प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि मैं लाल किले के प्राचीर से देश के युवाओं, इंजीनियरों और पेशेवरों का आह्वान करता हूं कि क्या हमारा अपना मेड इन इंडिया फाइटर जेट इंजन नहीं हो सकता। उन्होंने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में यह भी कहा कि 'नेशनल डीपवाटर एक्सप्लोरेशन मिशन' शुरू किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने 'क्रिटिकल मिनरल' के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि इनकी खोज के लिए 'नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन' के तहत 1200 से अधिक स्थानों पर काम शुरू किया गया है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया, ''देश को विकसित बनाने के लिए हम अब समुद्र मंथन की तरफ जा रहे हैं. हम समुद्र के भीतर के तेल और गैस के भंडार को खोजने की दिशा में मिशन मोड में काम करने जा रहे हैं. भारत में हम 'नेशनल डीपवाटर एक्सप्लोरेशन मिशन' शुरू करने जा रहे हैं. यह ऊर्जा क्षेत्र में स्वतंत्र बनने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। क्रिटिकल मिनरल में आत्मनिर्भरता अनिवार्य - पीएम मोदी : प्रधानमंत्री ने कहा, ''आज पूरा विश्व 'क्रिटिकल मिनरल' के लिए बहुत सतर्क हो गया है. उसके सामर्थ्य को लोग समझने लगे हैं. हमारे के लिए भी 'क्रिटिकल मिनरल' में आत्मनिर्भरता बहुत अनिवार्य है. क्रिटिकल मिनरल वे खनिज हैं जो आधुनिक तकनीकों और उद्योगों के लिए आवश्यक हैं, लेकिन उनकी उपलब्धता सीमित है या कुछ ही देशों में केंद्रित हैं। युवाओं को लेकर क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी पीएम मोदी ने कहा, ''मैं देश के युवाओं से कहता हूं, आप इनोवेटिव आइडिया लेकर आइए, अपने आइडियाको मरने मत दीजिए. आज का Idea हो सकता है आने वाले पीढ़ी का भविष्य हो. मैं आपके साथ हूं, आप आइए, हिम्मत जुटाइए, Initiative लीजिए, आगे बढ़िए, मैं आपका साथी बनकर काम करने को तैयार हूं. अब देश रूकना नहीं चाहता है, 2047 दूर नहीं है, एक-एक पल की कीमत है और हम एक भी पल गंवाना नहीं चाहते हैं।इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर तिरंगा फहराकर देशवासियों को संबोधित किया। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर तिरंगा लाल किले पर ही क्यों फहराया जाता है।
यह सवाल न सिर्फ देशवासियों के मन में उठता है, बल्कि यह जानना बेहद जरूरी भी है। कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर इंटरव्यू में भी यह सवाल पूछा जाता है। बता दें कि 1947 में पहली बार तिरंगा लाल किले पर फहराया गया था। ऐसे में यह इतिहास गर्व और राष्ट्रीय पहचान से जुड़ी कहानी है।
लाल किले का इतिहास क्या है?
बता दें कि लाल किला मुगल बादशाह शाहजहां ने 1638 में बनवाया था। ऐसा भी माना जाता है कि इसका निर्माण 8 से 10 साल में हुआ था। यह वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण माना जाता है और दिल्ली का ऐतिहासिक किला भी है। 1947 में 15 अगस्त के दिन जब भारत आजाद हुआ था, तब भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार लाल किले से ही तिरंगा फहराया था। इस ऐतिहासिक क्षण का देशवासियों को बेसब्री से इंतजार था। इस दौरान भारत ने सदियों की गुलामी को तोड़कर स्वतंत्रता का उत्सव मनाया था।
लाल किले से ही क्यों फहराया जाता है तिरंगा
अब सवाल उठता है कि आखिर लाल किले से ही क्यों तिरंगा फहराया जाता है? दरअसल, लाल किले का अपना एक इतिहास रहा है। लाल किला स्वतंत्र भारत का प्रतीक बन चुका है। यही कारण है कि यहीं से तिरंगा फहराया जाता है। आजादी की पहली घोषणा भी इसी किले से की गई थी और हर साल प्रधानमंत्री यहीं से देशवासियों को संबोधित करते हैं। इतना ही नहीं, लाल किला दिल्ली के केंद्र में स्थित है और सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी इसे अच्छा माना जाता है। ऐसे में लाल किले से तिरंगा फहराने का इतिहास आजादी से जुड़ा हुआ है। पहली बार यहीं से तिरंगा फहराया गया था, इसलिए देशवासियों के लिए भावनात्मक रूप से भी लाल किला जुड़ा हुआ है। ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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