सनातन की स्थापना का युद्ध: कलियुग के केशव, युग चक्रवर्ती नरेंद्र मोदी
मई 08, 2025
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आचार्य संजय तिवारी
सनातन की स्थापना का युद्ध लड़ते वे अप्रतिम बन चुके हैं। सनातन राज व्यवस्था में एक चक्रवर्ती सम्राट की तरह उन्हें देखा जा रहा है। विशेष रूप से भारत के प्रधान सेवक निर्वाचित होने के बाद उनकी छवि कुछ ऐसी ही दिखती है। राजसत्ता के उनके कार्य उन्हें सम्राट का स्वरूप देते हैं तो दूसरी ओर उनकी आध्यात्मिक यात्रा उन्हें राष्ट्र ऋषि की तरह प्रस्तुत करती है।
इस युगनायक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि सामान्य कोई भी व्यक्ति इनको डिकोड नहीं कर सकता। इनके मन की भनक शायद इन्हें भी लगती, ऐसी योजना और रणनीति की सवारी इन्हें आती है। आतंकियों ने नरसंहार कर नारी से कहा कि अपने मोदी को बता देना, मोदी ने उसी नारी के पुछे हुए सिंदूर को अपना संकल्प बना लिए और पाकिस्तान की नापाक जमीन को लाल कर दिया। इसकी सूचना भी प्रसारित कराई तो दो नारियों से। संदेश यह कि भारत की हर नारी साक्षात भवानी है। शक्ति का यह सम्मान देख कर दुनिया हतप्रभ है।
अपनी आलोचना और अपना अपमान सहते नरेंद्र मोदी ठीक केशव की तरह लगते हैं। जब वे प्रजा के बीच होते हैं तो अभिभावक की भूमिका परिलक्षित होती है। राम जैसे विरक्त और कृष्ण जैसी कूटनीति लेकर वे एक साथ चलते हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि नरेंद्र मोदी को परशुराम की प्रतीक्षा भी समझ में आती है और कृष्ण की वे सारी नीतियां भी जिनके साथ सृष्टि, संस्कृति , समाज और सत्ता का संचालन संभव हो सके। यह अलग बात है कि श्री राम त्रेता के मूल्यों के साथ थे जहां शत्रु के रूप में प्रतिनायक रावण था। कृष्ण द्वापर में थे जहां हर प्रतिनायक सीधे शत्रु स्वरूप में सामने था।
आज कलियुग है जहां शत्रु केवल शत्रु नहीं है बल्कि जीवन मूल्यों से विरत सृष्टि और जीवन का भी शत्रु बनकर असुर स्वरूप में सामने और पीठ पीछे भी उपस्थित है। स्वाभाविक है कि इस समय के चक्रवर्ती को कलियुग के केशव का स्वरूप ही लेना होगा, नरेंद्र मोदी का यही स्वरूप अभी विश्व के समक्ष है। सनातन की स्थापना के लिए अनवरत संघर्ष में जुटे नरेंद्र मोदी का लक्ष्य अद्भुत है और रणनीति तो बेमिसाल।
भू-राजनीति के क्षितिज पर सबसे बड़े खिलाड़ी वे होते हैं, जो एक ही रणनीति से दुश्मन के कई मोहरों पर हमला कर सकते हैं। मोदी की रणनीतियां ऐसी ही हैं। सत्ता की यात्रा में 2002 से उन्हें ऐसी ही अवस्था में देखा जा रहा है। यह सब उनके साथ नैसर्गिक रूप से जुड़ा है इसलिए भारत की डेढ़ अरब आबादी के अलावा भी विश्व समुदाय नरेंद्र मोदी को लेकर आश्वत और निश्चिंत रहता है। इस तथ्य के प्रमाण उनकी असंख्य विदेशी यात्राओं के दौरान दुनिया के नायकों द्वारा की गई उनके बारे में टिप्पणियां और उन्हें मिलने वाले असंख्य नागरिक सम्मान हैं। नरेंद्र मोदी का भारत अब अद्भुत है और वैश्विक धरातल का एक सनातन यात्री भी। मंगलवार और बुधवार की आधी रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शानदार कामयाबी के साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ पाकिस्तान के जिहादी नेटवर्क को निशाना बनाकर बल्कि न्याय और प्रतिशोध के लिए एक राष्ट्र की सामूहिक पुकार को संतुष्ट करके खुद को इस खेल के महारथी के रूप में स्थापित किया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है। घोषणा स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी का भारत केवल आतंकी शिविर समाप्त कर रहा है, किसी देश के खिलाफ कोई युद्ध नहीं। यह अलग बात है कि भारत की इस मुहिम से पड़ोसी के चीथड़े उड़ चुके हैं।
यह अद्भुत है कि सनातन की स्थापना का युद्ध अभी समाप्त होने भी नहीं जा रहा क्योंकि मोदी का संकल्प है कि आतंक के आकाओं की हर कड़ी को अब मिट्टी में मिला कर ही रुकेंगे। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विश्व के अधिकांश जनमत भी ऐसा ही कुछ चाह रहा। दुनिया अब कलियुग के इस केशव को अपनी चक्रवर्ती भूमिका को निभाते देख भी रही है और समर्थन भी कर रही है। अभी तो ऑपरेशन सिंदूर जारी है।
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