शहीद मंगल पांडेय की ये तस्वीर मुझे तोहफे में मिली है. डिजिटल कॉपी तो दादा Mrinal Bharadwaj ने बनाने के बाद ही भेज दी थी, लेकिन पूर्ण रूप से प्राप्ति तब हुई जब उनका दिल्ली आना हो पाया. बाद में भी काफी दिनों तक ये लिविंग रूम में रखी हुई थी. मुझे फिक्र इस बात की थी कि कहीं ऐसे रखे रखे डैमेज न हो जाए. मेरे मित्र Khalid Alvi ने दो-तीन बार मुझे आगाह भी किया था. कुछ दिन बाद जब वो घर आए और देखा कि तस्वीर ऐसे ही किताबों के सपोर्ट से सोफे पर रखी हुई है, तो साथ लेते गए. शायद वो मेरी ऐसी लापरवाहियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं, लिहाजा खुद पहल करनी पड़ी. दो तीन दिन बाद ही फ्रेम कराके भिजवा भी दिए.
मृणाल दा का ये कला पक्ष मैं कई साल बाद जान पाया. शुरू से मैं उनको ज्योतिषी के रूप में ही जनता था. मैने उनसे कबीर का ऐसा ही पोर्ट्रेट बनाने को बोला था, लेकिन वो बोले कि पहले से ही मंगल पांडेय पर काम शुरू कर चुके हैं, इसलिए कबीर उसके बाद मिलेंगे. कबीर का इंतजार है.
गुजरते वक्त के साथ मैने महसूस किया कि दादा महज ज्योतिषी नहीं, बल्कि उसके साधक हैं. सतत अनुशीलन में विश्वास रखते हैं और ज्योतिष शास्त्र को जीते हैं, सिर्फ प्रैक्टिस नहीं करते. मेरा ज्योतिषीय गणनाओं में तो भरोसा है, लेकिन ज्योतिष का फलित पक्ष मेरे लिए हमेशा सवालों के घेरे में रहा है - और ये निहायत ही निजी राय है, अगर कोई ऑफ़ेंड होता है तो पहले ही क्षमाप्रार्थी हूं.
जब से ये पोर्ट्रेट मेरे पास आया है, मंगल पांडेय से जुड़े कई महत्वपूर्ण मौके आए, लेकिन कोई पोस्ट नहीं लिख सका. संयोग से ये मौका आज मिला, वीकेंड पर थोड़ा टाइम तो निकल ही आता है - और जब सोशल मीडिया पर पूरा देश मंगल पांडेय जयंती मना रहा है, एक पोस्ट तो जरूरी हो जाता है.
जब मैने मंगल पांडेय विचार सेवा समिति के अध्यक्ष कृष्णाकांत पाठक (Kkpathak Ballia) से मंगल पांडेय जयंती को लेकर पूछा, तो बोले - ‘पूरा देश मना रहा है, लेकिन बलिया को छोड़ कर. जो लोग गूगल की वजह से मंगल पांडेय को जानते हैं, वे लोग ही मंगल पांडेय जयंती मना रहे हैं.’ हालांकि, सोशल मीडिया पर बलिया के भी कुछ लोगों की पोस्ट भी मुझे दिखी है.
पाठक जी से पूछने की वजह ये रही कि एक बार पहले भी बातचीत में ऐसा जिक्र आया था. तब वो पूछ रहे थे कि विकिपीडिया पर गलत जानकारी दी गई है, उसमें सुधार कैसे हो सकता है?
पाठक जी शहीद मंगल पांडेय स्मारक समिति के सदस्य भी हैं. ये समिति ही बलिया के नगवा गांव में मंगल पांडेय स्मारक की देखभाल करती है.
समिति के लोग 30 जनवरी को मंगल पांडेय जयंती मनाते हैं. पुण्यतिथि तो वे लोग भी 8 मार्च को ही मनाते हैं, जो विकिपीडिया पर भी है. और हां, 29 अप्रैल को समिति की तरफ से हर साल शहीद मंगल पांडेय क्रांति दिवस भी मनाया जाता है.
मेरा तो मानना है, ‘घी क लड्डू टेढो भला.’ आज कल तो हम कई मित्रों को दो-दो दिन बर्थडे विश करते हैं. एक जो दिन दस्तावेजों में दर्ज है और सोशल मीडिया पर है, और दूसरा जो वास्तव में है - बलिया के लोग तो मंगल पांडेय जयंती पूरे साल मना सकते हैं, और मैं भी उनमें शामिल हूं. ( देश के वरिष्ठ पत्रकार मृगांक शेखर की कलम से )
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