- मरने वालो की बढ़ सकती है संख्या, कई घायल इधर -उधर
- भारत नेपाल सीमा पर एसएसबी की गस्त को किया गया तेज
पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में शांति से चल रहा ये प्रदर्शन अचानक हिंसा में बदल गया।
पुलिस ने काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, स्थिति नियंत्रित नहीं होता देख खबर है कि इस दौरान हवाई फायरिंग भी हुई, घटना में अबतक 14 लोगों की मौत हो गई है इसमें 8 प्रदर्शनकारी है। दर्जनों घायल हुए है। नेपाल में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए झड़प में लगातार मौत के आंकड़े में लगातार इजाफा हो रहा है। हिंसा सिर्फ काठमांडू तक सीमित नहीं है। जगह जगह इस प्रकार के प्रदर्शन और हिंसा जारी है। अब मौत का आंकड़ा 14 पहुंच चुका है। नेपाल प्रोटेस्ट में अब तक छह लोगों की मौत की खबर है। नेशनल ट्रॉमा सेंटर में चार जबकि सिविल हॉस्पिटल में दो लोगों की मौत हुई है। संसद भवन के बाहर गोलीबारी जारी है। अब तक 35 प्रदर्शनकारी गोली लगने से घायल हो गए हैं। पोखरा और इटहरी में भी गोली चलने की खबर है। पोखरा में गंडकी प्रदेश के मुख्यमंत्री के दफ्तर पर भी पथराव हुआ है। Gen-Z प्रोटेस्ट में अब तक पांच लोगों की मौत की खबर है। कहा जा रहा है कि 80 प्रदर्शनकारी गोली लगने से घायल हुए हैं।प्रदर्शनकारियों ने संसद की इमारत के गेट नंबर 2 के पास आग लगा दी है और आग की लपटें तेजी से बढ़ रही हैं। आग अभी बुझाई नहीं जा सकी है। काठमांडू में Gen-Z प्रोटेस्ट के उग्र होने के बाद नेपाली सेना की तैनाती के आदेश दिए गए हैं.
- नेपाल सरकार ने मौजूदा स्थिति का आकलन करने के लिए इमरजेंसी सुरक्षा बैठक बुलाई है। पुलिस ने रात 10 बजे तक के लिए काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया है।
क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग: सोशल मीडिया बैन हटाना: 4 सितंबर 2025 को सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (Facebook, Instagram, WhatsApp, YouTube, TikTok, X/Twitter, Reddit आदि) पर लगाए गए प्रतिबंध को तुरंत हटाए। भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म पर कार्रवाई: राजनीतिक भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म (नेपो बेबीज) की जांच की मांग। प्रदर्शनकारी नेताओं और उनके परिवारों (जैसे विदेश यात्राएं, महंगी कारें) की संपत्ति की स्वतंत्र जांच की मांग। प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा और राजनीतिक सुधार: के.पी. शर्मा ओली की अगुवाई वाली सरकार के इस्तीफे की मांग। बेरोजगारी और आर्थिक सुधार: युवाओं के लिए नौकरी के अवसर बढ़ाना, शिक्षा सुधार और विदेश पलायन (जो नेपाल में युवाओं की बड़ी समस्या है) को रोकने के लिए नीतियां। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डिजिटल अधिकार: डिजिटल और सड़क पर विरोध की आजादी की रक्षा, इंटरनेट ब्लैकआउट और सेंसरशिप नीतियों को खत्म करना, सरकार से डिजिटल स्पेस में पारदर्शिता और जवाबदेही। रात 10 बजे तक के लिए काठमांडू में कर्फ्यू:
ये प्रदर्शनकारी नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इसके मद्देनजर काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। उधर, नेपाल सरकार ने मौजूदा स्थिति का आकलन करने के लिए इमरजेंसी सुरक्षा बैठक बुलाई है। पुलिस ने रात 10 बजे तक के लिए काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया है। हालत बेकाबू होता देख सेना को उतरा गया है। इसके अलावा नेपाल में वर्तमान स्थिति को देखते हुए भारत-नेपाल बॉर्डर पर चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। खबर है कि SSB ने भारत नेपाल बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी है. भारत-नेपाल बॉर्डर की सुरक्षा में SSB तैनात है।SSB ने सुरक्षाकर्मियों और सर्विलांस बढ़ा दिया है। सोशल मीडिया पर सरकार के प्रतिबंध से ग़ुस्से में हैं। कहा जा रहा है कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध तो तात्कालिक वजह है, लेकिन उनका ग़ुस्सा भ्रष्टाचार के विरोध में है। इस घटना के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता जैसी स्थिति बन गई। इसके चलते सरकार ने अतिरिक्त सैन्य बल तैनात करने और काठमांडू में कर्फ्यू लगाने की तैयारी में है। पिछले कुछ दिनों से नेपाल में सरकार के ख़िलाफ़ असंतोष बढ़ रहा था। कहा जा रहा है कि भ्रष्टाचार और सरकार के सत्तावादी रवैये को लेकर लोगों में बेहद नाराज़ी थी। इसी बीच सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि युवाओं में ग़ुस्सा फूट पड़ा। वे सड़कों पर उतर आए। यह प्रदर्शन 26 साल से कम उम्र के युवाओं का है जिन्हें जेनरेशन Z कहा जाता है। इस वजह से इस प्रदर्शन को जेन Z का प्रोटेस्ट कहा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का मुद्दा तब और गंभीर हो गया, जब सरकार ने संसद में काम से घर यानी 'वर्क फ्रॉम होम' की नीति को लागू करने का प्रस्ताव रखा। इसे प्रदर्शनकारियों ने जनता की आवाज को अनसुना करने की कोशिश के रूप में देखा। इसके अलावा बढ़ते कर, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सांसदों द्वारा विशेषाधिकारों की मांग ने भी जनता के ग़ुस्से को भड़काया है। सोमवार सुबह हजारों प्रदर्शनकारी काठमांडू की सड़कों पर उतरे और संसद भवन की ओर मार्च किया। स्थिति तब बेकाबू हो गई, जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़कर संसद भवन में प्रवेश कर लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे और सरकार से सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और जनता के हित में नीतियां बनाने की मांग कर रहे थे।
पुलिस ने किया बल प्रयोग: पुलिस ने प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया। इसमें आंसू गैस, लाठीचार्ज और कुछ जगहों पर कथित तौर पर गोलीबारी भी शामिल थी। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर निहत्थे लोगों पर हिंसा करने और बख्तरबंद वाहनों व स्नाइपर्स की तैनाती कर डराने का आरोप लगाया है। एक प्रदर्शनकारी ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'हमारी आवाज सुनने के बजाय, सरकार ने हमें गुंडों और हिंसा से जवाब दिया।' कई प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ने सोशल मीडिया को बंद कर उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की है, जो एक लोकतांत्रिक देश में अस्वीकार्य है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'जो देश लोकतंत्र की नींव पर बना है, वहाँ सरकार अपनी जनता की आवाज को दबाने के लिए हिंसा और सेंसरशिप का सहारा ले रही है। यह निराशाजनक है।'
सरकार का जवाब; प्रदर्शनकारियों के संसद भवन में प्रवेश के बाद सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सैन्य बल तैनात करने की घोषणा की है। सूत्रों के अनुसार, काठमांडू में कर्फ्यू लागु किया गया है। सरकार का कहना है कि यह क़दम क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। हालाँकि, प्रदर्शनकारी इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं।
नेपाल में हाल के महीनों में असंतोष की लहर देखी गई है। बढ़ते कर, नौकरी के अवसरों की कमी, भ्रष्टाचार के मामले और सांसदों द्वारा जनता को 'मूर्ख' कहने जैसे बयानों ने लोगों का ग़ुस्सा बढ़ाया है। इसके अलावा, एक टैक्सी चालक की पुलिस वाहन से कुचलकर मौत और कुछ सांसदों के देश छोड़कर भागने की ख़बरों ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है।
यह घटना नेपाल के लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। प्रदर्शनकारी सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जिसमें सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाना, भ्रष्टाचार पर जांच और जनहित में नीतियां शामिल हैं। दूसरी ओर, सरकार का कड़ा रुख और सैन्य बल की तैनाती स्थिति को और मुश्किल बना सकती है। काठमांडू में तनावपूर्ण माहौल के बीच, यह साफ़ है कि जनता और सरकार के बीच विश्वास की कमी गहरी हो चुकी है।अमेरिकी ऐप बैन, चीनी ऐप पर मेहरबान क्यों ओली? 0चौंकाने वाली बात यह है कि नेपाल की ओली सरकार ने TikTok, Viber, Nimbuzz, WeTalk और Poco Live जैसे चीनी ऐप्स पर कोई बैन नहीं लगाया। जबकि अमेरिकी ऐप Facebook, Instagram, WhatsApp जैसे ऐप को पूरी तरह बंद कर दिया है। हालांकि सरकार का इसमें कहना है कि ये ऐप्स पहले से ही मंत्रालय में रजिस्टर्ड हैं या उन्हें "लिस्टेड" कर दिया गया था, जिससे उन पर बैन नहीं लगा। Telegram और Global Diary जैसे प्लेटफॉर्म अभी भी रजिस्ट्रेशन अप्रूवल प्रक्रिया में हैं, इसलिए इन पर कोई प्रतिबंध लागू नहीं किया गया। ( नेपाल बॉर्डर से अशोक झा की कलम से )
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