पितरपख बीता। नवरात्रि व दशहरा। आशा से अधिक बरसात भी हुई। एक दो रोज से सुबह शाम सिहरावन लगने लगा है। दिन की उमस खत्म हुई और सुबह शाम की हवाएं शीतलता देने लगी हैं। यानी। मौसम करवट लेने लगा है। कुछ दिन बाद दीपावली और फिर डाला छठ।
यही मौसम जब जडावर, बक्सा संदूक से निकलने लगता। खटिया, डारा पर डाल घाम दिखाने को। बीस पचीस साल में बडा परिवर्तन आया और होजरी के एक से एक ब्रांड हम जैसों को भी नसीब होने लगे हैं , वरना बचपन के बुने गए फटे चीथडे स्वेटर से ही काम चलता था। जाडे भर पहनने के बाद , सफेद वाली के साथ जडावर बक्से में। एक तो काफी होता या फिर ज्यादा तो एक हॉफ और एक फुल बॉहीं का। पुरनिए लोग मंकी टोपी जरुर रखते जो भयंकर शीत में काम आती। गॉधी आश्रम की ओवर कोट किसी किसी के पास होती तो उनके रुतबे का पूछना ही क्या।
इसी कार्तिक महीने के अंजेरिया पख में ऑवले के नीचे भोजन पकाना। गॉव में यह एक बडा आयोजन और मलिकार के होते किसी विवाह बरात के उत्सव जैसा। फूल की बडी बडी बटलोई फफाती दाल का सुगंध देती तो महीक्का चाऊर की महक राह चलते लोगों को भी बगीचे में अंवरा तरे खींच लाती। क्या होता कि दाल भात के साथ नएके आलू और गोभी की तरकारी इस मौसम में पहली बार ऑवला भोज के समय ही मिलती। बरहो महीने गोभी का चलन नहीं था सो जीभ लपलपाती गोभी की तरकारी को। नगईं भाई के पसीने से तैयार बिना रसायन के तैयार गोभी के फूल ओडी - दौरा में बगीचे में पहुंचती तो कुछ देर की प्रतीक्षा भी भारी होती। तरकारी भी लोहे की बडी कडाही में भूनी जाती। खलखलाते तेल में ललकी आलू के साथ गोभी कोल्हूं वाले सरसों तेल में पक कर लाल हो जाती तो गरम मसाला पडते ही सुगंध छोडने लगती। सील बट्टे के मसाले वाली तरकारी मिक्सी के मुताबिक कहीं नहीं ठहरती। हरी धनिया के साथ वह स्वाद , अब सपने जैसा। धनिया की चटनी और लौकी को काट बेसन में लपेट कतरा। कलौजी का मसाला भी , इ फाइव स्टार जैसा नहीं।
गॉव के मानिंद से सेकर वंशवल, हिरामन , सब भोज के पॉत में।
कतिकी पुनवासी का नहान अपनी प्रसिद्धि लिए तो ज्ञानवापी मंडप में पंडित रामकिंकर महाराज की कथा श्रवण। हर सुंदरी से लेकर ज्ञानवापी का धर्मशाला ठसाठस। दशाश्वमेध से लेकर पंचगंगा घाट तक रेला। गठरी मोटरी लिए कार्तिक स्नान के पुण्य बटोरने की मारा मारी। बिंदु माधव के दर्शन से नारायण के पूजन का विधान। बरबस आकर्षित करती अपनी परंपरा। ( वाराणसी के बीजेपी एमएलसी धमेंद्र सिंह की कलम से)
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