- चीन की बड़ी टेंशन, उनका उत्तराधिकारी और अगला दलाई लामा चीन के बाहर जन्मा होगा
तिब्बतियों के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन होगा, ये सवाल न केवल तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के मन में कौंध रहा है, बल्कि भारत-चीन से लेकर अमेरिका-जापान तक इस फैसले का बड़ा असर होने वाला है। 6 जुलाई को 90 साल के होने जा रहे दलाई लामा इस दौरान अपने उत्तराधिकारी का ऐलान कर सकते हैं हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला जिले के मैकलोडगंज में दलाई लामा के जन्म समारोह को लेकर तैयारियां तेज हैं। चीन भी इस धार्मिक आयोजन पर नजरें गड़ाए बैठा है, जो खुद दलाई लामा के उत्तराधिकारी का ऐलान करना चाहता है। धर्मशाला में निर्वासित तिब्बतियों की संसद और सरकार इस धार्मिक आयोजन को लेकर भव्य तैयारी कर रही है। दलाई लामा ने दिए थे संकेत: वैसे तो तिब्बती बौद्ध अगले धर्म गुरु का चुनाव मौजूदा दलाई लामा की मृत्यु के बाद करते हैं. लेकिन 14वें दलाईलामा ने संकेत दिया था वो जीते जी अपना उत्तराधिकारी घोषित करेंगे। उन्होंने मार्च 2025 में अपनी किताब में कहा है कि उनका उत्तराधिकारी और अगला दलाई लामा चीन के बाहर जन्मा होगा। उन्होंने कहा था कि 90वें जन्मदिन पर वो अपने उत्तराधिकारी को लेकर अहम जानकारी देंगे। 1959 में भारत आए थे दलाई लामा:
चीन में माओ सरकार के खिलाफ नाकाम विद्रोह के बाद 1959 में दलाई लामा अपने हजारों अनुयायियों के साथ भारत आ गए. निर्वासित तिब्बतियों का भारत सबसे बड़ा गढ़ है. कोशिश है कि तिब्बती बौद्धों की धार्मिक परंपरा पर नियंत्रण करने की चीन की चाल को नाकाम किया जा सके. सेंट्रल तिब्बती एडमिनिस्ट्रेशन के अध्यक्ष पेनपा सेरिंग ने कहा है कि 2 जुलाई को धर्मशाला में दुनिया भर से वरिष्ठ लामा जमा होंगे. जबकि चीन खुद दलाई लामा का ऐलान कर तिब्बती बौद्धों पर पूरी तरह शिकंजा कसना चाहता है. तिब्बत में गैर बौद्धों को बसाने के साथ वहां शिक्षा व्यवस्था और इतिहास को बदलकर चीन पहले ही ऐसा कर रहा है।दो साल की उम्र में बने दलाई लामा: 14वें दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के ल्हामो डोंडुप इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था. उनका असली नाम तेनजिन ग्यात्सो है। दो साल की उम्र में उन्हें नए अवतार के तौर पर चुना गया. पांच साल की उम्र में उन्हें तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र की राजधानी ल्हासा के पोटाला पैलेस लाया गया और भव्य आयोजन के बीच उन्हें तिब्बत के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु की पदवी से नवाजा गया। 15 साल की उम्र में उन्होंने पूरी तरह जिम्मेदारी संभाल ली थी। चीन क्यों है भड़का: दलाई लामा के संकेतों से भड़के चीन ने कहा है कि वो अगला दलाई लामा कौन होगा, ये चीन सरकार और तिब्बती लोग तय करेंगे. उसका कहना है कि किंग वंश की 1793 की परंपरा के मुताबिक ही संभावित दावेदारों में से नया धर्म गुरु चुना जाएगा.चीन के भीतर का ही कोई शख्स अगला दलाई लामा होगा. चीन के राष्ट्रीय कानून और आदेशों के मुताबिक ही ऐसा होगा. वो निर्वासित सरकार को अपने लिए खतरा मानता है. हालांकि बौद्ध नेताओं का कहना है कि धर्म को न मानने वाली चीन की कम्युनिस्ट सरकार कैसे अगले दलाई लामा का चुनाव कर सकती है.
पंचेन लामा घोषित कर चुका है चीन: 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा को चीन अलगाववादी बताता है. उसने तिब्बत में दलाई लामा की तस्वीरों या उनसे जुड़े किसी धार्मिक आयोजन पर भी रोक लगा रखी है. उसने दलाई लामा के बाद तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े धर्म गुरु पंचेन लामा पहले ही घोषित कर दिया है. जबकि दलाई लामा ने जिस बच्चे को पंचेन लामा बनाया था, उसका करीब दो दशकों से कोई अता-पता नहीं है। भारत और अमेरिका की भूमिका: चीन के बाहर दुनिया में करीब डेढ़ लाख तिब्बती रहते हैं. इनमें से भारत में करीब एक लाख तिब्बती बौद्ध अनुयायी रहते हैं, जो यहां अध्ययन और कामकाज करते हैं. ऐसे में यह भी हो सकता है कि अगला दलाई लामा भारत में ही रह रहा कोई तिब्बती बौद्ध हो। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दलाई लामा की भारत में मौजूदगी चीन की दुखती रग है. भारत की ये मनोवैज्ञानिक बढ़त है. हालांकि भारत तिब्बतियों को चीन विरोधी गतिविधियों की इजाजत नहीं देता है।।अमेरिका भी कह चुका है कि दलाई लामा का चुनाव तिब्बत के धर्म गुरु ही करेंगे. दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चुनाव में चीन की नहीं चलने देगा. अमेरिकी सरकार ने 2024 में एक कानून पारित कर चीन से तिब्बत को और ज्यादा स्वायत्तता देने को कहा था। ( तिब्बत बॉर्डर से अशोक झा )
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