मे आय हैव योर एटेन्शन, प्लीज़ (कृपया ध्यान दें)। हम पन्द्रह मिनट. में लंदन हवाई अड्डे पर उत्तर रहे हैं। मेहरबानी करके अपनी सीट-बैल्ट बाँध लीजिये और धूम्रपान मत कीजिए, धन्यवाद। यह आवाज सुनने के बाद दस घंटे से ज्यादा की उड़ान के बाद अचानक शरीर में चुस्ती-फुर्ती महसूस होने लगी। इसके साथ ही जेहन में सर्दियों की हल्की धुंध, टेम्स नदी के किनारे जलती स्ट्रीट लाइट्स, और हल्की-हल्की बूंदाबांदी... यही थी वहां की फिजां।
लंदन जाने से पहले वहां के बारे में किताबों में खूब पढ़ा था। लंदन की खूबसूरती उसकी विविधता में निहित है, जिसमें ऐतिहासिक इमारतें बर्किघम पैलेस, लंदन टावर, आधुनिक वास्तुकला, शांत पार्क संग लाइव कंसर्ट शामिल है। शहर टेम्स नदी के किनारे बसा है और यहाँ ब्रिटिश म्यूजियशम जैसे विश्व प्रसिद्ध संग्रहालय, लंदन आई जैसे आधुनिक आकर्षण और पोर्टोबेलो रोड मार्केट जैसे अनूठे बाजार घूमने का ख्वाब लेकर हवाईअडडा से बेटे-बहू संग उसकी तीन साल की बेटी को लेकर उनके घर पहुंची। नवंबर 2019 में बस्ती से लंदन तक सफर में थकान वहां के मौसम को देखकर उड्नछू हो गयी। बस्ती से नईदिल्ली गोरखधाम एक्सप्रेस जाने में ज्यादा थकान लगा लेकिन दिल्ली से लंदन की उड़ान में कम महसूस हुआ। पहली बार लंदन पहुंचने के बाद पहली रात को आराम किया, बड़े बेटे को फोन करके वहां सकुशल पहुंचने की जानकारी देने के बाद दो दिन आराम किया।
उसके बाद लंदन घूमने निकला लेकिन वहां के अंग्रेजों को देखकर पता नहीं क्यों डर लगता था। कुछ दिन अंग्रेजों से बातचीत होने लगी तो वह भी हम हिंदुस्तानियों की तरफ मिलनसार लगे। बेटे-बहू अपनी मां को लंदन की मस्ती कराने ले गए थे, हम भी कुछ दिन लंदन की सड़कों पर मस्ती करने निकल पड़े। दो माह तक लंदन में कितनी मस्ती हुई उसको शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं लेकिन टूटी-फूटी हिंदी में इसको लिखने का प्रयास जारी है, आप जुड़े रहे रोमिंग जर्नलिस्ट के ब्लॉग पर रोज आपको लंदन घुमाएंगे। क्रमश:
(बस्ती की प्रमुख समाजसेविका लक्ष्मी अरोरा की कलम से )
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