- विरोध में बंद का आह्वान, लगाया गया कर्फ्यू, सड़को पर सेना की वाहन कर रही गश्त
- भारत बांग्लादेश सीमा पर बढ़ाई गई और भी चौकसी, नजर रख रही भारत सरकार
देश के अशांत पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद सुलग रही विद्रोह की आग से बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। गोपालगंज में कल आगजनी और हिंसा के दौरान सेना की गोलीबारी से चार लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। गोपालगंज में हुई इस हिंसा ने बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता को और गहरा कर दिया है। अंतरिम सरकार और अवामी लीग के बीच तनाव चरम पर है, और सुरक्षा बलों पर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने का दबाव बढ़ रहा है। इस घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में गहरे विभाजन को उजागर किया है। बिगड़ती स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारत बांग्लादेश की सीमा पर विशेष चौकसी बढ़ा दी गई है। भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियों लगातार नजर रख रही है। यहां जम्मू विद्रोह के नेताओं की राजनीतिक गतिविधियों से जनता में असंतोष फैल गया। बिगड़ती स्थिति के बीच गोपालगंज जिला मुख्यालय में कर्फ्यू लगा दिया गया। गोपालगंज में सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। बख्तरबंद गाड़ियां शहर में गश्त कर रही हैं। खबर के अनुसार, जम्मू विद्रोह के बड़े नेता और अंतरिम सरकार का हिस्सा रहे नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) संयोजक नाहिद इस्लाम ने कर्फ्यू के बीच राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। कल एनसीपी की रैली को लेकर अवामी लीग कार्यकर्ताओं और कानून प्रवर्तकों के बीच हुई हिंसा से उपजे तनाव को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लगा दिया। मुख्य सलाहकार के प्रेस विंग के एक बयान के अनुसार, कर्फ्यू गुरुवार शाम 6 बजे तक लागू रहेगा। अगर हालात नहीं सुधरते तो इसकी मियाद बढ़ाई जा सकती है।गोपालगंज शहर में बुधवार को अशांति रही। नाहिद की पार्टी की रैली के दौरान अवामी लीग, उसकी छात्र शाखा छात्र लीग और अन्य संबद्ध संगठनों के कार्यकर्ताओं ने विभिन्न स्थानों पर कब्जा कर लिया। जगह-जगह लाठियां भांजीं और पथराव किया। सेना, रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी), पुलिस और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) की चार प्लाटून ने भी स्थिति को नहीं संभाल पाई। आखिर में उपायुक्त मुहम्मद कमरुज्जमां ने गोपालगंज सदर में धारा 144 लागू करने की घोषणा की।अंतरिम सरकार ने गोपालगंज हिंसा को "पूरी तरह से अक्षम्य" बताया है।एनसीपी की रैली पर हुए हमले पर सरकार ने कहा, " देश में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।" देर रात खुलना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) संयोजक नाहिद इस्लाम ने अवामी लीग और उसके प्रतिबंधित सहयोगियों पर जान से मारने के इरादे से आतंकवादी शैली का हमला करने का आरोप लगाया। एनसीपी ने हमले के विरोध में आज गुरुवार को देशव्यापी प्रदर्शन की घोषणा की गई है। तनाव का माहौल है। बांग्लादेश में यूनुस सरकार के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंदुओं पर बड़ी हिंसा हुई। 16 जुलाई 2025 को गोपालगंज में हुए प्रदर्शन में ज्यादातर हिंदू छात्र शामिल थे। यह प्रदर्शन बेहद शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुआ, जिसमें न्याय और समान अधिकारों की मांग की जा रही थी। स्थिति तब हिंसक हुई जब सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाना शुरू किया। बताया जा रहा है कि इस गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई, और तीस से ज़्यादा लोग घायल हुए। मृतकों में एक प्रमुख हिंदू नेता, दीप्तो साहा भी शामिल है। वहीं गोलीबारी में कुछ पत्रकार भी घायल हुए है ।इस घटना के बाद बांग्लादेश में तनाव बढ़ गया है।गोपालगंज में हुए इस हमले के बाद एनसीपी नेता नाहिद इस्लाम और पार्टी के दूसरे नेता हसनत अब्दुल्ला ने "मुजीब की विरासत" के अवशेषों को मिटाने का वादा किया। वहीं अवामी लीग का कहना है कि बांग्लादेश की सेना अब तटस्थ नहीं रही है और लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का भी अधिकार नहीं है। रहमान का गृहनगर एक तरह से युद्धक्षेत्र में बदल गया, जब छात्र नेतृत्व वाली एनसीपी के मार्च से पहले उनकी बेटी और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के सैकड़ों समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प हो गई।सुरक्षाबलों की गोलीबारी में तीन की मौत: सूत्रों के अनुसार मृतकों में से तीन की पहचान दीप्तो साहा (25), रमजान काजी (18) और सोहेल मुल्ला (41) के रूप में हुई है। डॉक्टरों ने बताया कि गोली लगने से घायल लोगों को गोपालगंज जनरल अस्पताल लाया गया था। उन्होंने बताया कि गोली लगने से घायल नौ और लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। गोपालगंज में अर्धसैनिक बल बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) की चार अतिरिक्त टुकड़ियां (करीब 200 सैनिक) भेजी गईं और अधिकारियों ने एनसीपी पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकल्प लिया।मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के कार्यालय ने कहा कि गोपालगंज में बुधवार रात 8 बजे से 22 घंटे का कर्फ्यू लगाने का आदेश दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि एनसीपी पर हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। रिपोर्टों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बांस के डंडों और ईंट-पत्थरों से लैस प्रदर्शनकारियों की पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ झड़प हुई।वाहनों में तोड़फोड़ और काफिले पर हमले का आरोप: रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और स्थानीय प्रशासनिक प्रमुख के वाहनों में तोड़फोड़ की और एनसीपी के काफिले पर हमला किया, जिसके बाद सुरक्षाबलों को गोलियां चलानी पड़ीं। एनसीपी ने क्षतिग्रस्त मंच पर टूटे हुए साउंड सिस्टम के साथ रैली जारी रखी, जिसकी अध्यक्षता उसके संयोजक नाहिद इस्लाम ने की और कहा कि अगर कानून प्रवर्तन एजेंसियां ऐसा करने में विफल रहीं तो वे खुद न्याय सुनिश्चित करेंगे। हमले के बाद एनसीपी नेता नाहिद इस्लाम और एनसीपी के दूसरे नेता हसनत अब्दुल्ला ने "मुजीब की विरासत" के अवशेषों को मिटाने का वादा किया। एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम ने घोषणा की कि अगर उनके रैली स्थल पर हुए हमले के लिए तुरंत न्याय नहीं मिला, तो उनकी पार्टी अपने हाथों से "गोपालगंज को मुजीबवाद से मुक्त" कराने के लिए वापस आएगी।इस्लाम ने कहा, "अगर पुलिस बल विफल रहे तो हम न्याय ज़रूर दिलाएंगे।एनसीपी के एक दूसरे नेता ने कहा एक फेसबुक पोस्ट में कहा, "गोपालगंज में हत्यारी हसीना के एजेंटों ने हम पर हमला किया है। पुलिस बस खड़ी है, तमाशा देख रही है और पीछे हट रही है।बेशक कोई नहीं बख्शे जाएंगे:बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि गोपालगंज में की हिंसा पूरी तरह से अक्षम्य है। युवा नागरिकों को उनके क्रांतिकारी आंदोलन की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए शांतिपूर्ण रैली आयोजित करने से रोकना उनके मौलिक अधिकारों का शर्मनाक उल्लंघन है। मोहम्मद यूनुस के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि, "यह जघन्य कृत्य जिसे कथित तौर पर प्रतिबंधित अवामी लीग के छात्र लीग के सदस्यों और एएल कार्यकर्ताओं ने अंजाम दिया है, बेशक बख्शे नहीं जाएंगे। अपराधियों की शीघ्र पहचान की जानी चाहिए और उन्हें पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। बांग्लादेश के किसी भी नागरिक के खिलाफ इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।
बता दें कि बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से अपदस्थ किए जाने के एक साल पूरे होने को हैं। इस मौके पर छात्र संगठन लगातार रैलियां निकाल रहे हैं। ( बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/