- आज के व्रत से सभी पापों का नाश होता है, मोक्ष की होती है प्राप्ति
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को पापांकुशा एकादशी शुक्रवार को है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पंडित हरिमोहन झा का कहना है कि यह एकादशी विशेष रूप से पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मानी जाती है। मान्यता है कि आज के दिन योगनिद्रा में लीन भगवान विष्णु अंगड़ाई लेते हैं।प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें। घर के पूजा स्थान को स्वच्छ कर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पीले या सफेद फूल, तुलसीदल और चंदन से भगवान विष्णु का पूजन करें। विष्णु सहस्रनाम, विष्णु स्तुति या विष्णु मंत्र का जाप करें।धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें। व्रती दिनभर फलाहार करें और रात्रि में जागरण का नियम भी रखा जाता है।पाक के दिन क्या करें : प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प ले, भगवान विष्णु को तुलसीदल अर्पित करें। गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन व वस्त्र दान करें। दिनभर भक्ति भाव से विष्णु मंत्रों और स्तोत्रों का पाठ करें। व्रत का पारण द्वादशी के दिन ही करें। क्या ना करें: इस दिन मांसाहार, मदिरा और नशे का सेवन न करें। क्रोध, झूठ, चुगली और हिंसा से दूर रहें। तामसिक भोजन जैसे प्याज-लहसुन का उपयोग न करें। व्रत के दौरान दिन में सोना वर्जित माना गया है। बिना पारण किए व्रत को अधूरा न छोड़ें। इस व्रत पारण का समय: पंचांग के अनुसार अश्विन शुक्ल एकादशी तिथि 2 अक्टूबर 2025 की शाम 07:10 बजे प्रारंभ हो गई थी और ये आज शाम 06:32 बजे समाप्त होगी, उदयातिथि मान्य होने की वजह से ये व्रत आज रखा गया है। जबकि पारण 4 अक्टूबर 2025 को द्वादशी तिथि पर सुबह 06:16 बजे से 08:37 बजे के बीच किया जाएगा।पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करें और इस व्रत की कथा पढ़ें। यहां है पापांकुशा एकादशी व्रत की संपूर्ण कथा कुछ इस प्रकार है। पापांकुशा एकादशी व्रत कथा: विष्णु पुराण के अनुसार, विंध्याचल पर्वत पर क्रोधन नामक एक क्रूर और हिंसक बहेलिया रहता था। वह सभी पाप और अधर्म वाले कर्म करता था. वह बड़ा ही क्रूर और निर्दयी था. वह अपने पूरे जीवन में दूसरे जीवों को दुख देता रहा. जीवन के अंत में उसके पास यमराज के दूत आए और बोला कि कल तुम्हारा अंतिम दिन है. कल वे प्राण हर लेंगे और अपने साथ यमलोक ले जाएंगे.
यमदूतों की बातें सुनकर बहेलिया डर गया. वह सोचने लगा कि उसे कर्मों के आधार पर नरक के कष्ट भोगने होंगे. अनेक प्रकार की यातनाएं सहन करनी होंगी. इस डर से वह वन में गया और अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंच गया. अंगिरा ऋषि को प्रणाम करके अपनी चिंता और दुख को बताया. उसने कहा कि हे मुनि! मैंने पूरे जीवन पाप कर्म किए हैं. अब उससे मुक्ति चाहता हूं. कुछ ऐसा उपाय बताएं, ताकि उससे मुक्ति मिल जाए और मोक्ष प्राप्त कर लूं। तब अंगिरा ऋषि ने कहा कि तुमको पापांकुशा एकादशी का व्रत करना चाहिए। इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति मिल सकती है। श्रीहरि की कृपा से मोक्ष के भी अधिकारी हो जाओगे। पापांकुशा एकादशी व्रत विधि और महत्व को सुनकर बहेलिया खुश हो गया। उसने अंगिरा ऋषि को धन्यवाद किया और घर चला गया। उसने अश्विन शुक्ल एकादशी को पापांकुशा एकादशी का व्रत विधि विधान से रखा। भगवान पद्मनाभ की पूजा की और रात्रि में जागरण किया। उसके अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया और व्रत पूरा किया. पापांकुशा एकादशी के व्रत से उसके सभी पाप मिट गए. मृत्यु के बाद उसे मोक्ष मिल गया। जो व्यक्ति यह व्रत करता है, उसे भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। ( अशोक झा की कलम से )
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