- आखिर मणिपुर के अशांति के पीछे का क्या है कारण ?
मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में हथियारबंद लोगों के एक ग्रुप ने शुक्रवार शाम असम राइफल्स के वाहन पर हमला कर दिय था। अंधाधुंध फायरिंग की गई थी। गोलीबारी में दो जवानों के शहीद हो गए थे। पांच जवान घायल है। हमले में शहीद हुए जवानों की पहचान नाइक सुबेदार श्याम गुरूंग और राइफलमैन केशप के रूप में हुई है।घायलों में निंगथौखोंगजम नोंगथोन (इंफाल ईस्ट), डी.जे. दत्ता (लखीमपुर, असम), हवलदार बी.के. राय (सिक्किम), एल.पी. संगमा (तुरा, मेघालय) और सुभाषचंद्र (उत्तराखंड) शामिल हैं। घटना के बाद सर्च ऑपरेशन: पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने मौके से बड़ी संख्या में कारतूस बरामद किए हैं. प्रारंभिक जांच के अनुसार हमलावर हमले के बाद पास के घने इलाकों में भाग निकले. सुरक्षा बलों ने इलाके में कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू कर दिया है. हमला जिस जगह हुआ, वह क्षेत्र AFSPA (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट) के दायरे में नहीं आता। अफस्पा वर्तमान में मणिपुर के लगभग पूरे इलाके में लागू है, लेकिन घाटी के पांच जिलों के 13 थाना क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया है. नमबोल उन्हीं इलाकों में शामिल है. इससे यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या हमलावरों ने जानबूझकर ऐसी जगह को चुना, जहां सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई पर कानूनी सीमाएं अधिक हों। राज्यपाल और नेताओं की प्रतिक्रिया: राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने इस हमले की निंदा की और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा, "ऐसे घृणित हमलों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सुरक्षा बलों का बलिदान देश की रक्षा के लिए हमेशा याद किया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने RIMS जाकर घायल जवानों से मुलाकात की और कहा, "हमारे बहादुर जवानों पर हुआ यह हमला बेहद दुखद है. शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं. दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
6 उग्रवादियों को भारी हथियारों के साथ किया गया गिरफ्तार :
मणिपुर पुलिस एवं सुरक्षा बलों के बीते 24 घंटों के दौरान राज्य के चुराचांदपुर, तेंगनौपाल और चंदेल जिलों में व्यापक अभियान चलाया है। इस दौरान भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और अन्य सैन्य उपकरणों का एक बड़ा जखीरा बरामद करने के साथ ही कुल 6 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया है।पकड़े गए उग्रवादियों में केसीपी के चार, प्रीपाक (प्रो) के एक और सोरेपा के एक कैडर हैं।
मणिपुर पुलिस ने शुक्रवार को एक बयान में बताया कि सुरक्षा बलों ने इंफाल पूर्व जिले के एंड्रो पार्किंग से केसीपी (पीडब्ल्यूजी) के एक सक्रिय कार्यकर्ता ताओरेम तोमचौ मैतेई उर्फ पेना (45) को गिरफ्तार किया है। इसी कड़ी में एक अन्य अभियान में सुरक्षा बलों ने इंफाल पश्चिम जिले के लामसांग थाना क्षेत्र से केसीपी (पीडब्ल्यूजी) के 03 सक्रिय कैडरों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार कैडरों की पहचान लीशांगथेम टंडन सिंह (34) उर्फ जॉन, लीशांगथेम आनंद सिंह (34) और हेइखम हेमचंद्र सिंह (41) उर्फ बोइनाओके रूप में हुई है। उनके कब्जे से 2 एसएलआर राइफलें, 1 संशोधित .303 राइफल, 1 इंसास राइफल, 1 संशोधित .303 राइफल बाइपॉड सहित, 1 इंसास एलएमजी मैगज़ीन, 3 इंसास राइफल मैगज़ीन, 7.62 एसएलआर राइफल की 4 मैगज़ीन, 1.303 राइफल मैगज़ीन, 27.303 राइफल के कारतूस, 23 7.62 मिमी एसएलआर के कारतूस, 14 राउंड एके रायफल के कारतूस, 35 राउंड इंसास के कारतूस, 3 मोबाइल फोन और 3 आधार कार्ड की बरामदगी हुई है।इसी कड़ी में सुरक्षा बलों ने प्रीपाक (प्रो) के सक्रिय कार्यकर्ता इचाम खुनौ अवांग लेइकाई निवासी थोंगब्रम टिकेन मैतेई (40) को थौबल जिले के थौबल थाना क्षेत्र के उसके निवास स्थान से गिरफ्तार किया। उसके पास से सिम कार्ड सहित एक मोबाइल फोन जब्त किया गया। मणिपुर पुलिस ने सोरेपा के एक सक्रिय कार्यकर्ता समाराम मयाई लेइकाई निवासी खोइनैजम भूमेश्वर सिंह (24) को खोंगजोम थाना क्षेत्र के अंतर्गत उसके निवास स्थान से गिरफ्तार किया। उसके पास से बरामद सामानों में 1 9 मिमी ज़िंदा कारतूस, 2.32 ज़िंदा कारतूस, 1 डमी बंदूक, 1 पिस्तौल होलस्टर, 1 मोबाइल फ़ोन और 1 आधार कार्ड शामिल है।
एक अन्य अभियान में सुरक्षा बलों ने कांगपोकपी ज़िले के मोनबंग रिज के सामान्य क्षेत्र से 4 सिंगल बैरल बंदूकें बरामद की। सुरक्षा बलों ने कांगपोकपी ज़िले के न्यू कीथेलमनबी-थाना अंतर्गत गमदई और एस. मोंगोई के सामान्य क्षेत्र से 3 बोल्ट एक्शन राइफलें, खाली मैगज़ीन वाली तीन 9 मिमी की पिस्तौलें, बेल्ट सहित चार 12 बोर ज़िंदा कारतूस, पांच 12 बोर के खाली कारतूस, 1 वायरलेस हैंडहेल्ड सेट, 2 चार्जर और 2 बुलेटप्रूफ प्लेट बरामद किया। सुरक्षा बलों ने कांगपोकपी जिले के न्यू कीथेलमनबी-थाना अंतर्गत ऐगेजांग के सामान्य क्षेत्र से 4 बोल्ट एक्शन राइफलें, दो 9 मिमी पिस्तौल, मैगज़ीन के साथ और पांच 12 बोर के कारतूस बरामद किये। सभी मामलों में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस आगे की कार्रवाई में जुटी हुई है। अभी मणिपुर में लागू है राष्ट्रपति शासन:
गौरतलब है कि मणिपुर में दो साल से अधिस समय से शांति नहीं लौटी है. मई 2023 से शुरू हुए मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष में अब तक कम से कम 260 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों में रह रहे हैं. इसी साल फरवरी में राज्य में बढ़ते तनाव और हिंसा के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया.मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं। ( पूर्वोत्तर से अशोक झा )
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