दिल्ली कार ब्लास्ट में आतंकी डॉक्टर मुजम्मिल अहमद को विदेश में बैठे तीन हैंडलर्स ने बम बनाने के लिए 42 वीडियो भेजे थे और हमले के लिए उकसाया।
10 नवंबर को दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट मामले की जांच हर दिन नए खुलासों के साथ आगे बढ़ रही है. दिल्ली आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी वर्ष 2022 में तुर्की में लगभग 20 दिन तक रुका, जहां उसकी मुलाकात एक सीरियाई आतंकवादी से करवाई गई।यह मुलाकातपाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर पर छिपे बैठे जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर उकाशा के निर्देश पर हुई थी।
फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टर दिल्ली कार ब्लास्ट से जुड़े आतंकी मॉड्यूल में शामिल थे।गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों के इस डेटा से अहम खुलासा हुआ है. जिन संदिग्ध आतंकियों के फोन का डेटा सामने आया है उसमें डॉक्टर मुजम्मिल , आदिल, शाहीन और इरफान शामिल है.यह मुलाकात तुर्की में हुई थी. और यह सब कुछ पाकिस्तानी हैंडलर उकाशा के इशारे पर हुआ था, जो कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर पर रहता है।विदेशी हैंडलर ने एनक्रिप्टेड ऐप के जरिए आतंकी डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनई को बम बनाने के लिए 42 वीडियो भेजे थे। यहां बताना जरूरी है कि आतंकी डॉक्टर मुजम्मिल अभी एनआईए की कस्टडी में है. यह लाल कार ब्लास्ट के आंतकी उमर नबी का सहयोगी और कलीग था।10 नवंबर को डॉक्टर आतंकी उमर ने लाल किले के पास कार विस्फोट किया था. उसने अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटक के साथ कार में खुद को उड़ा लिया था। उस आतंकी हमले में कम से कम 14 लोगों की जान गई है।
एक खबर के मुताबिक, फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल में गिरफ्तार डॉक्टरों में मुजम्मिल ही वह शख्स है, जिसे विदेशी हैंडलर से एक-दो नहीं बल्कि पूरे 42 वीडियो मिले थे। इन वीडियो में उसे बम बनाने के तरीके सीखाए गए थे. सूत्रों की मानें तो हैंडलरों की भूमिका और पहचान की अब सुरक्षा एजेंसियां जांच कर रही हैं, क्योंकि हाल के दिनों में भारत में इसी तरह के डू-इट-योरसेल्फ (DIY) बम विस्फोटों की घटनाओं से इनका कोई लेना-देना नहीं है।
कौन है वो विदेशी हैंडलर
जांच एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली धमाके में तीन विदेशी हैंडलर्स के नाम सामने आए हैं. तीन हैंडलरों की पहचान 'हंजुल्लाह', 'निसार' और 'उकासा' के रूप में हुई है. सूत्रों का कहना है कि ये कोड नेम या छद्म नाम हो सकते हैं. ये विदेशी हैंडलरों के असली पहचान नहीं हैं. सूत्रों का कहना है कि हंजुल्लाह ही वह शख्स है, जिसने आतंकी डॉक्टर मुजम्मिल को बम बनाने के 42 वीडियो भेजे. मुजम्मिल पर आरोप है कि उसने आतंकी मॉड्यूल में इस्तेमाल होने वाले एक्सप्लोसिव के स्टोरेज का इंतजाम किया था।
रूम नंबर 13 और 4 की कहानी
बीते दिनों सूत्रों ने कहा था कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 आतंकियों का मीटिंग प्वाइंट थी. बिल्डिंग नंबर 17 के दो कमरों में दिल्ली धमाके की साजिश रची गई थी. सूत्रों के मुताबिक, अल-फलाह यूनिवर्सिटी में 13 नंबर कमरा पुलवामा के डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनई का था. इसी कमरे में वह दूसरे आतंकी डॉक्टर्स के साथ सीक्रेट मीटिंग किया करता था. अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कैंपस के अंदर डॉक्टर उमर का कमरा नंबर 4 था. यहां भी आतंकियों की मीटिंग होती थी. यूनिवर्सिटी के लैब से कुछ कैमिकल किस तरह यूनिवर्सिटी से बाहर मुजम्मिल के कमरे पर ले जाने हैं, सब इसी 13 नंबर कमरे में तय होता था. इसी से कुछ मिनट की दूरी पर मुजम्मिल ने अपना ठिकाना बना रखा था, जहां से विस्फोटक और हथियार मिले थे।
मुजम्मिल के कमरे से क्या मिला
फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल मामले में आतंकी डॉ. मुजम्मिल गनई को दिल्ली कार ब्लास्ट से कुछ दिन पहले गिरफ्तार किया गया था. उसके परिसर से 350 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट सहित 2,500 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी. सूत्रों ने बताया कि मोहम्मद शाहिद फैसल एक विदेशी हैंडलर है. वह कर्नल, लैपटॉप भाई और भाई जैसे कई फेक नाम का यूज करता है. माना जाता है कि उसने 2020 से बम विस्फोटों को अंजाम देने के लिए कर्नाटक और तमिलनाडु में आतंकी मॉड्यूल के साथ समन्वय किया है. उसका नाम भी इस मामले में एक संदिग्ध आतंकी के रूप में सामने आया है।
तुर्की में और कौन था डॉ उमर के साथ मौजूद: रिपोर्ट के मुताबिक जांच में पता चला है कि तीन साल पहले जब डॉ उमर तुर्की गया था तो उसके साथ दो और आतंकी डॉक्टर थे, डॉ. मुजम्मिल शकील गनई और डॉ. मुजफ्फर रैदर।
20 दिन तक थे तुर्की में: आतंकी डॉ. उमर, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. मुजफ्फर 20 दिन तुर्किये में थे. वे अपने पाकिस्तान हैंडलर उकाशा से मिलना चाहते थे. पर उकाशा और इन तीन डॉक्टरों की मुलाकात हो न पाई. फिर उकाशा ने तीनों को सीरियाई आतंकी से मिलने को कहा।
मुजफ्फर गया अफगानिस्तान: सीरियाई आतंकी से मिलने के बाद मुजफ्फर यूएई के रास्ते अफगानिस्तान चला गया. दावा है कि वह अल-कायदा में शामिल हो गया। वहीं, डॉ. उमर भारत लौटकर जैश के बड़े आतंकी प्लान को अंजाम देने में जुट गया. डॉ. उमर ने अल फलाह यूनिवर्सिटी ज्वाइन की और इसी मॉड्यूल को तैयार किया।
एनआईए की गिरफ्त में मुजम्मिल: NIA ने गुरुवार को डॉ. मुजम्मिल और तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है. एनआईए इस ब्लास्ट के पीछे की पूरी अंतरराष्ट्रीय साजिश की परतें खोलना चाहती है।
पूरे भारत में हमले का प्लान: एनआईए ने बताया कि गिरफ्तार तीन डॉक्टर और एक मौलवी मुफ्ती इरफान अहमद वागे दिल्ली आतंकी हमले की साजिश में अहम भूमिका निभा रहे थे. वे पूरे भारत में हमले करने की साजिश रच रहे थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अकेले मुजम्मिल के मोबाइल फोन में करीब 200 वीडियो मौजूद हैं.
जिनमे मसूद अजहर , असगर , अन्य जैश कमांडर और कई ISIS से जुडे आतंकियों की जहरीली तकरीरों के ऑडियो -वीडियो भी शामिल हैं. इनमे से करीब 80 वीडियो आतंकी ट्रेनिंग और बम मेकिंग व केमिकल रिएक्शन्स से जुडे रिसर्च पर आधारित हैं। मुजम्मिल के फोन से दिल्ली- UP- मुंबई व कई राज्यो के धार्मिक स्थलों और भीडभाड वाले मार्केट के वीडियो भी मिले हैं। NIA की टीम ने फरीदाबाद और धौज गांव से जो सामग्री बरामद की, उसने पूरे मॉड्यूल का सच सामने ला दिया। एनआईए की टीम ने बुधवार की देर रात फरीदाबाद के गांव धोज में एक टैक्सी ड्राइवर के घर से आटा चक्की और कुछ इलेक्ट्रिकल मशीन बरामद की। आटा चक्की का इस्तेमाल डॉक्टर मुजम्मिल धोज में किराए पर लिए अपने कमरे में करता था, जहां से 9 नवंबर को जम्मू कश्मीर और फरीदाबाद की पुलिस ने 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद की थी। सबसे चौकाने वाली बात यह रही कि डॉ. मुजम्मिल आटा चक्की में यूरिया पीसकर विस्फोटक तैयार करता था। और इसे वह एक टैक्सी ड्राइवर के घर रख आया था-नाम पूछने पर बोला कि "यह बहन के दहेज में मिली हुई चक्की है।" लेकिन सच्चाई बहुत अलग और बेहद खतरनाक थी।
क्यों आटा चक्की बनी बम बनाने का सबसे बड़ा हथियार?
जांच में सामने आया कि चक्की सिर्फ आटा नहीं पीसती थी। डॉ. मुजम्मिल इसी मशीन में यूरिया को बारीक पीसता था, फिर मेटल मेल्टिंग मशीन में उसे रिफाइन करता था। इसके बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी की लैब से चोरी किए गए केमिकल इस पाउडर में मिलाए जाते थे। यही मिश्रण आगे चलकर घातक विस्फोटक बन जाता था। NIA ने 9 नवंबर को धौज गांव के उस कमरे से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया, जहां मुजम्मिल यह काम करता था। जबकि 10 नवंबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फतेहपुरतगा में उसके दूसरे कमरे से 2558 किलो विस्फोटक जैसी सामग्री जब्त की। कुल मिलाकर करीब 2900 किलो विस्फोटक सामग्री इस मॉड्यूल से मिली है, जो किसी बड़े आतंकी हमले की तैयारी की ओर इशारा करती है।
टैक्सी ड्राइवर कैसे पहुंचा आतंकियों के बीच?
ये पूरी कहानी तब शुरू हुई जब ड्राइवर के छोटे बेटे पर गर्म दूध गिर गया और वह गंभीर रूप से झुलस गया। उसे अल फलाह अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉ. मुजम्मिल ने उसका इलाज किया। यहीं से बातचीत शुरू हुई और धीरे-धीरे ड्राइवर उसके संपर्क में आने लगा। इसी बीच मुजम्मिल एक दिन आटा चक्की और मशीनें उसके घर रख गया। ड्राइवर को शक न हो, इसलिए उसने इसे 'दहेज' बताया, लेकिन एक दिन NIA ने दरवाजा खटखटाया और ड्राइवर को असली सच्चाई पता चली।
कौन चला रहा था डॉक्टरों का 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल'?
सूत्रों के मुताबिक यह कोई साधारण नेटवर्क नहीं था। इसकी पूरी प्लानिंग बेहद प्रोफेशनल थी।
1. डॉ. मुजम्मिल (मुख्य भर्तीकर्ता + विस्फोटक तैयार करने वाला)
मुस्लिम युवाओं को आतंकी नेटवर्क में लाने का काम
आटा चक्की में यूरिया पीसना और उसे रिफाइन कर विस्फोटक बनाना
जगह-जगह कमरे किराए पर लेना
SIM कार्ड खरीदना, लॉजिस्टिक सपोर्ट
2. डॉ. शाहीन उर्फ 'Madam Surgeon' (ब्रेनवॉश + फंडिंग + महिला सेल)
आर्थिक मदद देना
लोगों को भावनात्मक व धार्मिक तरीके से ब्रेनवॉश करना
डायरी में महिला आतंकी टीम की लिस्ट
किसको कितने पैसे देने हैं, इसका फैसला करना
3. डॉ. उमर नबी (मर चुका, लेकिन मास्टरमाइंड)
प्लानिंग
धमाके की रणनीति
आतंकी गतिविधियों का कोर मैनेजमेंट
4.अन्य सदस्य-आदिल, इरफान, जसीर, आमिर
टेक्निकल मदद,हथियार छिपाना
पोस्टर लगाना,वाहनों और SIM सप्लाई का काम
यह पूरा मॉड्यूल सफेद कोट के पीछे छुपे खतरनाक चेहरों जैसा था। क्या दिल्ली ब्लास्ट सिर्फ एक शुरुआत थी?
बरामद किए गए विस्फोटक की मात्रा इतनी ज्यादा है कि विशेषज्ञों का मानना है कि यह किसी बड़े हमले की तैयारी थी। NIA शक कर रही है कि उनके कई अन्य ठिकाने और सपोर्टर भी हो सकते हैं।
महिला आतंकी टीम क्यों बनाना चाहती थी 'मैडम सर्जन'?
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि डॉ. शाहीन की डायरी में लड़कियों की एक लिस्ट मिली, जिनका इस्तेमाल "महिला आतंकी टीम" बनाने के लिए किया जाना था। फिलहाल NIA इस लिस्ट के आधार पर कई महिलाओं से पूछताछ कर रही है। यह साफ दिखाता है कि उसका मकसद एक महिला आतंकी विंग बनाना था। हालाँकि वह इसमें पूरी तरह सफल नहीं हो सकी और जिम्मेदारी उसने मुजम्मिल को सौंप दी।
क्या अस्पताल इलाज का बहाना था और भर्ती का असली खेल कुछ और?
सबसे बड़ा सवाल है कि क्या अस्पताल में इलाज के नाम पर मरीजों और उनके परिवारों की कमजोरियां समझकर उन्हें नेटवर्क में शामिल किया जाता था? जांच एजेंसी इस एंगल पर भी गहराई से पड़ताल कर रही है।
क्या दिल्ली ब्लास्ट केस ने देश का सबसे बड़ा 'डॉक्टर टेरर मॉड्यूल' उजागर कर दिया है?
मेडिकल पढ़े-लिखे लोगों द्वारा ऐसा नेटवर्क चलाना पूरी कहानी को और खतरनाक बनाता है। NIA को शक है कि इस मॉड्यूल का लिंक कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा और UP तक फैला हो सकता है। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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