भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहेब अंतिम साँसें ले रहे थे..लग रहा था कबीरदास जी के शब्दों में बूँद समद में समाने वाली है..आख़िरकार भोर में उस्ताद अनंत यात्रा पर निकल गये..अब चैनलों में लाइव की होड़ मची..उस्ताद के बाद बनारस के रत्नों में गिरिजा देवी जी, पंडित किशन महाराज और पंडित छन्नूलाल मिश्र जी थे..गिरिजा देवी और पंडित किशन महाराज की बाइट ही मुश्किल से मिलती थी..लाइव के लिए सहज और उपयुक्त पंडित छन्नू लाल मिश्र जी थे..सहारा यूपी ने उनको पहले लपक लिया ..बाद में हम उन्हें ले कर आये..छन्नूलाल जी ने रागमयी श्रद्धांजलि दी..खूब संस्मरण सुनाये..टुकड़ों टुकड़ों में दो घंटे लाइव चला..छन्नूलाल जी डटे रहे..
जब जाने का समय हुआ तो उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के निधन की मीडिया कवरेज से हतप्रभ पंडित जी ने कहा..
के! का हमरे मरै पर अतना दिखावल जाई..
पता चला कि सहारा में भी वो यही बात कहकर आये थे..शायद वो कलाकार के लिए इतने सम्मान की उम्मीद न करते हों..
पंडित छन्नूलाल जी से पहली मुलाक़ात सन 2006 में हुई..तब लोकल चैनल STV के संवाददाता Ashok Singh हमारे आग्रह पर खबर के लिए पंडित जी को घाट पर लेकर आये..दो घंटे बातचीत हुई..खूब बढ़िया शूट हुआ..।पैकेज बनाकर हैदराबाद भेज दिया और जब स्क्रीन पर चला तो 20 सेकेंड में खबर ख़त्म हो गयी..मेरा मन किया कि तलैया में डूब मरूँ..पंडित जी चैनल देख रहे थे..जो कुछ अशोक भाई से बात हुई हो..बनारसी मेंईटीवी और मुझे सुनाया हो..कुल मिलाकर मै बहुत शर्मिंदा हो गया..
बहुत ही सरल और सहज थे..हमारे आफिस के पास ही उनका घर था..फोन पर बात न होने पर जब कभी किसी बाइट के लिए एकाएक उनके घर पहुंचता तो पहले तो नाराज़गी दिखाते फिर हंसते हुए बैठाकर खूब बातें करते..एक दिन की बात है..किसी मसले पर पंडित जी का फोनो होना था..हमने लाइनअप कर दिया..फिर भी ऐतिहातन मै और Pankaj Sinha उनके घर मोटरसाइकिल से पहुँच गये..दरवाज़े पर पहुंचे ही थे कि देखा वो फोन पर किसी को डाँट रहे है..मैने पूछा..गुरूजी क्या हुआ?? कहने लगे..ईटीवी से फोन था..कौनो लड़की छन्नूलाल जी कह रही थी..पंडित नहीं लगाया..सारी दुनिया पंडित छन्नूलाल कहती है वो छन्नूलाल जी कह रही है..मै समझ गया कि ट्रेनी एंकर है ..मैने बात बनायी..अरे गुरू जी! उनको तमीज नहीं..फिर उन्हीं के सामने हैदराबाद फोन मिलाकर संबोधन के लिए पंडित लगाने के लिए कहा..जैसा मैने बताया कि बहुत सरल थे..फिर फ़ोनों देने के लिए तैयार हो गये..
वैसे तो पंडित जी को संगीत जगत के सभी दिग्गज जानते थे लेकिन आमजन में उनको प्रसिद्धि मेरे ख्याल से तब मिली जब नाव पर बैठकर चैनल के लिए , खेले मसाने में होरी दिगंबर, गाया..ये क्लिप खूब वायरल हुई..बाद में सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया..
मुझे सही सही याद नहीं लेकिन किसी बड़ी हस्ती के निधन पर ईटीवी चैनल पर प्रतिक्रिया देते हुए पंडित किशन महाराज ने कहा था कि मै भी न रहूं तो भी धरती वीरो से खाली नही रहेगी..लेकिन पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन के बाद ऐसा लगता है कि धीरे धीरे-धीरे बनारस की धरती ,जो कभी दुनिया भर में शास्त्रीय संगीत के पुरोधाओं के लिए जानी जाती थी, अब खाली होती जा रही है..
सरल सहज और जमीन से जुड़े कलाकार को काशी के कलमकार शरद दीक्षित की कलम से श्रद्धांजलि…🙏🏻
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