बांग्लादेश के तर्ज पर नेपाल में आईएसआई शुरू किया अपना मॉड्यूल
- तुर्की की चैरिटी संस्था और एर्दोगन की प्राईवेट आर्मी बिछा रही साजिश की बिसात
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI अब नेपाल को भारत के खिलाफ नया मोर्चा बनाने की तैयारी में है। बांग्लादेश में अपनी पकड़ मजबूत करने के बाद अब ISI नेपाल में कट्टरपंथी नेटवर्क खड़ा करने की कोशिश में जुट गई है। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ISI की मदद से नेपाल के सुनसरी जिले के इनरावा इलाके में रज्जाक मस्जिद नाम से एक नया धार्मिक स्थल तैयार किया जा रहा है। इस मस्जिद की आधारशिला 18 जुलाई को ‘अलहाज शम्सुल हक फाउंडेशन’ (ASH फाउंडेशन) ने रखी। फाउंडेशन के चेयरमैन इंजीनियर मोहम्मद नासिर उद्दीन ने मस्जिद को “इस्लामी जागरण” का केंद्र बताया और कहा कि इसका मकसद नेपाल की 95% गैर-मुस्लिम आबादी तक इस्लाम का प्रचार करना है। हालांकि, भारतीय एजेंसियों को आशंका है कि यह मस्जिद केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि ISI के लिए एक लॉजिस्टिक और नेटवर्किंग हब बन सकती है. सूत्रों के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट को कुछ खाड़ी देशों और तुर्की से भी समर्थन मिल रहा है।
नेपाल में PAK का बांग्लादेश मॉडल: ASH फाउंडेशन 2018 से सक्रिय है और 2022 में बांग्लादेश में NGO के रूप में पंजीकृत हुआ। लेकिन, बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के जाने और जमात-ए-इस्लामी समर्थित मोहम्मद यूनुस सरकार के आने के बाद ISI को और ज्यादा खुली छूट मिल गई है।
अब यही मॉडल नेपाल में दोहराया जा रहा है।।पिछले कुछ सालों में ISI नेपाल को न सिर्फ भारत विरोधी साजिशों के ट्रांजिट प्वाइंट के रूप में इस्तेमाल कर रही है, बल्कि नेपाल की जनसंख्या और सांस्कृतिक संरचना में बदलाव लाने की कोशिश भी कर रही है।
नेपाल में धार्मिक उग्रवाद का खतरा: नेपाल एक हिंदू बहुल देश है और अब तक यहां धार्मिक कट्टरपंथ या आतंक की घटनाएं नहीं देखी गई हैं। लेकिन, भारतीय एजेंसियों को आशंका है कि ISI और उससे जुड़े संगठनों की मदद से नेपाल को एक नया कट्टरपंथी ठिकाना बनाया जा रहा है।
इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी के अनुसार, “ISI नेपाल में वही रणनीति अपना रही है जो उसने बांग्लादेश, पूर्वोत्तर भारत और पश्चिम बंगाल में अपनाई। धार्मिक स्थलों की आड़ में कट्टरपंथी सोच फैलाना, जनसंख्या समीकरण बदलना और भविष्य में भारत के खिलाफ मोर्चा खोलना।लेकर जताई थी।
तुर्की की चैरिटी संस्था और एर्दोगन की प्राईवेट आर्मी बिछा रही साजिश की बिसात: जानकारी के मुताबिक, तुर्की की एक चैरिटी संस्था, आईएचएच ने पिछले कुछ सालों में नेपाल के तराई वाले इलाकों में जबरदस्त पैठ बनाई है। तु्र्की के इस कट्टरपंथी एनजीओ फाउंडेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड फ्रीडम एंड ह्यूमैनेटेरियन रिलीफ के तार तुर्की की एक प्राईवेट आर्मी शादत से जुड़े हैं।शादत कहने के लिए, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन की प्राइवेट आर्मी है, लेकिन इसका असल काम दुनियाभर में जिहादियों की भर्ती और मिलिट्री ट्रेनिंग देना है। सीरिया और कतर से लेकर अजरबैजान तक में इस शादत आर्मी की जिहादियों को भर्ती करने में संलिप्तता पाई गई है। हमास तक को हथियार और फंडिंग के आरोप शादत पर लग चुके हैं।
आईएचएच के शादत के अलावा अल-कायदा से भी तार जुड़े पाए गए हैं। साथ ही पाकिस्तान में भी इस एनजीओ की खासी पैठ है. यहां तक की पाकिस्तान में किडनैप हुए दो यूरोपीय पर्यटकों की रिहाई में भी आईएचएच ने अहम भूमिका निभाई थी। खास बात है कि ये दोनों विदेशी पर्यटक, सड़क के रास्ते यूरोप से भारत आ रहे थे। उसी दौरान पाकिस्तान में इन दोनों को अगवा कर लिया गया था। बस इसलिए भारत की सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। क्योंकि आईएचएच ने नेपाल के स्थानीय संगठन इस्लामी संघ से भी हाथ मिला लिया है।
तुर्की, पाकिस्तान और सऊदी अरब की फंडिंग से खड़ी हुई 4000 मस्जिद और मदरसे:नेपाली इस्लामी संघ से हाथ मिलाने का नतीजा ये हुआ है कि आईएचएच ने पिछले कुछ वर्षों में भारत से सटे नेपाल के लुंबिनी, प्रोविंस-1 यानी कोसी और प्रोविंस-2 (मधेश) में अपनी जड़े जमा ली है. इसके अलावा रुपनदेही, बांके, परसा और राउतहाट जैसे इलाकों में भी पिछले एक दशक में बड़ी संख्या में मस्जिद और मदरसों का जाल बिछ गया है. नेपाल की स्थानीय रिपोर्ट्स की मानें तो इस वक्त भारत की सीमा से सटे नेपाली इलाकों में करीब चार हजार (4000) मस्जिद और मदरसे सक्रिय हैं।
तुर्की के अलावा सऊदी अरब से हुई फंडिंग के जरिए खड़ी हुई मस्जिद और मदरसे भी इस लिस्ट में शामिल हैं. हाल के दिनों में इन इलाकों में ही सबसे ज्यादा लॉ एंड ऑर्डर और विरोध-प्रदर्शन की घटनाएं सामने आई हैं।
पाकिस्तानी दावत-ए-इस्लामी के गेस्ट हाउस बने संदिग्ध लोगों की शरणस्थली:
तुर्की के साथ-साथ पाकिस्तान की भी मजहब के नाम पर नेपाल में बिसात बिछाने की साजिश जोर पकड़ रही है। पाकिस्तान के दावत-ए-इस्लामी नाम के संगठन ने पिछले कुछ सालों में कपिलवस्तु, सुनसरी और बारा जैसे इलाकों में मस्जिद और मदरसों के अलावा बेहद खास गेस्ट हाउस का जाल बिछा लिया है. इन गेस्ट हाउस में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों से आए संदिग्ध लोगों को छिपने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दावत-ए-इस्लामी के एक गेस्ट हाउस को 1.25 करोड़ में बनाकर तैयार किया गया है।
आतंकी यासीन भटकल से लेकर टुंडा तक धरे गए नेपाल सीमा से: नेपाल में कट्टरपंथी और आतंकी गतिविधियों का असर भारत के सीमावर्ती जिलों पर पड़ रहा है. हाल ही में एफएटीएफ की रिपोर्ट में वर्ष 2022 में गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में आईएसआईएस के एक आतंकी द्वारा हमले और उसकी अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग के बारे में खुलासा किया गया था. लश्कर ए तैयबा का आतंकी अब्दुल करीम टुंडा भी पाकिस्तान के मुरीदके से नेपाल के जरिए भारत घुसपैठ करते वक्त ही धरा गया था. इसके अलावा आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का सरगना यासीन भटकल भी नेपाल सीमा से ही वर्ष 2013 में गिरफ्तार किया गया था
नेपाली राष्ट्रपति के सलाहकार ने जताई जैश-लश्कर की भारत में घुसपैठ की आशंका: हाल ही में नेपाल के राष्ट्रपति के सलाहकार ने भारत में आतंकियों की घुसपैठ की चिंता, इस तरह की गतिविधियों को लेकर नेपाल के राष्ट्रपति के सलाहकार सुनील बहादुर थापा ने हाल ही में जैश ए मोहम्मद और लश्कर का नाम लेकर भारत को आगाह किया है। क्योंकि पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाली आतंकी नेपाल को ट्रांजिट रूट की तरह इस्तेमाल कर भारत में गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं।
दरअसल, भारत और नेपाल के बीच 1751 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है. लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश की तरह किसी भी तरह की कोई तारबंदी नहीं है. सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) हालांकि, नेपाल बॉर्डर की सुरक्षा दिन-रात करता है. लेकिन बॉर्डर के खुला होने के चलते, घुसपैठ का खतरा बना रहता है। वही दूसरी ओर नेपाल में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमों को अवैध रूप से प्रवेश कराने में स्थानीय इस्लामी संगठनों का हाथ है। सरकार को सौंपी गई सुरक्षा एजेंसियों की एक रिपोर्ट में इन अवैध घुसपैठियों को नेपाल की नागरिकता भी दिलाए जाने का खुलासा किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक ये घुसपैठिये मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल से जुड़े नेपाल के पूर्वी हिस्से में काकरभिट्टा सीमा क्षेत्र से प्रवेश कर रहे हैं। नेपाल पुलिस की इंटेलिजेंस शाखा ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में बांग्लादेशी मुस्लिमों की मजदूर के रूप में घुसपैठ का भी उल्लेख है। इस रिपोर्ट में नेपाल के इस्लामी संघ पर मुस्लिम समुदाय को देश में अवैध प्रवेश करवाकर नेपाली नागरिकता दिलाने में मुख्य भूमिका निभाने का आरोप है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामिक संघ इन बांग्लादेशी मुसलमानों की सूची संकलित करके नेपाल मुस्लिम आयोग और उसके अध्यक्ष को भेजकर इस प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाता है। आयोग इन व्यक्तियों को बांग्लादेशी नागरिकों के परिवार के सदस्यों के रूप में गलत तरीके से सत्यापित करता है, जिन्होंने पहले ही नेपाली नागरिकता हासिल कर ली है, जिससे उन्हें कानूनी जांच से बचने की अनुमति मिलती है।क्या बन रहा चिंता का विषय: सूत्रों के अनुसार, अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों ने 2023 में नेपाल में ट्रेनिंग कैंप बनाने की कोशिश की थी। अब ASH फाउंडेशन जैसे संगठनों के जरिए इस्लामिक सेंटर, मदरसे और मस्जिदें बनाकर नेपाल को कट्टरपंथी नेटवर्क का अड्डा बनाने की कोशिश हो रही है।भारत और नेपाल 1751 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. भारत के पाँच राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम से नेपाल जुड़ता है। नेपाल में राजशाही का खत्म होना और 2006 के बाद से एक सेक्यूलर राष्ट्र के तौर पर खुद को स्थापित करने के बाद तेजी से डेमोग्राफिक बदलाव हुआ है। इसका सबसे ज्यादा असर नेपाल के तराई इलाके में दिखाई दिया. नेपाल में अभी भी हिंदू बहुसंख्यक हैं, उसके बाद बौद्ध और दूसरा सबसे बड़ा धर्म मुस्लिम है। साल 2021 की जनगणना के आधार पर नेपाल में मुस्लिम दूसरा सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है, जो नेपाल की जनसंख्या का 4.27 प्रतिशत है और इसका 95.5 प्रतिशत लोग तराई इलाके में रहते हैं। इनमें सबसे ज्यादा 7 जिले उत्तर प्रदेश और बिहार से लगती सीमा के पास हैं। ये मुस्लिम बहुल इलाके पाकिस्तान के लिए नेपाल में ऑपरेशन चलाने का सबसे बड़ा स्ट्रैटेजिक लोकेशन हैं। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, ISI तराई के मदरसों को फंडिंग भी करता है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस वक्त नेपाल में करीब 4000 मदरसे हैं, जिनमें से कुछ मदरसों को शिक्षा के लिए सरकारी अनुदान भी मिलता है।
नेपाल में भारत के खिलाफ चीन-पाकिस्तान का गठजोड़:
चीन और पाकिस्तान ने पिछले कुछ समय से नेपाल में अपनी गतिविधियों को तेजी से आगे बढ़ाया है। इसके तहत एक तरफ चीन ने नेपाल में वन विलेज वन फ्रेंड अभियान की शुरुआत की थी, तो वहीं काठमांडू में पाकिस्तानी दूतावास में तैनात ISI के अधिकारियों के दौरे नेपाल के मदरसों और उनसे संबंधित कार्यक्रम में बढ़े हैं। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह के लगातार दौरे का वहाँ के मुस्लिम समुदाय पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। तराई के इलाकों में ISI के स्लीपर सेल की मौजूदगी भी बताई जाती है, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान भारत के खिलाफ भारत-नेपाल सीमा के पास चल रही गतिविधियों की जानकारी इकठ्ठा करने के अलावा भारत में आतंकी वारदातों की साजिश, नेपाल के रास्ते भारतीय इलाके में घुसपैठ जैसी गतिविधियों में करता रहा है। PLA के हेडक्वार्टर में पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों की तैनाती की गई और फिर चीनी खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों का नेपाल में ISI के एजेंटों में भारत संबंधी जानकारी जुटाने की कोशिश बढ़ी है। वही भारत से सटे नेपाल के इलाकों में कुकुरमुत्तों की तरह खड़ी हो रही मस्जिद, मदरसों और गेस्ट हाउस को लेकर देश की खुफिया एजेंसियों ने अलर्ट है। मजहब के नाम पर पाकिस्तान के साथ-साथ तुर्की भी भारत-विरोधी गतिविधियों को नेपाल के तराई वाले इलाकों में अंजाम दे रहा है। मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, तुर्की की एक प्राईवेट आर्मी अपने एनजीओ के जरिए नेपाल में इन गतिविधियों को बढ़ाने में जुटी है, जिसके तार अलकायदा और पाकिस्तान से जुड़े पाए गए हैं। ( हिंदुस्तान की सरहद से अशोक झा )
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