देश में आज 27 अगस्त 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से बेहद खास है। इस दिन गणेश चतुर्थी है। 10 दिन के गणेश उत्सव का आगाज होगा। गणेश चतुर्थी पर सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त है।ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रे, सर्व विघ्न प्रशमनाय सर्वार्जाय वश्यकर्णाय, सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रृीं ॐ स्वाहा।।भगवान गणेश को प्रथम देव माना जाता है. किसी भी शुभ काम को शुरू करने से पहले लंबोदर की पूजा की जाती है. इस साल 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी है।एक ऐसा उत्सव है जो कि आपसी एकता का भी संदेश देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये त्योहार क्यों मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं कि गणेश चतुर्थी का त्योहार क्यों मनाया जाता है।गणेश चतुर्थी का महत्व:
भगवान गणेश को लेकर दो कथाएं काफी प्रचलित हैं. जिसमें माता पार्वती ने स्नान के समय अपने शरीर के उबटन से गणेश जी को बनाया उसमें प्राण डालकर, उन्हें दरवाजे पर पहरा देने के लिए खड़ा किया. उसी समय भगवान शिव लौटे जब गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया तो क्रोधित होकर शिवजी ने गणेश का सिर काट दिया. इससे पार्वती जी बहुत दुखी हो गई.
तब पार्वती जी के दुःख को देखकर शिवजी ने गणेश जी को पुनः जीवित करने का वचन दिया हाथी का शीश लगाकर गणेश जी को जीवन दान दिया. दूसरी कथा के अनुसार, देवताओं की प्रार्थना पर शिव पार्वती ने गणेश जी को बनाया ताकि वे राक्षसों के मार्ग में बाधा डाल सकें देवताओं के लिए शुभ कार्यों में सहयोगी बनें। इस साल गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाया जाएगा और बप्पा के भक्त गणपति की प्रतिमा को घर में लाकर उनकी भक्ति भाव से पूजा करेंगे. इस साल गणेश चतुर्थी का उत्सव 27 अगस्त से शुरू होगा, जबकि गणेश विसर्जन 6 सितंबर, 2025 के दिन किया जाएगा. गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ शुभ और शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है. इसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है. वहीं गणेश चतुर्थी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 06:04 मिनट पर होगा. हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी से देशभर में गणेश चतुर्थी पर्व का शुभारंभ हो जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से 10 दिनों तक चलता है. इस दौरान भक्त बप्पा को अपने घर लाते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदा कर देते हैं. ग्रह गोचर और त्योहारों पर कई शुभ योग बनते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है. गणेश महोत्सव का पर्व चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अगले 10 दिनों तक चलता है। वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदा किया जाता है। इस बार उदया तिथि के आधार पर 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाने वाला है. माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए. इससे श्राप लगता है. वहीं गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।
गणेश चतुर्थी तिथि: सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी के पर्व का विशेष महत्व होता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:54 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, 27 अगस्त को दोपहर 03:44 मिनट पर चतुर्थी तिथि का समापन होगा. सनातन धर्म में उदया तिथि मान है. इसके लिए 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी को मनाई जाएगी।
शुभ योग: हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ शुभ और शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है. शुभ योग का संयोग दोपहर तक है. वहीं शुक्ल योग का समापन 28 अगस्त को दोपहर 01:18 मिनट पर होगा. इसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है. वहीं, गणेश चतुर्थी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 06:04 मिनट पर होगा. भद्रावास योग का समापन दोपहर 03:44 मिनट पर होगा।
शुभ मुहूर्त: भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार, 27 अगस्त 2025 को सुबह 11:06 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक का समय गणेश पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ रहेगा. इस समय में पूजा करने से गणपति बप्पा की कृपा अधिक प्रबल होती है और व्रत तथा अनुष्ठान फलदायी माने जाते हैं.
गणेश विसर्जन तिथि: भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी पर्व का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है. साथ ही इसी दिन बप्पा को श्रद्धापूर्वक विदा किया जाता है. पंचांग के अनुसार गणेश विसर्जन 6 सितंबर 2025 को किया जाएगा।
महत्व: हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना गया है. किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यक्रम में सबसे पहले गणेशी जी वंदना और पूजा की जाती है. भगवान गणेश बुद्धि, सुख-समृद्धि और विवेक का दाता माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में दोपहर के प्रहर में हुआ था. ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन पर अगर आप घर पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करने जा रहे है तो दोपहर के शुभ मुहूर्त में करना होता है. गणेश चतुर्थी तिथि लेकर अनंत चतुर्दशी तक यानी लगातार 10 दिनों तक विधि-विधान के साथ गणेश जी की पूजा उपासना किया जाता है. गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं और संकट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पूजा विधि: गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान मे रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग, अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें. फिर पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें. पूजा सामग्री में दूर्वा, शमी पत्र,लड्डू, हल्दी, पुष्प और अक्षत से ही पूजन करके गणेश जी को प्रसन्न किया जा सकता है. गणेश जी की आराधना केवल दूर्वा से भी की जा सकती है. सर्वप्रथम गणेश जी को चौकी पर विराजमान करें और नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं. चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं. अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुंडरीकाक्षाय नमः कहते हुए भगवान विष्णु को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं. यदि आपको कोई भी मंत्र नहीं आता तो ‘ॐ गं गणपतये नमः. इसी मंत्र से सारी पूजा संपन्न कर सकते हैं. हाथ में गंध अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करें. इसी मंत्र से उन्हें आवाहन और आसन भी प्रदान करें. पूजा के आरंभ से लेकर अंततक अपने जिह्वा पर हमेशा ॐ श्रीगणेशाय नमः. ॐ गं गणपतये नमः. मंत्र का जाप अनवरत करते रहें. आसन के बाद गणेश जी को स्नान कराएं. पंचामृत हो तो और भी अच्छा रहेगा और नहीं हो तो शुद्ध जल से स्नान कराएं. उसके बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव यथाशक्ति उपलब्ध हो उसे चढ़ाएं. पूजा के पश्चात इन्हीं मंत्रों से गणेश जी की आरती करें. पुनः पुष्पांजलि हेतु गंध अक्षत पुष्प से इन मंत्रों ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्. से पुष्पांजलि अर्पित करें, तत्पश्चात गणेश जी की तीन बार प्रदक्षिणा करें। ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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