- सेंट्रल एजेंसियों के हाथ लगा लाल खाता, इसमें है भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत
- काले धन को सफेद बनाने के लिए करते है उद्योगपतियों का लेते है सहारा
- अपनी काली कमाई को यहां रख रहते है सुरक्षित, 1000 से ज्यादा प्रॉपर्टी के मिले है डॉक्यूमेंट्स
- बढ़ सकती है कइयों को और मुश्किलें, नहीं खत्म हो रही व्यापारियों की चिंता
जिस बात का डर था आखिर वही हुआ। बंगाल सीमांत बिहार के किशनगंज दफ्तरी ग्रुप के यहां लगातार छठवें दिन भी छापेमारी जारी है। इस छापेमारी से ना व्यापारियों की नींद उड़ी हुई है बल्कि भ्रष्ट व्यापारियों, अधिकारियों और नेताओं का सुख चैन छीनने वाला है। यह इसलिए क्योंकि एजेंसी के हाथ छापेमारी के दौरान एक लाल खाता हाथ लगा है जिसमें ऐसे लेनदेन की लंबी फेरहिस्त पाई गई है। जांच टीम हालांकि अबतक इसमें नामो का खुलासा नहीं कर रही है। लेकिन इतना तो तय है कि ऐसे नेताओं और अधिकारियों पर जल्द से जल्द शिकंजा कसने वाला है। इससे ऐसे लोगों में बेचैनी लगातार बढ़ रही है। छापेमारी टीम ने उद्योगपति जयकरण दफ्तरी से जुड़े ग्रुप की 100 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति जब्त की है। इसका जानकारी आयकर विभाग की सीनियर अधिकारी सुनीता कुमारी ने मंगलवार मीडिया को दी थी। विभाग के मुताबिक रेड के दौरान बड़ी मात्रा में गोल्ड ज्वेलरी और 1000 से ज्यादा प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट्स मिले हैं। वहीं दफ्तरी के फर्नीचर शोरूम में अनियमितताओं का मामला भी सामने आया है, जहां खरीद-बिक्री के दौरान गलत तरीकों से सामान बेचा और खरीदा गया। आयकर विभाग और केंद्रीय एजेंसियों बिहार में 25 जगहों पर ये कार्रवाई की है। इनमें नेमचंद रोड, भगतटोली, धर्मशाला रोड, पश्चिमपाली और सुभाष पल्ली के आवासीय और कारोबारी परिसर शामिल हैं। छापेमारी के दौरान विभाग ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल डेटा और वित्तीय रिकॉर्ड जब्त किए हैं। ये सभी अवैध लेनदेन से जुड़े हो सकते हैं। जांच अभी भी जारी है। अधिकारियों को और भी खुलासों की उम्मीद है। लोगों में चर्चा है कि अब समझ में आ रहा है कि क्यों यहां अधिकारियों और नेताओं का दरबार लगता था। यह कोई व्यापारिक सम्मान नहीं बल्कि अपने काले धन को सुरक्षित रखने और उसके हिसाब किताब का लेखा जोखा समय समय पर लिया जाता रहा था।
कैसे चलता है यह पूरा खेल: इस मैदान के एक पुराने खिलाड़ी ने बताया कि नेताओं और अधिकारियों द्वारा काले धन को सफेद करने के लिए इसे व्यापारियों की तलाश होती है जो विश्वासी और भरोसे मंद हो। उनके पैसे को सुरक्षित रखे और जब समय आए तो उन्हें लौटा दे। ऐसा होने से ऐसे नेता और अधिकारी टेंशन मुक्त होकर अपना जीवन व्यतीत करते है। व्यापारी को इस बात की मौज रहती है कि बिना ब्याज के उन्हें अनचाहा धन मिलता है जिसे वह अपने कारोबार में लगाकर दोनों हाथ से धन बटोरते है। कुछ बड़े कारोबारी तो खुद के मान पर दूसरे व्यापारी को साहूकारी ब्याज 70 से एक रुपए के व्याज पर पैसा उपलब्ध कराते है। कुछ ऐसा ही दफ्तरी ग्रुप के साथ भी था। नहीं तो मात्र पांच एकड़ से चाय की खेती में उतरा यह परिवार आज 500 एकड़ से ज्यादा जमीन के मालिका बन बैठा है। अधिकारियों और नेताओं से पैठ होने का और भी फायदा होता है कि समाज में इज्जत के साथ यह समझ के ठेकेदार बन बैठते है। कोई भी अच्छा या बुरा काम हो इसी चौखट पर लोग नाक रगड़ते है। कुछ लोगों का कहना है कि लालू और कांग्रेस राज में तो जिला के अधिकारियों का ट्रांसफर पोस्टिंग भी यही तय होता था। लेकिन अब यह बंद हो चुका है।
हवाला नेटवर्क का पूरा खेल : कहते है कि दफ्तरी ग्रुप के यहां हवाला नेटवर्क को लेकर भी कुंडली खंगाली जा रही है। कहते है कि पैसों का लेनदेन नोट नम्बर से होता है। इसमें भ्रष्ट पअधिकारियों, नेताओं और कारोबारियों के काला धन देश के किसी भी कोने से पहुंचाने के लिए उसी शहर के अपने परिचित कारोबारी तक रुपए देते है उसे दूसरे को देने के लिए बस बताए गए नोट नम्बर होना चाहिए। लाखों क्या करोड़ों में पेमेंट होता है।
फिलहाल दफ्तरी ग्रुप का व्यवसाय चाय बागान, मॉल, कपड़ा, फर्नीचर, निर्माण, होटल और वाहन बिक्री क्षेत्रों में फैला हुआ है। सोमवार की रात ग्रुप के मालिक राजकरण दफ्तरी से पूछताछ की गई। इस दौरान उनके सीने में दर्द हुआ, जिसके बाद वे अचानक गिर पड़े। उन्हें पहले पश्चिम पाली के एक निजी नर्सिंग होम और फिर सिलीगुड़ी के आस्था नर्सिंग होम के ICU में भर्ती कराया गया। वहां से सिलीगुड़ी अभी कोलकाता के अपोलो अस्पताल में रेफर कर दिया गया। फिलहाल उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। उनके ठीक होने पर विभाग उनसे कभी भी फिर से पूछताछ कर सकती है। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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