- महाभारत काल में वनवास के दौरान कभी कुंती ने की थी इसकी उपासना और पूजा
- स्वयंभू शिव के साथ मां पार्वती का विश्व में यह इकलौता शिवलिंग
- शिव के आगे आजतक नहीं चला किसी का अहम, पूर्वोत्तर का देवघर कहलाता है यह शिवालय
सावन के महीने का हर दिन, विशेष रूप से सावन के सभी सोमवार और 16 सोमवार के खास दिन भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से जीवन की हर समस्या का निवारण मिलता है। साथ ही, सावन में महादेव के नाम का जप करने से भी जीवन में शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव अपने हर भक्त की सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। ऐसे में पूर्वोत्तर का देवघर कहलाने वाला ठाकुरगंज का हर गौरी मंदिर की बात करना जरूरी है। अगर आप सावन में यहां नहीं आए तो जीवन में पछतावा रहेगा। जी हां हम बात कर रहे भारत -नेपाल बंगाल और बांग्लादेश की सीमावर्ती किशनगंज जिले के ठाकुरगंज में स्थापित है हर- गौरी मंदिर की। यहां का शिवलिंग स्वयं भू है। जिसके एक और मां पार्वती की आकृति इसकी महत्ता बढ़ाती है। रविंद्रनाथ टैगोर से जुड़े होने के कारण इसे पूर्वोत्तर का देवघर माना जाता है। कहते हैं कि बाबा की असीम कृपा है कि इस नगरी में बाबा के अलावा किसी की हनक पर धमक नहीं चल पाया है। सावन माह के मौके पर मंदिर प्रांगण में आने बाले भक्तों का इंतजार खत्म हो गया है। भक्तों में जबरदस्त उत्साह है। प्रत्येक सोमवार को महानंदा और मेची नदी से शिवभक्त कांवर लेकर जलाभिषेक को पहुंचते हैं। आज से ही भक्त परिवार समेत सम्मिलित हो रहे है। सोमवार को विशेष सजावट और श्रृंगार किया जाता है। नगर परिषद के द्वारा साफ सफाई की विशेष व्यवस्था की जा रही है। मंदिर से जुड कहा जाता है की महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की पूजा पांडव और कुंती के द्वारा किया गया था। इस बात को इसलिए भी बल मिलता है क्योंकि यहां से मात्र 7 किलोमीटर दूर नेपाल के कीचक में भीम ने कीचक का वध किया था। जिसका प्रमाण आज भी वहां विद्यमान है। पुरातत्व विभाग को चाहिए कि इस अलौकिक शिवलिंग का हर प्रकार के संरक्षण करें। क्यों है यह महत्वपूर्ण शिवलिंग और स्थान: ठाकुरगंज प्राचीन नाम कानपुर को 1880 ई० में रविन्द्र नाथ टैगोर के वंशज सर ज्योतीन्द्र मोहन ठाकुर ने खरीदा।उसी समय इसका नाम बदलकर ठाकुरगंज रखा गया। 1897 ई० में ठाकुर परिवार द्वारा पूर्वोत्तर कोण में पाण्डव काल के भग्नावशेष की खुदाई कराया जा रहा था। इसके बीच बांस के झाड़ कि नीचे से इस शिवलिंग के साथ कई और शिवलिंग को देखा गया। इस शिवलिंग की अपनी अलग पहचान है यह एक फुट उँचा काले पत्थर का है। जिसमें आधा जगतजननी माता पार्वती अंकित है। ठाकुर परिवार इसे कलकत्ता में स्थापित करना चाहते थे। किन्तु स्वप्न में निर्देश प्राप्त होने पर टीन के बने छोटे मकान में बंगला सम्वत 21 माघ 1947 को ठाकुर परिवार द्वारा ठाकुरगंज मे स्थापना कि गई । ठाकुर परिवार द्वारा मन्दिर प्रांगण में लगी प्लेट के आधार पर यह प्रमाणित है कि 8 फरवरी 1901 से हर गौरी मन्दिर की पूजा अर्चना प्रारंभ हुई। ठाकुर परिवार द्वारा नियुक्त पुरोहित भोलानाथ गांगुली का परिवार आज भी कार्यरत है। आज भी मंदिर परिसर के क्षेत्र को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित नहीं किया गया। इस शिवलिंग की पुरे भारतवर्ष मे अलग पहचान है। इस मन्दिर को हर गौरी धाम के नाम से जाना जाता है। यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होती है। यही कारण है कि यहां राजनीतिक हो या देश विदेश के नेता अभिनेता और भक्त अपनी मनोकामना मांगने पहुंचते हैं। शिव मंदिर का जीर्णोद्धार शहर के ही। इस मंदिर निर्माण के पीछे भी एक लंबी और अद्भुत कहानी
मंदिर के100 वर्ष पूरा होने पर मंदिर के रंग रोगन के साथ शताब्दी उत्सव फरवरी 2001में संपन्न हुआ था। सांवली शुरुआत0 11 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार यानी आज से होने जा रही है और भोलेनाथ के इन शुभ दिनों का समापन 9 अगस्त, रक्षाबंधन के दिन होगा। वहीं, दक्षिण भारत और पश्चिमी भारत में सावन के शुभ दिनों की शुरुआत 25 जुलाई 2025 से होगी और समापन 23 अगस्त 2025 को होगा।
सावन के पहले दिन का पूजन मुहूर्त : आज सावन का पहला दिन है और भगवान शिव के पूजन के लिए ये 4 मुहूर्त हैं।
पहला पूजन मुहूर्त सुबह 4 बजकर 16 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 04 मिनट तक है: दूसरा पूजन का मुहूर्त सुबह 8 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।तीसरा पूजन मुहूर्त आज दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से लेकर 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
चौथा मुहूर्त आज शाम 7 बजकर 22 मिनट से लेकर 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
इस बार सावन में 4 सोमवार पड़ रहे हैं।सावन का पहला सोमवार- 14 जुलाई 2025सावन का दूसरा सोमवार- 21 जुलाई 2025 सावन का तीसरा सोमवार- 28 जुलाई 2025
4. सावन का चौथा सोमवार- 4 अगस्त 2025। सावन की पूजन विधि: सावन के पहले दिन से लेकर हर सोमवार पर उपवास जरूर रखें. फिर, शिवलिंग पर रोज सुबह जल और बेलपत्र अर्पित करें और दूध कम से कम अर्पित करें. पूरे सावन में हर रोज सुबह शिव पंचाक्षर स्तोत्र या शिव मंत्र जाप करें. इसके बाद ही जलपान या फलाहार करें. साथ ही, सावन के महीने में रुद्राक्ष पहनना सबसे उपयुक्त माना जाता है
सावन के महीने की सावधानियां : सावन के महीने में जल की बचत करें और जल बर्बाद न करें। इसके अलावा, इस महीने में पत्तेदार चीजों का सेवन न करें। इस महीने में बासी और भारी खाना या मांस-मदिरा ना खाएं।इस महीने में तेज धूप में घूमने से बचें।सावन महीने का महत्व : सावन का महीना चातुर्मास में एक माना जाता है और यह महीना भगवान शिव का माना जाता है. पौराणिक मान्यतानुसार कहते हैं कि इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ था और समुद्र मंथन से जो विष निकला, उसका भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था. तब से ये परंपरा चली आ रही है कि सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाया जाता है. सारे साल का फल भक्त सावन में पूजा करके पा सकते हैं। तपस्या, साधना और वरदान प्राप्ति के लिए ये महीना विशेष शुभ है। ( अशोक झा की कलम से )
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/