- महाभारत में भी पांडवों ने अपने खास शस्त्र शमी वृक्ष के पीछे छिपाए थे,
अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी विजयादशमी, जिसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता है, धर्म, सत्य और सद्गुणों की विजय का प्रतीक है। यह पर्व पूरे भारतवर्ष में बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। शमी का पौधा: शमी के पौधे को विजय का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण से युद्ध शुरू करने से पहले शमी वृक्ष के सामने झुककर विजय की कामना की थी। महाभारत में भी पांडवों ने अपने खास शस्त्र शमी वृक्ष के पीछे छिपाए थे, तभी से इसकी पूजा की परंपरा चली आ रही है। विजयदशमी के दिन शमी के पत्तों पर हल्दी-कुमकुम और चावल चढ़ाकर दीपक जलाया जाता है। इसके बाद इन पत्तियों को घर लाकर तिजोरी या पूजा स्थल में सुरक्षित रखा जाता है।
शमी पूजन के लाभ: दशहरा के साथ नवरात्रि पर्व का समापन हो जाएगा। लेकिन नवमी के बाद नवरात्रि का दिन दशमी दशहरा के साथ समाप्त होगा। लेकिन दशहरा के दिन घर में कुछ शुभ पौधे लेकर आता है। ये पेड़-पौधों को सिर्फ प्रकृति का हिस्सा नहीं होते, बल्कि उन्हें देवताओं का स्वरूप भी मानते है।तुलसी, पीपल, बरगद की तरह ही शमी का पौधा भी बहुत पवित्र माना गया है। इसे भगवान शिव और शनिदेव से जुड़ा हुआ माना जाता है। शमी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है, दरिद्रता दूर होती है और शत्रुओं पर विजय मिलती है। जानते है दशहरा के दिन शमी की पूजा और घर लाने का महत्व..शमी का महत्व: शमी का पौधा घर में पॉजिटिव एनर्जी लाता है। मान्यता है कि इसे लगाने से घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती। शमी शनिदेव को प्रिय है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह का दोष है तो शमी की पूजा करने से उसका प्रभाव कम हो जाता है। शनिदेव हमेशा कर्म के अनुसार फल देते हैं। ऐसे में शमी का नियमित पूजन करने से कठिनाइयाँ कम होती हैं और जीवन में सफलता का मार्ग खुलता है। शमी का पौधा पौराणिक कहानी: स्कंद पुराण या रामायण में शमी- रामायण में शमी के बारे में वर्णन है। जब भगवान श्रीराम रावण से युद्ध करने से पहले शमी की पूजा की थी। उन्होंने विजय की प्रार्थना की और युद्ध में रावण को हराकर लंका पर विजय प्राप्त की। अयोध्या लौटने के बाद श्रीराम ने लोगों को स्वर्ण दान दिया और शमी की पत्तियाँ भी दान कीं। इसी कारण शमी को विजय और समृद्धि का प्रतीक माना गया।
महाभारत में शमी: महाभारत के समय जब पांडव वनवास में थे, तो उन्होंने अपने अस्त्र-शस्त्र शमी के पेड़ में छुपा दिए थे। वनवास पूरा होने के बाद उन्होंने वहीं से अपने अस्त्र-शस्त्र निकाले और कुरुक्षेत्र युद्ध में गए। युद्ध से पहले पांडवों ने शमी वृक्ष की पूजा की और विजय का आशीर्वाद मांगा। इसी परंपरा के कारण आज भी विजयादशमी पर शमी और शस्त्र पूजन की परंपरा है।विजयादशमी पर शमी पूजा: नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दशहरा मनाया जाता है। इस दिन असत्य पर सत्य की जीत का संदेश दिया जाता है। रावण दहन के साथ ही इस दिन शमी और शस्त्र पूजन करने की परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन शमी की पूजा करने से शौर्य, शक्ति और विजय की प्राप्ति होती है।शमी की पूजा क्यों की जाती है?
शमी पूजन से शनि दोष का असर कम होता है। यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। शमी के पत्तों का उपयोग शिव, गणेश और दुर्गा की पूजा में शुभ माना जाता है।
शनिवार को शमी के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से घर की बाधाएँ दूर होती हैं। "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। शमी कब लगाना चाहिए? वास्तुशास्त्र में शमी के पौधे को बेहद शुभ है। इसे लगाने से घर में शांति, बरकत और धन की वृद्धि होती है।
शनिवार को शमी का पौधा लगाना सबसे अच्छा माना गया है।
शनि जयंती पर भी इसका रोपण शुभ होता है।
दशहरा के दिन शमी का पौधा लगाना चाहिए।
शमी किस दिशा में लगाएँ? शमी का पौधा उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में लगाना श्रेष्ठ है। इसे उत्तर दिशा में भी रखा जा सकता है। इससे अनावश्यक खर्च रुकते हैं और पैसों की तंगी दूर होती है। शमी को कभी भी टॉयलेट या बाथरूम के पास न रखें। रसोईघर के पास भी इसे नहीं रखना चाहिए।
जिस जगह पौधा रखें, वहाँ पर्याप्त धूप और रोशनी होनी चाहिए। मुरझाया या सूखा शमी का पौधा घर में नहीं रखना चाहिए। इससे नकारात्मकता बढ़ती है। शमी पूजन की विधि
शनिवार को सुबह स्नान करके शुद्ध मन से शमी वृक्ष के पास दीपक जलाएँ। "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। शमी की पत्तियाँ भगवान शिव को अर्पित करें।
पौधे को तेल या जल चढ़ाएँ।
इसकी पत्तियों का उपयोग भगवान गणेश और मां दुर्गा की पूजा में भी किया जा सकता है। शमी का पौधा भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह केवल एक पौधा नहीं, बल्कि साहस, शांति, समृद्धि और विजय का प्रतीक है। रामायण और महाभारत की कथाएँ इसके महत्व को और भी गहरा बनाती हैं।
वास्तुशास्त्र भी शमी के पौधे की शक्ति को मान्यता देता है और इसके सही स्थान पर लगाने की सलाह देता है। शनिवार को नियमित रूप से दीपक जलाकर और मंत्रजाप करके शमी की पूजा करने से घर में सकारात्मकता आती है, शनि दोष कम होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। इसलिए हर घर में शमी का पौधा लगाना और उसकी नियमित पूजा करना अत्यंत शुभ और लाभकारी है। ( अशोक झा की कलम से )
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