अरावली की पहाड़ियों से घिरा अलवर। यहां की सुबह ताजगी तो देती ही है, साथ ही बाजारों में पकवानों की खुशबू हर किसी को अपनी ओर खींच ही लाती है। हरी भरी पहाड़ियों से ठंडी-ठंडी हवा आ रही है। ये हवा सूरज के तीखे होते ही गर्म भी हो जाती है। क्योंकि पहाड़ तपते ही हवा की ठंडक खत्म कर देते हैं। बाजार में पकवानों की दुकानें सुबह ही सज जाती हैं। पपड़ी,दही बड़े, समोसा,कचोड़ी, इमरती और मालपुआ की महक ऐसी कि हर कोई वहां से बिना खाए न निकल पाए। मिल्क केक या कलाकंद की मिठास तो पूरे देश में फैली है। मूसी महारानी की छतरी का नजारा देखते ही बनता हैं। सुबह की सैर पर आए लोग यहां ताजी हवा के साथ इसकी सुंदरता निहार रहे हैं। पहाड़ियों के बीच एक बड़ा जलाशय, चारों ओर पुराने घर। बीच में मूसी महारानी की छतरी के साथ महाराज बख्तावर सिंह की छतरी है। इसका निर्माण महाराजा विनय सिंह ने करवाया था। उनका शासन 1814 से 1857 के बीच रहा। शहर के अंदर ही कंपनी पार्क है। पार्क के बीच में शिमला है। ये गर्मी में ठंडक का अहसास कराता है। इसको इसी तरह बनाया गया है। पेड़ों से ढंका है, इसलिए कितना भी तापमान हो, यहां ठंडक रहती ही है। ये बातें तो शहर की हैं। अब हम जंगल की ओर चलते हैं। अलवर के चारों ओर जंगल है। शहर से 35 किमी दूर सरिस्का टाइगर रिजर्व का गेट है। जहां से सफारी शुरू होती है। यहीं पर जंगल के अंदर है पांडुपोल हनुमान मंदिर। मंगलवार और शनिवार को पांडुपोल हनुमान मंदिर के दर्शन करने अंदर जा सकते हैं। ये गेट से 21 किमी दूर जंगल में है। ऐसा बताया जाता है कि जब अज्ञातवास के दौरान विराट नगर जाते समय भीम ने पहाड़ में गदा मारकर रास्ता बनाया था। इसी दौरान भीम को अंहकार आ गया तो हनुमानजी बीच में पूंछ फैलाकर बैठ गए, लेकिन भीम उनकी पूंछ नहीं उठा पाए फिर उन्होंने माफी मांगी। इसीलिए इसको पांडूपोल हनुमान मंदिर कहां जाता। मंदिर और पहाड़ के पोल का नाराज अद्भुत है। झरने, हरियाली और पहाड़ आनंदित करते हैं। हम कह सकते हैं अलवर अद्भुत है। ( दैनिक भास्कर के संपादकों में शुमार अनिमेष शर्मा की कलम से )
अरावली की पहाड़ियों से घिरा अद्भुत अलवर…
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roamingjournalist
सितंबर 20, 2025
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दो दशक से ज्यादा हो गया पत्रकारिता में हूं। नाम है दिनेश चंद्र मिश्र। देश के कई राज्यों व शहरों में काम करने का मौका मिलने के बाद दोस्तों ने मोहब्बत में नाम दिया रोमिंग जर्नलिस्ट तो इसको रखने के साथ इस नाम से ब्लॉग बना लिया। पत्रकारिता की पगडंडी से लेकर पिच तक पर कलम से की-बोर्ड तक के सफर का साक्षी हूं। दैनिक जागरण,हिंदुस्तान,अमर उजाला के बाद आजकल नवभारत टाइम्स नईदिल्ली में हूं। आपातकाल से लेकर देश-दुनिया की तमाम घटनाओं का साक्षी रहा हूं। दुनियाभर में घूमने के बाद खबरों के आगे-पीेछे की कहानी आप संग शेयर करने के लिए यह ब्लॉग बनाया हूं
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