- 46 प्रांतों के वरिष्ठ प्रचारक अगले महीने 4 जुलाई से 6 जुलाई तक दिल्ली के वसंत कुंज में करेंगे मंथन
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लगातार टलता जा रहा है। इसको लेकर विपक्ष भी कई बार बीजेपी पर तंज कस चुका है। वहीं यह माना जा रहा है कि भाजपा और आरएसएस के बीच किसी एक नाम पर सहमति न बन पाना भी देरी की एक प्रमुख वजह है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 46 प्रांतों के वरिष्ठ प्रचारक अगले महीने 4 जुलाई से 6 जुलाई तक दिल्ली के वसंत कुंज स्थित संघ कार्यालय में होने वाली तीन दिवसीय वार्षिक बैठक में भाग लेंगे।उसके बाद शायद किसी नाम पर सहमति बने और राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जाए। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि इस बैठक में देश के 11 क्षेत्रों और 46 प्रांतों से प्रचारक, सह-प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक, सह-क्षेत्र प्रचारक और संघ से जुड़े संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्री शामिल होंगे। यह बैठक संगठनात्मक समन्वय, भविष्य की योजनाओं और राष्ट्र निर्माण से संबंधित अभियानों की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मार्च 2025 में सम्पन्न होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के बाद, अप्रैल, मई और जून में आयोजित प्रशिक्षण वर्गों की गहन समीक्षा और भविष्य की कार्ययोजनाओं पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में संघ के विभिन्न प्रशिक्षण वर्गों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी, साथ ही शताब्दी वर्ष (2025-26) के लिए योजनाएं भी प्रमुखता से रखी जाएंगी। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की आगामी वर्ष की प्रवास रूपरेखा पर भी विचार किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि शताब्दी वर्ष के विशेष कार्यक्रम 2 अक्टूबर 2025, विजयादशमी से प्रारंभ होंगे और अगले वर्ष विजयादशमी 2026 तक देशभर में विभिन्न आयोजनों के रूप में मनाए जाएंगे। अहम बैठक में संघ के शीर्ष नेतृत्व का जमावड़ा: संघ की भविष्य की दिशा निर्धारित करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जा रही है, जिसमें संघ के शीर्ष नेतृत्व के सदस्य शामिल होंगे। इस बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, सी.आर. मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त, आलोक कुमार, अतुल लिमये सहित अखिल भारतीय कार्य विभाग के प्रमुख, सह प्रमुख और कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहेंगे। सरसंघचालक 28 जून को दिल्ली पहुंच गए है। यह बैठक संघ की आगामी रणनीतियों को निर्धारित करने के साथ-साथ शताब्दी वर्ष की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, सी.आर. मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त, आलोक कुमार, अतुल लिमये और अखिल भारतीय कार्य विभाग के प्रमुख, सह प्रमुख तथा कार्यकारिणी सदस्य शामिल होंगे. सरसंघचालक 28 जून को दिल्ली पहुंच गए है।यह बैठक संघ की आगामी रणनीति और शताब्दी वर्ष की तैयारियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जानकारी के अनुसार राज्य स्तर पर नई कमान, केंद्र के लिए संकेत
बीजेपी के संगठनात्मक चुनावों का यह दौर सामान्य प्रक्रिया भर नहीं, बल्कि एक रणनीतिक जमावट है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश इकाइयों में नई नियुक्तियों के साथ ही पार्टी नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को अंतिम रूप देने की ओर बढ़ रहा है। आमतौर पर बीजेपी में परंपरा रही है कि राज्यों में संगठन को स्थिरता देने के बाद ही केंद्रीय नेतृत्व को लेकर फैसला लिया जाता है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि जुलाई के पहले सप्ताह में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर भी हलचल तेज हो सकती है। महाराष्ट्र में रविंद्र चव्हाण को दी गई स्थायी जिम्मेदारी: महाराष्ट्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले रविंद्र चव्हाण को अब पार्टी की राज्य इकाई की पूरी कमान सौंपने का फैसला लिया गया है। अब तक वर्किंग प्रेसिडेंट की भूमिका में रहे चव्हाण का नामांकन हो चुका है और वे जल्द ही पूर्णकालिक अध्यक्ष बन जाएंगे। इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है।तेलंगाना में नए चेहरे से संगठन को ऊर्जा देने की तैयारी: तेलंगाना में एन रामचंद्र राव का नाम लगभग तय हो चुका है, क्योंकि उनके खिलाफ कोई अन्य नामांकन नहीं हुआ। पार्टी यहां बीते विधानसभा चुनावों के बाद से लगातार अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने में लगी है। रामचंद्र राव को अध्यक्ष बनाए जाने का फैसला एक ऐसे समय में लिया गया है जब राज्य में नेतृत्व को लेकर कई नामों की चर्चा हो रही थी, जिनमें सांसद बंडी संजय कुमार, ईटेला राजेंदर और धर्मापुरी अरविंद शामिल थे।अन्य राज्यों में भी तेज हुई प्रक्रिया: हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश में भी पार्टी संगठन में बदलाव की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। उत्तराखंड में महेंद्र भट्ट ने नामांकन दाखिल किया है, वहीं हिमाचल और आंध्र में भी प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। यदि इन सभी राज्यों में निर्विरोध नामांकन होते हैं, तो एक जुलाई को नए अध्यक्षों की घोषणा की जाएगी।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का आधार बना रही है ये कवायद
इन नियुक्तियों के बाद बीजेपी 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अपने प्रदेश अध्यक्षों की तैनाती पूरी कर लेगी। पार्टी की यह संगठनात्मक मजबूती एक ओर जहां आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए रणनीतिक दृष्टि से अहम है, वहीं दूसरी ओर यह राष्ट्रीय नेतृत्व के चयन का आधार भी तैयार कर रही है।
नए अध्यक्ष से पार्टी को क्या मिलेगा?
प्रदेशों में नेतृत्व परिवर्तन के ज़रिए बीजेपी एक ताजगी और ऊर्जा का संचार करना चाहती है। यह कदम संकेत देता है कि पार्टी जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक एक नई संरचना में खुद को ढालने की तैयारी में है। ( अशोक झा की कलम से )
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