- बांग्लादेश के रास्ते सांपों का अंतरराष्ट्रीय बाजार में तस्करी का बढ़ता नेटवर्क
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करोड़ों में, पैसे के लालच में करते है इसकी तस्करी
सांपों की तस्करी खासतौर पर भारत, थाईलैंड, चीन, अफ्रीका, ब्राजील इंडोनेशिया से होती है। इसका रूट इन दिनों बांग्लादेश हो गया है। बांग्लादेश के सीमावर्ती क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर सांपों की तस्करी ही रही है। इसका खुलासा बंगाल सीमांत असम के धुबरी से हुई ही। सीमा पार अपराधों और तस्करी पर कड़ा प्रहार करते हुए, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की गुवाहाटी फ्रंटियर के सतर्क जवानों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। बीएसएफ प्रवक्ता ने बताया कि 66वीं बटालियन के जवानों ने असम बंगाल सीमांत धुबड़ी जिले के सीमा क्षेत्र में विशेष अभियान चलाकर दो तस्करों को गिरफ्तार किया और उनके पास से 202 सैंड बोआ (दो मुंहा) सांप बरामद किए। बीएसएफ के अनुसार, ये सांप बोरे में छिपाकर भारत से बांग्लादेश भेजे जा रहे थे। पकड़े गए तस्करों और जब्त किए गए वन्य जीवों को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए धुबड़ी वन विभाग को सौंप दिया गया है। ये सांप आपको रातोंरात करोड़पति बना सकता है। इसका नाम है रेड सैंड बोआ । अंतरराष्ट्रीय बजार में रेड सैंड बोआ सांप की कीमत 1 करोड़ से लेकर 25 करोड़ तक है। इसलिए इस विरल प्रजाति के सांप की तस्करी भी होती है। तस्करों के मंसूबों को नाकामयाब करते हुए इन सांपों को बचाया गया है। आमतौर पर सांप पहाड़ी और बालूवालें क्षेत्र में पाया जाता है। दक्षिण पूर्व एशिया के अफगानिस्तान, पाकिस्तान में भी यह सांप पाया जाता है।सीमा की संवेदनशीलता और सीमा पार तस्करों व राष्ट्रविरोधी तत्वों की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए, बीएसएफ लगातार निगरानी बनाए हुए है और सीमावर्ती अपराधों को रोकने में प्रभावी भूमिका निभा रही है। इन सांपों को उनकी खाल, जहर कुछ मामलों में पालतू जानवर के रूप में बेचा जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इनमें से कुछ सांप तो ऐसे भी हैं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपए में लग जाती है। तस्कर सांपों को पकड़कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों पर बेचते हैं। दुनिया में सांपों की तस्करी एक गंभीर समस्या बन गई है। सरकारें वन्यजीव संरक्षण संगठन लगातार इस पर कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन फिर भी काला बाजार फल-फूल रहा है। इस अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के लिए कड़े कानून सख्त निगरानी की जरूरत है, ताकि इन दुर्लभ प्रजातियों को बचाया जा सके। ऐसे में सवाल है कि आखिर किन सांपों की दुनियाभर में सबसे ज्यादा तस्करी होती है, इसकी वजह क्या है? किंग कोबरा : तस्करों के निशाने पर सबसे ज्यादा किंग कोबरा होता है. यह दुनिया का सबसे जहरीला सांप है. इसके जहर का इस्तेमाल दवाइयों मेडिकल रिसर्च में किया जाता है. इसकी खाल भी महंगे दामों पर बेची जाती है।
पाइथन : पाइथन सांप जहरीला नहीं होता, लेकिन इसकी खूबसूरत खाल की वजह से इसकी तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। खासकर अफ्रीकी रॉक पाइथन बर्मी पाइथन की खाल से बनाए गए बैग, बेल्ट जूते की इंटरनेशनल मार्केट में भारी मांग है रैटलस्नेक: अमेरिका मैक्सिको में रैटलस्नेक की तस्करी बहुत होती है. इसके जहर का इस्तेमाल फार्मा इंडस्ट्री में किया जाता है, जिससे कई गंभीर बीमारियों की दवाएं बनाई जाती हैं.
ब्लू कर्रेट : भारत दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाने वाले ब्लू कर्रेट की भी भारी तस्करी होती है. इसका जहर न्यूरोटॉक्सिन होता है, जिसका उपयोग कैंसर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की दवाओं में किया जाता है।
वाइपर: वाइपर सांप अपने खतरनाक जहर के लिए मशहूर है। इसका जहर एंटी-वेनम (सांप के काटने की दवा) बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। कई देशों में इसकी भारी मांग के कारण यह तस्करों के लिए एक बड़ा शिकार बन चुका है। रेड बोआ : इस सांप की तस्करी भारत दक्षिण पूर्व एशिया में बड़ी संख्या में की जाती है। भारत में कई जगहों पर इस सांप का इस्तेमाल काले जादू के लिए किया जाता है। इसके अलावा इस सांप से दवाइयां भी बनाई जाती हैं।तस्करी के मुख्य कारण क्या होते हैं?
दवा उद्योग – सांपों के जहर का उपयोग कई गंभीर बीमारियों की दवाओं में किया जाता है। खाल फैशन इंडस्ट्री – कई बड़े ब्रांड सांपों की खाल से बैग, बेल्ट जैकेट बनाते हैं.
पालतू जानवर के रूप में – कुछ दुर्लभ सांपों को लोग पालतू जानवर के रूप में भी खरीदते हैं। ( बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा)
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