- गृहमंत्री ने मारे गए लोगों की जिम्मेदारी लेते हुए देना चाहते है त्यागपत्र
- हिंसा और आंदोलन के पीछे हामी नेपाल एनजीओ का पूरा प्लान
- हिंसा के बीच फिर से शुरू है सोशल मीडिया पर सूचनाओं का आदान प्रदान
- आंदोलनकारियों के साथ कदमताल कर रहे है नेपाली कलाकार
भारत के पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के काठमांडू में प्रदर्शन इतना हिंसक हो गया कि युवाओं ने देश के संसद भवन में घुसकर तोड़फोड़ की और वहां मौजूद सामान में आग लगा दी। नेपाल में अब तक 20 लोगों की मौत, 200 घायल है। नेपाल में जारी विरोध प्रदर्शनों में अब तक मरने वालों की संख्या 20 पहुंच गई है। जबकि 200 से ज्यादा घायल हैं। कई जगह पर प्रदर्शनकारियों ने सेना पर पथराव किया है। रात 8 बजे से बिर्तमोड में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है। आगजनी जारी है। नेपाल में सोशल मीडिया फिर से शुरू : नेपाल में सोशल मीडिया फिर से शुरू हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार नेपाल में दोपहर 3:15 बजे के बाद बिना वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) इस्तेमाल किए सारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चल रहे हैं।
नेपाल सरकार का दावा – विरोध में शामिल हुए अराजक तत्व:
नेपाल में Gen-Z प्रदर्शन को लेकर नेपाल सरकार के प्रवक्ता और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरंग ने कहा कि इस प्रदर्शन में अराजक ताकतों ने हिस्सा ले लिया है। उनका उद्देश्य साफ़ है कि सत्ता पर कब्जा कर लिया जाए। ये प्रदर्शन सिर्फ सोशल मीडिया के बहाली और भ्रष्ट्राचार के ख़िलाफ़ कार्रवाई को लेकर सीमित नहीं था। उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि हिंसा का जिम्मेदारी विरोधी सरकारी ताकत हैं। ये प्रदर्शन सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने को लेकर नहीं किया गया। प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछारें, रबर बुलेट का इस्तेमाल किया, लेकिन बात नहीं बनी तो फायरिंग करना पड़ी। इस फायरिंग में अब तक 20 लोगों की मौत हो गई है। नेपाल में आग और भड़क उठी है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, दमक में प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के घर पर पत्थरबाजी की। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने ईस्ट-वेस्ट हाइवे को टायर जलाकर रोक दिया। हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस को चेतावनी के तौर पर हवाई फायरिंग करनी पड़ी। वे घटनास्थल पर सेना की तैनाती है। सुरक्षाबलों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। इस बीच नेपाल के गृहमंत्री ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि हिंंसा में मारे गए लोगों की जिम्मेदारी लेते हुए वे पद छोड़ना चाहते हैं। इससे पहले राजधानी काठमांडू के न्यू बानेश्वर में मौजूद संसद भवन परिसर में उस समय तनाव फैल गया जब सोशल मीडिया बैन होने के विरोध में प्रदर्शन कर रही भीड़ उग्र हो गई और उन्होंने पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए. प्रदर्शनकारी गेट पार कर संसद के भीतर प्रवेश की कोशिश कर रहे थे। ये प्रदर्शनकारी नई जेनरेशन के वो युवा हैं, जो देश में सोशल मीडिया पर बैन लगने के बाद काफी नाराज हैं. हालात को देखते हुए पीएम केपी ओली ने आपात बैठक बुलाई है नेपाल में हो रहे इन प्रदर्शनों के पीछे वजह मुख्य रूप से सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध है। नेपाल की सड़कों पर हजारों की संख्या में युवाओं की भीड़ देखी जा रही है। ये लोग भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर लगे बैन को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. आपको बता दें कि नेपाल में फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, यूट्यूब और स्नैपचैट पर पाबंदी लगा दी गई है, जिससे युवा काफी नाराज हैं। किन शहरों में आंदोलन का असर?:नेपाल सरकार ने काठमांडू, पोखरा, लुंबिनी, बिर्ता मोड , इटाहारी, जनकपुर, पाटन, भरतपुर, विराटनगर, धरान, भक्तपुर और बुटवल समेत कई दूसरे इलाके प्रभावित हैं। आंदोलन की ये आग हर घंटे बढ़ रही है। सोशल मीडिया प्रतिबंध, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद जैसे मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा है। Gen Z वर्ग के लोगों का कहना है कि सरकार ने इसलिए बैन किया सोशल मीडिया ताकि उनके भ्रष्टाचार सामने न आ सकें। पोखरा में प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के आवास और कार्यालय में घुसने का प्रयास किया, जिससे सुरक्षाकर्मियों को कार्रवाई करनी पड़ी।
क्या है 'हामी नेपाल'? युवाओं के इस आंदोलन में 'हामी नेपाल' नामक एनजीओ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संगठन ने डिस्कॉर्ड चैनलों के माध्यम से ऑनलाइन विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। हालांकि, 'हामी नेपाल' का पहले कभी राजनीतिक प्रदर्शन आयोजित करने का कोई इतिहास नहीं रहा है। 'हामी नेपाल' 2015 में असतित्व में आया था, जिसने भूकंप और बाढ़ में नेपाली लोगों के बीच खूब सुर्खियां बटोरी थीं। बता दें कि डिस्कॉर्ड ऐप नेपाल में प्रतिबंधित है। आंदोलन में उतरे नेपाली कलाकार : नेपाल के युवाओं को अब कलाकारों का भी समर्थन मिल रहा है। अभिनेत्री केकी अधिकारी, वर्षा राउत, वर्षा शिवकोटी, अनमोल केसी, प्रदीप खड़का, भोलाराज सपकोटा, गायिका एलिना चौहान, रचना रिमल और समीक्षा अधिकारी सहित कई प्रमुख हस्तियों ने एकजुटता व्यक्त की है।
सरकार ने आंदलोनकारियों पर लगाए आरोप:
सरकार की ओर से सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरंग ने आरोप लगाया है कि प्रदर्शन में 'अराजक ताकतों' ने हिस्सा लिया है, जिनका उद्देश्य सत्ता पर कब्जा करना है। उन्होंने दावा किया कि यह आंदोलन केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध या भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं था। उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए हिंसा के लिए विरोधी सरकारी ताकतों को जिम्मेदार ठहराया।मानवाधिकार आयोग की अपील- मरने वालों के परिवार को मुआवजा मिले: नेपाल के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सरकार और पुलिस से विरोध संभालने में संयम बरतने की अपील की है। NHRC ने अब तक 20 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। आयोग ने कहा कि नेपाल का संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार देते हैं। आयोग ने कहा कि प्रदर्शन में हिंसा करना और सुरक्षाकर्मियों का ज्यादा ताकत का इस्तेमाल अफसोसजनक है। NHRC ने सरकार को निर्देश दिए कि आगे नुकसान रोकने के लिए मजबूत सुरक्षा कदम उठाएं और मरने वालों के परिवारों को मदद और मुआवजा दें। घायलों का मुफ्त इलाज कराएं।
नेपाल ने भारत से सटी सीमा पर कर्फ्यू लगाया
बढ़ते विरोध प्रदर्शन के बीच नेपाल ने भारत से लगी कई सीमा पर कर्फ्यू लगा दिया है। तराई क्षेत्र के कई शहरों में प्रदर्शन फैल गए हैं और प्रदर्शनकारी बदलाव की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। ( नेपाल बॉर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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