- सरकारी अवकाश घोषित होने से उत्साह, करमा प्रकृति पर्व ,यह भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक
उत्तर बंगाल में करीब 12 लाख आदिवासी है। यहां चाय बागान में आज हर गली में मांदर की थाप पर थिरकते नजर आ रहे है।
करमा पूजा हर साल भाद्रपद यानी भादो महीने के शुक्ल में पड़ने वाली एकादशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल करम पर्व आज बुधवार 3 सितंबर को है। बुधवार को बहनें निर्जल उपवास रख शाम को करम गोसाई की पूजा-अर्चना करेंगी. अपने भाई की लंबी आयु व स्वस्थ रहने के लिए आशीष मांगेगी. वहीं मंगलवार को बहनों ने नहाय खाय के साथ उपवास पूरा करने का संकल्प लिया।करम पर्व पर महिलाएं व्रत रखती हैं और करम डाल की पूजा करती हैं। करम आदिवासी मूल के लोगों का आराध्य वृक्ष माना जाता है। लोग अपने घर-आंगन की साफ-सफाई कर सजाते हैं. आदिवासियों के धार्मिक स्थल अखरा में करम डाली को पूरे विधि-विधान के साथ लगाया जाता है। पूजा से पहले लोग करम डाली का आह्वान भी करते हैं. इस दिन करम वृक्ष पूजा कर बहने कामना करती हैं कि, उनके भाई की आयु भी करम वृक्ष की तरह की अधिक हो.
करमा-धरमा कथा : करमा पूजा में करमा-धरमा की कथा काफी प्रचलित है. इस अवसर पर करमा-धरमा नामक दो भाईयों की कथा सुनते हैं. इस कथा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. करमा डाली की पूजा करने के बाद लोग प्रकृति के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करते हैं. करम पर्व यह बताया है कि, प्रकृति के साथ सामंजस्य और संतुलन बनाए रखने से ही जीवन में वास्तिव सुख की प्राप्ति होती है।
भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है करमा पर्व: करमा प्रकृति पर्व है. यह भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है. करमा में जवा डाली की पूजा की जाती है. उसमें सात प्रकार के अनाज बोकर कड़े नियम का पालन करती हैं. नियम से जवा डाली में पानी दिया जाता है. एकादश के दिन बहनें उपवास कर करम डाल की पूजा करती हैं. जवा डाली को रात में जगाती हैं. इस दौरान आइज रे करम गोसाई घरे दुआरे, काल रे करम गोसाई कांसाई नदी पारे… आदि गीत गाकर जागरण करती है.।नव वधुओं के लिए करम पर्व खास होता है. वे ससुराल से मायके करम डाल भेजती हैं. भाई बहन को लाने उसके ससुराल जाते हैं. सभी बहनें मिलकर जवा नाचने वाले स्थल पर झूमर खेलती हैं. सुबह करम गोसाई की पूजा कर भूल चूक की माफी मांग कर नदी या पोखर में विसर्जित करती हैं. भाई को प्रसाद देने के बाद उपवास खोलती हैं
करमा के गीतों से गूंज रहे ग्रामीण इलाके: उत्तर बंगाल के सभी चाय बागान क्षेत्रों में मंगलवार को आंचरा कागजे चिट्ठीया लिखबो, चिट्ठीया भेजोबो नैयहर…, सुन सुन सखी गन. दीदीर साड़ी हितांबोर, भौजीर साड़ी पीतांबोर..जैसे करमा गीतों से गूंज उठे। बहनें अपने भाइयों के लिए करमा पर्व कर रही हैं. जगह-जगह जावा नृत्य हो रहा है। गीत-संगीत के बीच करमा उत्सव उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।इस वर्ष करमा पर्व तीन सितंबर दिन बुधवार को मनाया जा रहा है। इस मौके पर आम से खास तक सभी मांदर की थाप पर थिरकते नजर आते हैं. करमा पर्व मुख्य रूप से बहनों द्वारा भाइयों की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना के लिए मनाया जाता है।महिलाएं 24 घंटे का उपवास रखकर करम डाल की पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं. यह पर्व न केवल भाइयों की मंगल कामना का प्रतीक है बल्कि सृष्टि और प्रकृति की आराधना का भी उत्सव है. आदिवासी समाज प्रकृति को ही आराध्य देव मानता है और करम वृक्ष को विशेष महत्व देता है क्योंकि यह 24 घंटे ऑक्सीजन प्रदान करता है। इसी कारण करम वृक्ष को आराध्य देव के रूप में पूजा जाता है. पूजा के दिन बांस की बनी डाली को सजाकर घर के आंगन में स्थापित किया जाता है। इसके चारों ओर महिलाएं बैठकर अपने भाइयों के कल्याण की प्रार्थना करती हैं. यह पर्व प्रकृति और मानव के अटूट संबंध को दर्शाता है। करमा हमें सिखाता है कि प्रकृति के बिना जीवन असंभव है और इसका संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. करमा पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, सामाजिक संस्कार भी है : करमा पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक सामाजिक संस्कार भी है. यह पीढ़ी दर पीढ़ी सद्भाव, अच्छे चरित्र और मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाने का संदेश देता है. जिस प्रकार सूर्य का कार्य निरंतर प्रकाश देना और वृक्ष का कार्य फल व छाया प्रदान करना है, उसी प्रकार करम और धरम को एक सिक्के के दो पहलू माना गया है। आदिवासी समाज करम वृक्ष को सत्य-असत्य, पाप-पुण्य और जीवन के संतुलन का प्रतीक मानता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि वास्तविक समृद्धि केवल आर्थिक नहीं बल्कि पारिवारिक, सामाजिक और पर्यावरणीय सामंजस्य में है. करमा पूजा मानव, परिवार और प्रकृति के रिश्ते को मजबूत करने का माध्यम है और समाज में एकता, प्रेम और तहजीब का संदेश देती है। मैना बागीचा में होगा भव्य करमा पूजनोत्सव : अलीपुरद्वार क्षेत्र में तीन सितंबर की रात आठ बजे भव्य करमा पूजनोत्सव का आयोजन होगा। यहां पूरे विधि-विधान के साथ करम पूजा की जायेगी जिसमें सांसद मनोज तिग्गा भी मौजूद रहेंगे। काफी संख्या में लोग इस अवसर पर जुटेंगे और पूजा के बाद मांदर की थाप पर जमकर थिरकेंगे। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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