- चर्चा है कि जिसके कारण शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा वह खेल अब होगा शुरू
- दिलचस्प बात यह रही कि उनके नाम होटल तो बुक थे पर रजिस्टर में दर्ज नहीं किए गए
- क्या इसका कोई गुप्त संदेश छुपा है बांग्लादेश और अमेरिका के बीच
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की लंबे समय से चल रही सरकार के पतन ने बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा बदलाव ला दिया है। सत्ता से हटने के बाद देश राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। इसी बीच अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी ने नई बहस को जन्म दिया है। इस बीच बांग्लादेश में अमेरिकी सैनिकों की बढ़ती संख्या ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। खासकर अमेरिकी सैनिकों रहने खाने को लेकर बरती जा रही सतर्कता ने शक पैदा कर दिया है।अमेरिकी वायुसेना का सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान चटगांव के अमानत इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा, जो सामान्यतः जापान के योकोटा स्टेशन पर तैनात रहता है। इस विमान में सवार 120 अमेरिकी अधिकारी चुपके से चटगांव के एक होटल में पहुंचे, जहां उनके लिए पहले से कमरे बुक थे, लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि उनके नाम होटल के रजिस्टर में दर्ज नहीं किए गए। क्या इसका कोई गुप्त संदेश है?
जानकारी के मुताबिक, बिते दिनों 10 सितंबर को अमेरिकी वायु सेना और अमेरिकी सेना के लगभग 120 अधिकारी ढाका से चटगांव पहुंचे। उनके ठहरने के लिए ढाका के प्रसिद्ध रेडिसन ब्लू होटल में 85 कमरे पहले से बुक किए गए थे। लेकिन होटल के रजिस्टर में किसी भी अधिकारी का नाम दर्ज नहीं किया गया। हालांकि, आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सैनिक संयुक्त सैन्य अभ्यास के लिए बांग्लादेश आए हैं।
होटल में मृत पाया गया था अमेरिकी अधिकारी
बता दें कि, 14 सितंबर को चटगांव एयरपोर्ट पर मिस्र की वायु सेना का एक विमान उतरा, और इसके अगले ही दिन अमेरिकी सैनिकों ने बांग्लादेश वायु सेना के पटेंगा एयरबेस का निरीक्षण किया था। इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि बांग्लादेश इस समय कई वैश्विक शक्तियों की सैन्य कूटनीति का केंद्र बनता जा रहा है।
अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति तब और चर्चा में आ गई जब 31 अगस्त को ढाका के वेस्टिन होटल में अमेरिकी विशेष बल कमान के अधिकारी टेरेंस अर्वेले जैक्सन मृत पाए गए। अप्रैल में बांग्लादेश पहुंचे इस अधिकारी की मौत को संदिग्ध माना जा रहा है। हालांकि, अमेरिकी और बांग्लादेशी अधिकारियों ने इस मामले पर अब तक कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है, जिससे इस घटना को लेकर संदेह और भी गहरा गया है।
अमेरिकी सैनिक पहले भी बांग्लादेश में “टाइगर लाइटनिंग 2025” और “ऑपरेशन लाइटनिंग” जैसे सैन्य अभ्यासों में भाग ले चुके हैं। इन अभ्यासों का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करना, सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ाना और शांति स्थापना के प्रयासों को समर्थन देना रहा है। शेख हसीना सरकार के पतन के बाद इन गतिविधियों को अमेरिका की बांग्लादेश में बढ़ती रणनीतिक दिलचस्पी के रूप में देखा जा रहा है।यूनुस शासन के बाद अमेरिकी साझेदारी में उछाल
मुहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद से अमेरिका-बांग्लादेश सैन्य संबंधों में तेजी आई है. अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से अमेरिकी सेना ने चटगांव में कई बार डेरा डाला है. इनमें टोही मिशन, संयुक्त अभ्यास और आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण शामिल हैं. इस साल की शुरुआत में ही दोनों देशों ने चटगांव में 'ऑपरेशन पैसिफिक एंजल-25' और 'टाइगर लाइटनिंग-2025' जैसे अभ्यास आयोजित किए थे. 'पैसिफिक एंजल' में अमेरिकी पैसिफिक एयर फोर्सेस (PACAF), बांग्लादेश वायुसेना और श्रीलंकाई वायुसेना ने हिस्सा लिया, जो चार दिनों तक चला. इसका फोकस खोज-बचाव और आपदा प्रतिक्रिया पर था। वहीं, 'टाइगर लाइटनिंग-2025' जुलाई में सिलहेट के जलालाबाद कैंटोनमेंट में हुआ, जिसमें बांग्लादेश की पैरा कमांडो ब्रिगेड और अमेरिकी आर्मी पैसिफिक कमांड ने काउंटर-टेररिज्म, जंगल युद्ध और चिकित्सा निकासी पर ट्रेनिंग की. अमेरिकी दूतावास के अनुसार, ये अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बढ़ाने के लिए हैं, लेकिन आलोचक इन्हें अमेरिका की क्षेत्रीय घुसपैठ का हिस्सा मानते हैं।
म्यांमार के विद्रोही समूहों पर नजर: अमेरिका और चीन दोनों ही म्यांमार के अस्थिर सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रभाव बढ़ाने की होड़ में हैं. म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध के बीच विद्रोही गुटों को समर्थन देना दोनों महाशक्तियों का लक्ष्य है. चटगांव की निकटता के कारण अमेरिकी उपस्थिति म्यांमार के आर्खेन आर्मी जैसे विद्रोही समूहों तक पहुंच को आसान बनाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम चीन के 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) प्रोजेक्ट्स को चुनौती दे सकता है, जो बांग्लादेश के माध्यम से म्यांमार तक फैले हैं। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
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