीर पिछले कुछ महीनों से लगातार अपनी ही पार्टी पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने फिर से बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बनाने का ऐलान किया है। बदले में BJP राम मंदिर की बात कर रही है.
इस बीच, ममता बनर्जी ने मालदा और मुर्शिदाबाद के दौरे का ऐलान किया है। वह 3 दिसंबर को मालदा के गजोला में एक मीटिंग करेंगी । मीटिंग के बाद वह उसी दिन सड़क के रास्ते बरहमपुर जाएंगी। अगले दिन यानी 4 दिसंबर को बरहामपुर स्टेडियम में उनकी मीटिंग है. यानी छह दिसंबर के पहले अल्पसंख्यक बहुल इन दो जिलों मुर्शिदाबाद और मालदा में ममता बनर्जी ने अपनी जमीन मजबूत करने तैयारी शुरू कर दी है।ऐसा माना जा रहा है कि इन दोनों जिलों की बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने जहां एक ओर मुस्लिमों को लेकर मैसेज देंगी. वहीं असंतुष्ट विधायक हुमायूं कबीर को लेकर भी बड़ा ऐलान कर सकती हैं।
क्या मुस्लिम अब करने लगे हैं ममता से सवाल?
राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय कहते हैं कि मुर्शिदाबाद, मालदा, दक्षिण 24 परगना सहित बंगाल के कई जिले मुस्लिम बहुल हैं और इन जिलों में पिछले चुनावों तक मुस्लिमों के वोट तृणमूल कांग्रेस को मिलते रहे हैं, लेकिन अब यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि टीएमसी को वोट देने के बावजूद मुस्लिम अभी भी पिछड़े हैं. सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में भी मुस्लिमों के पिछड़े होने की बात कही गई थी, लेकिन अब भी हालात नहीं सुधरे हैं।
उन्होंने कहा कि हाल में शिक्षक भर्ती घोटाले मामले मामले मे्ं जिनकी नौकरियां गई हैं, उनमें सबसे ज्यादा मुस्लिम युवा और छात्र ही हैं. इस कारण अब मुस्लिमों में भी ममता बनर्जी के खिलाफ आवाज उठने लगी है और इसका फायदा ओवैसी उठाने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले चुनाव में भी ओवैसी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे और इस बार ऐसा माना जा रहा है कि हुमायूं कबीर औवैसी के साथ मिलकर कोई गठबंधन बना सकते हैं. इससे मुस्लिम वोटों के बंटने के आसार हैं।
छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद शिलान्यास का ऐलान
कुछ दिन पहले तृणमूल विधायक हुमायूं कबीर ने दावा किया था कि 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव रखी जाएगी. उन्होंने यह घोषणा 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने की 33वीं बरसी के मौके पर की. हुमायूं कबीर ने कहा कि बाबरी मस्जिद की नींव 6 दिसंबर को रखी जाएगी. काम पूरा होने में तीन साल लगेंगे. इसमें कई मुस्लिम नेता हिस्सा लेंगे. तृणमूल कांग्रेस विधायक के इस ऐलान से बंगाल की सियासत गरमा गई है और विधानसभा चुनाव से पहले हिंदू और मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश तेज हो गई है।
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस पूरी तरह से बचाव की मुद्रा में है. तृणमूल कांग्रेस विधायक निर्मल घोष ने कहा कि हुमायूं कबीर ने अपने हालिया बयान पार्टी का स्टैंड नहीं है. वह (हुमायूं कबीर) अब पार्टी के टच में नहीं हैं. उनके बयान का पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. ये उनके अपने शब्द हैं, पार्टी उनसे बिल्कुल सहमत नहीं है. उन्होंने सीमा रेखा पार की है।
विधायक के ऐलान पर भाजपा हमलावार:
इस पर राजनीतिक गलियारों में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है.केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि टीएमसी पश्चिम बंगाल में मस्जिद नहीं, बल्कि बांग्लादेश का नींव का पत्थर बनाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी की सरकार बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं के सपोर्ट पर चल रही है.
भाजपा के एक और प्रवक्ता शेखज़ाद पूनावाला ने भी इस मुद्दे पर कड़ा हमला किया. उन्होंने आरोप लगाया कि हुमायूं कबीर का ऐलान तृणमूल की वोट बैंक तुष्टीकरण की पॉलिटिक्स है. पूनावाला ने कहा, यह तृणमूल की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति है. हिंदुओं को गाली दो, और वोट बैंक से वाहवाही लो. उन्होंने जय श्री राम, राम मंदिर, मां सीता, मां दुर्गा, मां काली का अपमान किया है. वे CAA, SIR, वक्फ समेत किसी भी मुद्दे के नाम पर लोगों को भड़काते हैं।
हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की कवायद:
हालांकि, कांग्रेस ने हुमायूं कबीर का थोड़ा समर्थन किया और कहा कि मस्जिद की नींव रखने पर आपत्ति ‘बेमतलब का शक’ पैदा करने के लिए उठाई जा रही है. उन्होंने कहा, ‘अगर मंदिर की नींव रखी जा सकती है, तो मस्जिद से क्या दिक्कत होगी? जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वे बेवजह बखेड़ा खड़ा कर रहे हैं. हमारे देश में धार्मिक आज़ादी है।
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा कार सेवकों ने गिरा दिया था, जो अगले तीन दशकों तक भारतीय राजनीति में एक ज्वलंत मुद्दा रहा. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने वहां राम मंदिर बनवाया. भारत के पिछले राष्ट्रीय चुनावों से कुछ महीने पहले इसका उद्घाटन भी हुआ था। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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