- पार्टी ने इसे देश की सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक विरासत पर हमला बताया
- भारत विरोधियों को बांग्लादेश देना चाहता है खुली छूट
भारत का पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश एक समय पाकिस्तान के जुल्म से कांपता था। साल 1971 में भारत ने उसे आजादी दिलवाई थी। लेकिन अब इतिहास करवट ले चुका है। बांग्लादेश, जो कभी पाकिस्तान की सैन्य क्रूरता का शिकार था, अब उसी के साथ मिलकर भारत के खिलाफ एक नई और सुनियोजित साजिश रच रहा है। यह साजिश सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि हिंदुस्तान की सुरक्षा के लिहाज से बेहद खतरनाक है। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने हाल ही में एक ऐसा समझौता किया है, जो भारत की सुरक्षा को सीधे चुनौती देता है। इस डील के तहत दोनों देशों ने डिप्लोमैटिक और ऑफिशियल पासपोर्ट रखने वाले नागरिकों को वीजा-फ्री एंट्री देने का निर्णय लिया है। यानी अब पाकिस्तानी अधिकारी बांग्लादेश की सरज़मीन पर बिना किसी वीज़ा के आ-जा सकेंगे। यहीं हमारे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता शुरू हो जाती है। यह समझौता ढाका में पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी और बांग्लादेश के गृहमंत्री रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जहांगीर आलम चौधरी के बीच हुआ। वही दूसरी ओर बांग्लादेश की अवामी लीग ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के आधिकारिक निवास 'गणभवन' को 'सामूहिक कब्रिस्तान' बनाने की योजना का गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी ने इसे देश की सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक विरासत पर हमला बताया है। आइए समझते हैं पूरी कहानी। पूर्व पीएम शेख हसीना का निवास 'गणभवन': अवामी लीग ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के आधिकारिक निवास 'गणभवन' में संरचनात्मक बदलाव करने के फैसले को लेकर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की कड़ी आलोचना की है। पार्टी ने इस फैसले को 'गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक' करार दिया है।पार्टी ने इस कदम को देश की लोकतांत्रिक विरासत पर हमला बताते हुए अंतरिम प्रशासन पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम करने का आरोप लगाया।
'गणभवन' को बनाया जाएगा सामूहिक कब्रिस्तान?
पार्टी ने इस कदम को 'गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक' बताते हुए गणभवन परिसर के अंदर 'तथाकथित सामूहिक कब्रिस्तान' बनाने के 'अवैध, फासीवादी कब्जाधारी यूनुस और उनके गुट के राजनीति से प्रेरित प्रयास' पर गंभीर चिंता जताई.
'गणभवन' बांग्लादेश की विरासत और संस्कृति का प्रतिबिंब: अवामी लीग ने सोमवार को बयान जारी करते हुए कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि यह अवैध कब्जा करने वाला समूह यह समझने में नाकाम रहा है कि 'गणभवन' शेख हसीना का निजी आवास नहीं है। यह बांग्लादेश के शासनाध्यक्ष का आधिकारिक आवास है। इसे राष्ट्रीय संसद परिसर की वास्तुशिल्प योजना के अनुरूप डिजाइन किया गया है। प्रतिष्ठित अमेरिकी वास्तुकार लुई आई काहन ने संसद भवन और उसके आसपास की संरचनाओं का डिजाइन तैयार किया था। इसे दुनिया की बेहतरीन वास्तुशिल्प कृतियों में से एक माना जाता है, जो बांग्लादेश की विरासत और संस्कृति का प्रतिबिंब है।"
राष्ट्रीय विरासत और सांस्कृतिक पहचान को विकृत करने का प्रयास: बयान में आगे कहा गया, "इस संरचना में बदलाव का मतलब हमारी राष्ट्रीय विरासत और सांस्कृतिक पहचान को विकृत करने का प्रयास करना है. इसलिए हम राष्ट्रीय संसद भवन, गणभवन, या इससे जुड़ी किसी भी संरचना की वास्तुकला में किसी भी मूलभूत बदलाव की कड़ी निंदा और विरोध करते हैं।" पार्टी ने कहा कि जिस तरह 'व्हाइट हाउस' संयुक्त राज्य अमेरिकी राष्ट्रपति, जबकि 10 डाउनिंग स्ट्रीट ब्रिटिश प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास है, उसी तरह गणभवन बांग्लादेश के प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास है. यह शेख हसीना का निजी घर नहीं है।
शेख हसीना से नफरत: यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की आलोचना करते हुए, अवामी लीग ने कहा कि गणभवन के महत्व की अनदेखी करते हुए यह निर्माण, बंगबंधु की बेटी शेख हसीना के प्रति नफरत से उपजा है. पार्टी ने कहा कि गणभवन के आसपास की हरियाली और पर्यावरणीय संतुलन का महत्वपूर्ण पारिस्थितिकीय मूल्य है, जिसे 'द्वेष और बदले की भावना से यूनुस की फासीवादी, हत्यारी और अवैध सरकार' नजरअंदाज कर रही है। बांग्लादेश अवामी लीग ने जताया विरोध: बयान में कहा गया, "कुछ दिन पहले ही, माइलस्टोन त्रासदी के बाद की स्थिति को संभालने में विफल रहने के बाद, फासीवादी-हत्यारे यूनुस ने फेसबुक पर लोगों से मदद की भीख मांगी थी। आज वही व्यक्ति टैक्सपेयर्स का पैसा ऐसे नफरत भरे और गैर-जरूरी प्रोजेक्ट्स पर खर्च कर रहा है। इस हिंसक उग्रवादी गुट के लिए जिंदगियां बचाने से ज्यादा जरूरी है अपनी नफरत को स्थापित करना।।बांग्लादेश अवामी लीग की ओर से हम इस घृणित, राजनीतिक रूप से प्रेरित कदम की कड़ी निंदा और विरोध करते हैं। ( हिंदुस्तान की सरहद से अशोक झा )
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