- कहा, ममता के शासन काल में 30 लाख युवा बन गए अप्रवासी
- हिंदी भाषियों को खैनीखोर कहकर उड़ाया जाता है माखौल
- बंगाली युवाओं की नौकरी बेचने वाला, महिलाओं की सुरक्षा नहीं दे पाने वाले का सत्ता पर बैठने का अधिकार नहीं
- सभी को समझना चाहिए भारत धर्मशाला नहीं, जहां आकर कोई भी डेरा जमा लें
- राज्य में न तो कानून का सम्मान है और न ही संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हो रही
बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य आज अपने उत्तर बंगाल दौरे के अंतिम दिन सिलीगुड़ी पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से रु ब रु हुए। उन्होंने टीएमसी कांग्रेस और सीपीएम को जमकर धोया। उन्होंने कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है जहां कोई भी मुंह उठाएं पहुंचे और यहां के लोगों के अधिकार और रोजगार पर डाका डाल दे। भट्टाचार्य ने कहा कि हंसी आती है कि बंगाल की मुख्यमंत्री अपने भतीजा के साथ बंगाली बचाने के लिए सड़क पर उतरी है। वह उस समय कहा थी जब बंगालियों के घर के बच्चे बच्चियों के रोजगार को बेचा जा रहा था? कहा थी जब रोजी रोजगार के लिए बंगाली परिवार के 30 लाख लोग देश के विभिन्न राज्यों में अप्रवासी बन जीवन यापन करने पर मजबूत हुए। जिस बंगाल में बांग्लादेश और बंगाल की हिंसक घटनाएं एक जैसे होने लगे। बंगाल के महिलाओं के दिन के उजाले में कॉलेज कैंपस में उन्हीं के पार्टी से जुड़े नेता दुष्कर्म करता है। इसके खिलाफ सड़क पर नहीं उतरा जाता। टीएमसी के इस प्रकार की नौटंकी को बंगाल की जनता समझ चुकी है। भ्रष्टाचारियों, बांग्लादेशी, रोहिंग्या को बचाने के लिए मुख्यमंत्री सड़क पर उतर सकती है पर किसानों, युवाओं, महिलाओं और सरकारी कर्मचारी के न्याय के लिए नहीं आखिर क्यों? उन्होंने कहा कि देश के मुसलमानों के हालात सुधारने के लिए सच्चर कमेटी बनी। रिपोर्ट दिया गया उसमें भी कोई आरक्षण की बात नहीं है। क्योंकि इस समाज में कोई भेदभाव है ही नहीं। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिर्फ वोटबैंक के लिए आंक अधिकार को मुस्लिमों में बांट दिया गया। कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी है। यह मुस्लिम के ही हितैषी नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में टीएमसी के सांसद धरना पर बैठे थे? कहा गया कि बंगाली है इसलिए बिजली कनेक्शन काट दिया गया। बंगाली होने के कारण उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। सच्चाई बताएं उनका बिजली बंगाली के नाम पर नहीं काटा गया बल्कि 80 लाख बकाया ओर एक कनेक्शन से दर्जनों घरों में बिजली सप्लाई का आरोप था। आश्चर्य की बात है कि यही ममता बनर्जी 2005 में लोकसभा में उपसभापति से देश में बांग्लादेशियों को निकालने के लिए हंगामा खड़ा किया था। इस मुद्दे के समर्थन में आंदोलन और प्रदर्शन कर रही हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि टीएमसी अपने मंच से हिंदीभाषी बिहार उत्तरप्रदेश के लोगों को खैनीखोर कहकर कटाक्ष करती है। जबकि ये लोग जन्म से भले ही अन्य प्रदेश के हो लेकिन इनका कर्म क्षेत्र बंगाल ही है। बंगाल और देश में घुसपैठ के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया। कहा कि आज मोदी के शासनकाल में प्रदेश राज्य सीमा ओर अपने प्रदेश की सुरक्षित करना चाहता है। इसमें बढ़ाई क्या है? बंगाल को तो विरोध किए बिना ही इसका समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज बंगाल और बंगालियों की बात करने वाली ममता बनर्जी कविगुरु रविंद्रनाथ की प्रतिभा को चैलेंज कर रही है। कविता, किताबे उनकी कॉपी कर अपने को प्रमोट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रवादी मुस्लिम भाजपा के साथ है। ऐसा कई उदाहरण है जहां एक भी हिंदू वोटर नहीं होने के बाद भी भाजपा के प्रत्याशी चुनाव जीत रहे है। उन्होंने कहा कि 21 जुलाई को उत्तर कन्या अभियान को सफल किया जाएगा। अपने दौरा के दौरान माकपा, टीएमसी सहित अन्य बुद्धिजीवियों से बातचीत हुई है सभी चाहते है कि टीएमसी को सत्ता से बाहर किया जाए। अब इसको लेकर पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने प्रतिक्रिया दी है। भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह तमिलनाडु सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने से पहले वहां की स्थिति को समझें। उन्होंने तमिलनाडु में हो रही कार्रवाइयों का जिक्र करते हुए कहा कि वहां सबसे ज्यादा छापेमारी हो रही है। जांच में पता चलता है कि कई लोग बांग्लादेश से आ रहे हैं, जिनकी पहचान की जा रही है। तृणमूल कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप: भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में मौजूदा स्थिति आपातकाल जैसे हालात को दर्शाती है। भट्टाचार्य ने कहा कि टीएमसी ने ही आपातकाल की शुरुआत की थी और कांग्रेस में इतनी हिम्मत नहीं कि वह आपातकाल लागू करे। जिस राज्य में एक जज के घर में घुसकर मारपीट की जाती है, वह सरकार, सरकार नहीं कही जा सकती। पश्चिम बंगाल में संविधान पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। भाजपा नेता ने ममता बनर्जी की हालिया यात्रा और उनके बयानों को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की राय और वहां की स्थिति पर टिप्पणी करने से पहले तथ्यों को समझना चाहिए। टीएमसी सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल : भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि टीएमसी सरकार की नीतियां और कामकाज राज्य में अराजकता पैदा कर रहे हैं। इसके साथ ही, भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति को चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में न तो कानून का सम्मान है और न ही संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हो रही है। जनता इस स्थिति से त्रस्त है। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब ममता बनर्जी ने एक बयान में कुछ मुद्दों पर अपनी राय रखी थी, जिसे भाजपा ने गलत बताया. इस पूरे मामले ने पश्चिम बंगाल की सियासत में एक नया मोड़ ला दिया है. दोनों पार्टियों के बीच तीखी बयानबाजी से सियासी माहौल गरमा गया है। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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